सलीम अख्तर सिद्दीकी
संघ परिवार की ओर से बेतुके बयान तभी क्यों आते हैं, जब चुनाव हो रहे होते हैं? यह जानने के बावजूद भी कि इस तरह के बयान भाजपा को नुकसान पहुंचाते रहे हैं? संघ की इस रणनीति के पीछे क्या वजह हो सकत है, यह तो वही जाने, लेकिन ऐसा लगता है कि मोदी सरकार की लगातर विफलता के बाद संघ परिवार को यह लगता है कि अब अंतिम हथियार राष्ट्रवाद ही बचा है, जिसके सहारे डूबती नैया को बचाया जा सकता है। तभी तो वह भगवा ध्वज बनाम तिरंगा और राष्ट्रगान बनाम वंदेमातरम का वितंडा खड़ा कर देती है। भाजपा एक अरसे से कहती रही है कि हमें लोकसभा में पूर्ण बहुमत नहीं मिलता है, इसलिए वह चाहकर भी कुछ नहीं कर सकती। राम मंदिर मामले में भी उसका यही कहना था। वह बार-बार कहती रही है कि पूर्ण बहुमत आते ही मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो जाएगा। अब भाजपा के पास 340 सीटें हैं। अब वह क्यों राम मंदिर बनाने का वादा पूरा क्यों नहीं कर रही है। अगर भगवा ध्वज तिरंगा से ज्यादा अच्छा है, तो उसे बदल क्यों नहीं देते? राष्ट्रगान की जगह वंदेमातरम क्यों नहीं ले आते? अब तो बहाना भी नहीं है कि हमारा बहुमत नहीं है। लेकिन है, बहाना है। राज्यसभा में हमारा बहुमत नहीं है। इसका इलाज भी तो है आपके पास। संयुक्त अधिवेशन बुलाकर सारे कानून पास करा लीजिए ना? कौन रोक रहा है आपको? यूं भी बकौल आपके पूरा देश मोदी सरकार के कसीदे काढ़ रहा है। जयजयकार हो रही है पूरी दुनिया में। इन किसानों और सुनारों की बात जाने दीजिए ना। ये तो एहसान फरामोश हैं। छोटी-छोटी बचत करने वाले लोगों का भी क्या है, इन्हें ये हक कहां पहुंचता है कि वे अपने भविष्य के लिए कुछ बचत कर सकें? इन लोगों का ब्याज कम करके ही तो तो पूंजीपतियों को दिए जाने वालों को कम ब्याज पर कर्ज दिया जाएगा। देश गरीब गुरबे नहीं चलाते, पूंजीपति चलाते हैं।
सच तो यह है कि मोदी सरकार की कुछ करने की नीयत ही नहीं है। यह तो बस वितंडा खड़ा करके देश में ऐसे हालात बनाए रखना चाहती है, जिससे लोग रोजी-रोजी को भूलकर तथाकथित राष्ट्रवाद पर बहस में उलझे रहें। देश की जयजयकार करते रहिए। मोदी सरकार के गुण गाते रहिए। यही भाजपा का मिशन है। इससे आगे की जो बात करेगा, वह देशद्रोही है।
संघ परिवार की ओर से बेतुके बयान तभी क्यों आते हैं, जब चुनाव हो रहे होते हैं? यह जानने के बावजूद भी कि इस तरह के बयान भाजपा को नुकसान पहुंचाते रहे हैं? संघ की इस रणनीति के पीछे क्या वजह हो सकत है, यह तो वही जाने, लेकिन ऐसा लगता है कि मोदी सरकार की लगातर विफलता के बाद संघ परिवार को यह लगता है कि अब अंतिम हथियार राष्ट्रवाद ही बचा है, जिसके सहारे डूबती नैया को बचाया जा सकता है। तभी तो वह भगवा ध्वज बनाम तिरंगा और राष्ट्रगान बनाम वंदेमातरम का वितंडा खड़ा कर देती है। भाजपा एक अरसे से कहती रही है कि हमें लोकसभा में पूर्ण बहुमत नहीं मिलता है, इसलिए वह चाहकर भी कुछ नहीं कर सकती। राम मंदिर मामले में भी उसका यही कहना था। वह बार-बार कहती रही है कि पूर्ण बहुमत आते ही मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो जाएगा। अब भाजपा के पास 340 सीटें हैं। अब वह क्यों राम मंदिर बनाने का वादा पूरा क्यों नहीं कर रही है। अगर भगवा ध्वज तिरंगा से ज्यादा अच्छा है, तो उसे बदल क्यों नहीं देते? राष्ट्रगान की जगह वंदेमातरम क्यों नहीं ले आते? अब तो बहाना भी नहीं है कि हमारा बहुमत नहीं है। लेकिन है, बहाना है। राज्यसभा में हमारा बहुमत नहीं है। इसका इलाज भी तो है आपके पास। संयुक्त अधिवेशन बुलाकर सारे कानून पास करा लीजिए ना? कौन रोक रहा है आपको? यूं भी बकौल आपके पूरा देश मोदी सरकार के कसीदे काढ़ रहा है। जयजयकार हो रही है पूरी दुनिया में। इन किसानों और सुनारों की बात जाने दीजिए ना। ये तो एहसान फरामोश हैं। छोटी-छोटी बचत करने वाले लोगों का भी क्या है, इन्हें ये हक कहां पहुंचता है कि वे अपने भविष्य के लिए कुछ बचत कर सकें? इन लोगों का ब्याज कम करके ही तो तो पूंजीपतियों को दिए जाने वालों को कम ब्याज पर कर्ज दिया जाएगा। देश गरीब गुरबे नहीं चलाते, पूंजीपति चलाते हैं।
सच तो यह है कि मोदी सरकार की कुछ करने की नीयत ही नहीं है। यह तो बस वितंडा खड़ा करके देश में ऐसे हालात बनाए रखना चाहती है, जिससे लोग रोजी-रोजी को भूलकर तथाकथित राष्ट्रवाद पर बहस में उलझे रहें। देश की जयजयकार करते रहिए। मोदी सरकार के गुण गाते रहिए। यही भाजपा का मिशन है। इससे आगे की जो बात करेगा, वह देशद्रोही है।
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