सलीम अख्तर सिद्दीकी
आॅग्स्टा हेलीकॉप्टर मामले में इटली की एक अदालत के फैसले पर मोदी सरकार कांग्रेस पर हमलावर हो गई। उसे ऐसा लग रहा है, जैसे उसने बहुत भारी जीत हासिल कर ली हो। दरहकीकत आॅग्स्टा मामले में मोदी सरकार खुद ही कठघरे में खड़ी हो गई है। यह यकीनी तौर पर कहा जा सकता है कि मोदी सरकार आॅग्स्टा मामले में सिर्फ और सिर्फ राजनीति कर रही है। अगर ऐसा नहीं है, तो वह सोनिया गांधी समेत उन सभी लोगों पर कानून का डंडा क्यों नहीं चला रही है, जिनके नाम आॅग्स्टा हेलीकॉप्टर खरीद में कमीशन खाने वालों में आए हैं? सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि दो साल से मोदी सरकार क्यों हाथ पर हाथ धरे बैठी थी? क्या वह इसका इंतजार कर रही थी कि इटली से कुछ मसाला और वह कांग्रेस को घेर सके? सच तो यह है कि अगर इटली से अभी भी कुछ मसाला नहीं आता तो मोदी सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी होती। सवाल यह भी उठ रहा है कि दो साल के अंदर उसने आॅगस्टा कंपनी को ब्लैक लिस्ट क्यों नहीं किया? आखिर एक ऐसी कंपनी, जिस पर कमीशन खिलाने के आरोप लगे हैं, उसे मोदी सरकार ने मेक इन इंडिया में कैसे शामिल कर लिया? जैसे इतना की काफी नहीं था। आॅग्स्टा को टाटा के साथ मिलकर भारत में पूंजी लगाने की अनुमति भी दे दी गई।
अब यह खुलकर सामने आ गया है कि मोदी सरकार भ्रष्टाचार पर केवल जुमलेबाजी से काम ले रही है। सत्ता में आने पहले उसने सिंह गर्जना की थी कि भाजपा सत्ता में आई तो सभी भ्रष्टाचारी जेल में होंगे। कितने भ्रष्टाचारियों को जेल में डाला है अब तक मोदी सरकार ने? हद तो यह है कि प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा के बारे में तो यहां तक कह दिया गया था कि वह तो किसी हालत में बच हीं नहीं सकते। रॉबर्ट वाड्रा खुले घूम रहे हैं। मोदी सरकार का एक ही एजेंडा है कि किसी भी तरह बस भ्रष्टाचार पर बातें करते रहो, करो कुछ नहीं है। यही वजह है कि एक ताजा सर्वे कहता है कि पिछले दो साल के दौरान लोगों की जिंदगी में कुछ भी अंतर नहीं आया है। बहुत लोगों ने तो यह तक माना है कि उनकी जिंदगी और ज्यादा बदतर हो गई है। मोदी सरकार जो कुछ कहती है, वह करती नहीं है। रोज नई योजनाएं लागू की जाती हैं। उन पर कितना काम हुआ, कोई नहीं जानता। वह आदर्श ग्राम योजना, स्मार्ट सिटी, स्वच्छता अभियान आदि योजनाएं धूल फांक रही हैं। नई-नई योजनाएं लांच करके लोगों को भरमाया जा रहा है।
आॅग्स्टा हेलीकॉप्टर मामले में इटली की एक अदालत के फैसले पर मोदी सरकार कांग्रेस पर हमलावर हो गई। उसे ऐसा लग रहा है, जैसे उसने बहुत भारी जीत हासिल कर ली हो। दरहकीकत आॅग्स्टा मामले में मोदी सरकार खुद ही कठघरे में खड़ी हो गई है। यह यकीनी तौर पर कहा जा सकता है कि मोदी सरकार आॅग्स्टा मामले में सिर्फ और सिर्फ राजनीति कर रही है। अगर ऐसा नहीं है, तो वह सोनिया गांधी समेत उन सभी लोगों पर कानून का डंडा क्यों नहीं चला रही है, जिनके नाम आॅग्स्टा हेलीकॉप्टर खरीद में कमीशन खाने वालों में आए हैं? सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि दो साल से मोदी सरकार क्यों हाथ पर हाथ धरे बैठी थी? क्या वह इसका इंतजार कर रही थी कि इटली से कुछ मसाला और वह कांग्रेस को घेर सके? सच तो यह है कि अगर इटली से अभी भी कुछ मसाला नहीं आता तो मोदी सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी होती। सवाल यह भी उठ रहा है कि दो साल के अंदर उसने आॅगस्टा कंपनी को ब्लैक लिस्ट क्यों नहीं किया? आखिर एक ऐसी कंपनी, जिस पर कमीशन खिलाने के आरोप लगे हैं, उसे मोदी सरकार ने मेक इन इंडिया में कैसे शामिल कर लिया? जैसे इतना की काफी नहीं था। आॅग्स्टा को टाटा के साथ मिलकर भारत में पूंजी लगाने की अनुमति भी दे दी गई।
अब यह खुलकर सामने आ गया है कि मोदी सरकार भ्रष्टाचार पर केवल जुमलेबाजी से काम ले रही है। सत्ता में आने पहले उसने सिंह गर्जना की थी कि भाजपा सत्ता में आई तो सभी भ्रष्टाचारी जेल में होंगे। कितने भ्रष्टाचारियों को जेल में डाला है अब तक मोदी सरकार ने? हद तो यह है कि प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा के बारे में तो यहां तक कह दिया गया था कि वह तो किसी हालत में बच हीं नहीं सकते। रॉबर्ट वाड्रा खुले घूम रहे हैं। मोदी सरकार का एक ही एजेंडा है कि किसी भी तरह बस भ्रष्टाचार पर बातें करते रहो, करो कुछ नहीं है। यही वजह है कि एक ताजा सर्वे कहता है कि पिछले दो साल के दौरान लोगों की जिंदगी में कुछ भी अंतर नहीं आया है। बहुत लोगों ने तो यह तक माना है कि उनकी जिंदगी और ज्यादा बदतर हो गई है। मोदी सरकार जो कुछ कहती है, वह करती नहीं है। रोज नई योजनाएं लागू की जाती हैं। उन पर कितना काम हुआ, कोई नहीं जानता। वह आदर्श ग्राम योजना, स्मार्ट सिटी, स्वच्छता अभियान आदि योजनाएं धूल फांक रही हैं। नई-नई योजनाएं लांच करके लोगों को भरमाया जा रहा है।
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