सलीम अख्तर सिद्दीकी
गुजरात में अब एक शिक्षण संस्थान ने ऐलान किया है कि जिसे भी संस्थान में एडमिशन लेना है, उसे एप्लीकेशन फॉर्म में ‘भारत माता की जय’ लिखना होगा। ऐसा नहीं करने पर संस्थान में एडमिशन नहीं दिया जाएगा। ये ऐलान अमरेली के एजुकेशन ट्रस्ट श्री पटेल विद्यार्थी आश्रम की ओर से किया गया है। इस ट्रस्ट के मुखिया भाजपा नेता दिलीप संघानी हैं।
बाबा रामदेव के कानून ने हाथ बांध रखे हैं, वरना वह क्या गुजरते, यह सोचकर की सिहरन होने लगी है। यह वही रामदेव हैं, जो रामलीला मैदान से महिलाओं के कपड़े पहनकर फरार हुए थे। उधर, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भी गरज रहे हैं कि जो भारत माता की जय नहीं बोले, उसे भारत में रहने का अधिकार नहीं है। फड़नवीस को पहले अपने राज्य की जनता को पीने का पीने देना चाहिए, उसके बाद कुछ कहना चाहिए। जैसे भूखे पेट भजन नहीं होता, ऐसे प्यास से ऐंठी जबान से भारत माता की जय निकलना मुश्किल है।
देश की सभी समस्याओं का हल भारत माता की जय में समा गया है। संघ परिवार के नेताओं को यही समझ में नहीं आ रहा है कि वे ‘जुनूं’ में क्या-क्या कह रहे हैं। जब उनका जुनून उतरता है, तो फिर कहते फिरते हैं कि मेरी बात को ‘तरोड़ मरोड़’ कर पेश किया गया है। वैसे भारत माता की जय का खुमार पांच राज्यों के चुनाव के नतीजे आते ही उतर जाएगा। जैसे बिहार में बीफ का उतर गया था। हां, उत्तर प्रदेश में अभी एक साल तक भारत माता की जय का उद्घोष चलता रहेगा।
यह कैसी विडंबना है कि जो भारतीय जनता पार्टी विकास-विकास चिल्ला रही थी, राज्यों के चुनाव जीतने के लिए सांप्रदायिक धु्रवीकरण का सहारा ले रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली यह कहते नहीं अघाते कि भारत तेजी से विकास कर रहा है। वे यह कहने से भी नहीं चूकते कि दुनिया भी भारत को चमकता सितारा बता रही है। लेकिन सच तो यह है कि देश की जनता हाहाकार कर रही है। जनता हर मोर्चे पर जूझ रही है।
लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन कहती हैं कि जब पब्लिक स्कूलों में पढ़ाने के लिए पैसे नहीं हैं, तो अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में क्यों नहीं पढ़ाते। ऐसा लगता है कि देश में ‘नीरो’ की सरकार चल रही है।
गुजरात में अब एक शिक्षण संस्थान ने ऐलान किया है कि जिसे भी संस्थान में एडमिशन लेना है, उसे एप्लीकेशन फॉर्म में ‘भारत माता की जय’ लिखना होगा। ऐसा नहीं करने पर संस्थान में एडमिशन नहीं दिया जाएगा। ये ऐलान अमरेली के एजुकेशन ट्रस्ट श्री पटेल विद्यार्थी आश्रम की ओर से किया गया है। इस ट्रस्ट के मुखिया भाजपा नेता दिलीप संघानी हैं।
बाबा रामदेव के कानून ने हाथ बांध रखे हैं, वरना वह क्या गुजरते, यह सोचकर की सिहरन होने लगी है। यह वही रामदेव हैं, जो रामलीला मैदान से महिलाओं के कपड़े पहनकर फरार हुए थे। उधर, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भी गरज रहे हैं कि जो भारत माता की जय नहीं बोले, उसे भारत में रहने का अधिकार नहीं है। फड़नवीस को पहले अपने राज्य की जनता को पीने का पीने देना चाहिए, उसके बाद कुछ कहना चाहिए। जैसे भूखे पेट भजन नहीं होता, ऐसे प्यास से ऐंठी जबान से भारत माता की जय निकलना मुश्किल है।
देश की सभी समस्याओं का हल भारत माता की जय में समा गया है। संघ परिवार के नेताओं को यही समझ में नहीं आ रहा है कि वे ‘जुनूं’ में क्या-क्या कह रहे हैं। जब उनका जुनून उतरता है, तो फिर कहते फिरते हैं कि मेरी बात को ‘तरोड़ मरोड़’ कर पेश किया गया है। वैसे भारत माता की जय का खुमार पांच राज्यों के चुनाव के नतीजे आते ही उतर जाएगा। जैसे बिहार में बीफ का उतर गया था। हां, उत्तर प्रदेश में अभी एक साल तक भारत माता की जय का उद्घोष चलता रहेगा।
यह कैसी विडंबना है कि जो भारतीय जनता पार्टी विकास-विकास चिल्ला रही थी, राज्यों के चुनाव जीतने के लिए सांप्रदायिक धु्रवीकरण का सहारा ले रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली यह कहते नहीं अघाते कि भारत तेजी से विकास कर रहा है। वे यह कहने से भी नहीं चूकते कि दुनिया भी भारत को चमकता सितारा बता रही है। लेकिन सच तो यह है कि देश की जनता हाहाकार कर रही है। जनता हर मोर्चे पर जूझ रही है।
लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन कहती हैं कि जब पब्लिक स्कूलों में पढ़ाने के लिए पैसे नहीं हैं, तो अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में क्यों नहीं पढ़ाते। ऐसा लगता है कि देश में ‘नीरो’ की सरकार चल रही है।
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