सलीम अख्तर सिद्दीकी
देश भर के सर्राफा व्यापारी ज्वेलरी पर एक प्रतिशत एक्साइज लगाने के खिलाफ पिछले 36 दिन से हड़ताल पर हैं। सर्राफा व्यापारियों की सोच थी कि केंद्र की मोदी सरकार तो ‘अपनी’ है, इसे वह जब चाहेंगे झुका लेंगे। उनके जेहन में यह भी चल रहा होगा कि जिस तरह यूपीए सरकार के दौरान एक्साइज लगाने के विरोध में 21 दिन तक हड़ताल करके सरकार को ‘झुका’ लिया गया था, उसी तरह मोदी सरकार भी झुक जाएगी। ऊपर से यह अहंकार भी कि हम भाजपा के परंपरागत वोटर हैं, इसलिए हमारा हक बनता है कि सरकार हमारे ‘अच्छे दिन’ लाने की सोचे। लेकिन अब सर्राफा व्यापारियों का अहंकार टूटने लगा है और गलतफहमी दूर होने लगी है।
मेरठ सदर सर्राफा व्यापारियों के बीच जाने पर पता चला कि उनकी मायूसी अब खीज में बदलने लगी है। वे उस हर आदमी को शक की नजर से देखने लगे हैं, जो उनके बीच जाकर आंदोलन और उनकी मांगों के बारे में जानना चाहता है। उनसे बातचीत से पता चला कि उन्हें अपने ‘कारोबार’ की चिंता है। उस कारोबार की जो, कच्ची पर्चियों पर चलता है। बिना टैक्स के करोड़ों का व्यापार किया जाता है। जो ज्वेलरी वे किसी ग्राहक को 10 हजार रुपये में बेचते हैं, वही ज्वेलरी जब दो दिन बाद वही ग्राहक बेचने के लिए उसी ज्वेलर्स के पास जाता है, तो ग्राहक को सात हजार रुपये देने की बात करता है। इसकी वजह साफ है, उसने माल ही सात हजार रुपये वाला दिया था, कैसे 10 हजार में खरीद ले? जब ज्वेलरी एक नंबर में बिकेगी तो व्यापारी को बताना भी पड़ेगा कि इसमें कितना सोना है, कितना पीतल या तांबा है? बस यही ‘कारोबार’ बचाने की लड़ाई सर्राफ लड़ रहे हैं। उन्हें इससे कोई मतलब नहीं है कि यदि ज्वेलरी टैक्स के दायरे में आ जाएगी, तो जिस काले धन से ज्वेलरी खरीदी जाती है, वह बाहर आ आएगा। धरने पर बैठे सर्राफा व्यापारी खांटी के भाजपाई हैं। भाजपा से हैं, तो देशभक्त होना लाजिमी है। लेकिन वे ऐसे देशभक्त कतई नहीं बनना चाहते, जिससे उनके ‘कारोबार’ पर चोट लगे। जबानी जमा खर्च वाले देशभक्त बनने से उन्हें कोई गुरेज नहीं है। ये किसी ने नहीं सोचा था कि लोकसभा चुनाव में भाजपा की झोली वोटों से भर देने वाले सर्राफा व्यापारी एक दिन ‘मोदी हाय हाय’, ‘जेटली हाय हाय’ के नारे लगाएंगे। यही व्यापारी थे, जो 2014 में भाजपा और मोदी का विरोध करने वाले का गिरेबां तक पकड़ लेते थे। आज गधों पर ‘मोदी’ और ‘जेटली’ लिखकर सड़कों पर छोड़ा जा रहा है।देशहित और देशभक्ति से पहले ‘कारोबार’ जरूरी है, यह सर्राफा व्यापारियों ने बता दिया है।
देश भर के सर्राफा व्यापारी ज्वेलरी पर एक प्रतिशत एक्साइज लगाने के खिलाफ पिछले 36 दिन से हड़ताल पर हैं। सर्राफा व्यापारियों की सोच थी कि केंद्र की मोदी सरकार तो ‘अपनी’ है, इसे वह जब चाहेंगे झुका लेंगे। उनके जेहन में यह भी चल रहा होगा कि जिस तरह यूपीए सरकार के दौरान एक्साइज लगाने के विरोध में 21 दिन तक हड़ताल करके सरकार को ‘झुका’ लिया गया था, उसी तरह मोदी सरकार भी झुक जाएगी। ऊपर से यह अहंकार भी कि हम भाजपा के परंपरागत वोटर हैं, इसलिए हमारा हक बनता है कि सरकार हमारे ‘अच्छे दिन’ लाने की सोचे। लेकिन अब सर्राफा व्यापारियों का अहंकार टूटने लगा है और गलतफहमी दूर होने लगी है।
मेरठ सदर सर्राफा व्यापारियों के बीच जाने पर पता चला कि उनकी मायूसी अब खीज में बदलने लगी है। वे उस हर आदमी को शक की नजर से देखने लगे हैं, जो उनके बीच जाकर आंदोलन और उनकी मांगों के बारे में जानना चाहता है। उनसे बातचीत से पता चला कि उन्हें अपने ‘कारोबार’ की चिंता है। उस कारोबार की जो, कच्ची पर्चियों पर चलता है। बिना टैक्स के करोड़ों का व्यापार किया जाता है। जो ज्वेलरी वे किसी ग्राहक को 10 हजार रुपये में बेचते हैं, वही ज्वेलरी जब दो दिन बाद वही ग्राहक बेचने के लिए उसी ज्वेलर्स के पास जाता है, तो ग्राहक को सात हजार रुपये देने की बात करता है। इसकी वजह साफ है, उसने माल ही सात हजार रुपये वाला दिया था, कैसे 10 हजार में खरीद ले? जब ज्वेलरी एक नंबर में बिकेगी तो व्यापारी को बताना भी पड़ेगा कि इसमें कितना सोना है, कितना पीतल या तांबा है? बस यही ‘कारोबार’ बचाने की लड़ाई सर्राफ लड़ रहे हैं। उन्हें इससे कोई मतलब नहीं है कि यदि ज्वेलरी टैक्स के दायरे में आ जाएगी, तो जिस काले धन से ज्वेलरी खरीदी जाती है, वह बाहर आ आएगा। धरने पर बैठे सर्राफा व्यापारी खांटी के भाजपाई हैं। भाजपा से हैं, तो देशभक्त होना लाजिमी है। लेकिन वे ऐसे देशभक्त कतई नहीं बनना चाहते, जिससे उनके ‘कारोबार’ पर चोट लगे। जबानी जमा खर्च वाले देशभक्त बनने से उन्हें कोई गुरेज नहीं है। ये किसी ने नहीं सोचा था कि लोकसभा चुनाव में भाजपा की झोली वोटों से भर देने वाले सर्राफा व्यापारी एक दिन ‘मोदी हाय हाय’, ‘जेटली हाय हाय’ के नारे लगाएंगे। यही व्यापारी थे, जो 2014 में भाजपा और मोदी का विरोध करने वाले का गिरेबां तक पकड़ लेते थे। आज गधों पर ‘मोदी’ और ‘जेटली’ लिखकर सड़कों पर छोड़ा जा रहा है।देशहित और देशभक्ति से पहले ‘कारोबार’ जरूरी है, यह सर्राफा व्यापारियों ने बता दिया है।
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