Tuesday, May 3, 2016

...लेकिन मोदी सरकार को शर्म नहीं आएगी

सलीम अख्तर सिद्दीकी
भाजपा को आज दो तगड़े झटके लगे। संसदीय समिति ने पठानकोट हमले में सुरक्षा खामियों पर सवाल उठाते हुए मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा किया है, तो उधर अंतरराष्ट्रीय धार्मिक आजादी पर नजर रखने वाले अमेरिकी आयोग यूएससीआईआरएफ (यूएस कमीशन आॅन इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रÞीडम) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि 2015 में भारत में असहिष्णुता बढ़ी है और धार्मिक आजादी के अधिकारों के उल्लंघन के मामलों में भी इजाफा हुआ है। जैसी की उम्मीद थी, केंद्र सरकार ने इस रिपोर्ट को नकार दिया है। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यक हिंदूवादी गुटों के हाथों धमकी, उत्पीड़न और हिंसा की बढ़ती घटनाओं का सामना करना पड़ा है। सरकार और भाजपा के लिए शर्मिंदगी वाली बात यह है कि रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि हिंदूवादी संगठनों को केंद्र सरकार का मूक समर्थन मिला हुआ है। इस सच से कोई इंकार नहीं कर सकता कि भाजपा से ताल्लुक रखने वाले हिंदूवादी संगठनों ने तब से देश के अल्पसंख्यक तबकों को धमकाना शुरू कर दिया था, जब से केंद्र में मोदी सरकार ने शपथ ली थी। रिपोर्ट में एक वीडियो का जिक्र किया गया है, जो फरवरी 2015 में हुई संघ की एक बैठक का है। इस वीडियो में भाजपा के कई नेता मुसलमानों को ‘शैतान’ कहते हुए और उन्हें बर्बाद करने की धमकी देते हुए देखे जा सकते हैं। रिपोर्ट में जिस तरह से मोदी सरकार पर निशाना साधा गया है, उससे पता नहीं उसे शर्म आएगी या नहीं, लेकिन इस रिपोर्ट से पूरी दुनिया में भारत को अब दूसरे नजरिए से देखा जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी यह कहते हुए नहीं अघाते कि जब से वह प्रधानमंत्री बने हैं, तब से दुनिया में भारत को अच्छी नजरों से देखा जा रहा है। पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है। लेकिन विदेशी संस्थाएं अगर भारत की मौजूदा केंद्र सरकार को सांप्रदायिक बता रही है, तो कहना पड़ता है कि मोदी की गर्वोक्ति झूठी है अगर कोई विदेशी संस्था नरेंद्र मोदी सरकार की थोड़ी सी भी तारीफ कर देती है, तो उसके सभी नेता उसका हर मंच से जिक्र करते हुए गर्व महसूस करते हैं। लेकिन अमेरिका की इस रिपोर्ट पर शर्मिंदगी महसूस क्यों नहीं करती?

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