सलीम अख्तर सिद्दीकी
एक एसएमएस मिला था, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘मन की बात’ सुनने की अपील की गई थी। ‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री ने सूखे पर चिंता जाहिर की तो अच्छे मानसून की भविष्यवाणी पर खुशी भी जताई। ‘मन की बात’ सुनने के बाद एक खबर नजर से गुजरी, जिसमें बताया गया था कि महाराष्ट्र सरकार ने भाजपा सांसद और अभिनेत्री हेमा मालिनी को वो बेशकीमती जमीन कोड़ियों के भाव दे दी, जो गार्डन के लिए आरक्षित थी। हेमा मालिनी उस पर एक नृत्य एकादमी खोलेंगी। एक आरटीआई से खुलासा हुआ है कि हेमा मालिनी को मुंबई की अंधेरी तालुका स्थित आंबिवली में जो जमीन दी गई है, वह गार्डन के लिए आरक्षित है। इस जमीन को हेमा मालिनी की संस्था को महज 35 रुपये वर्ग मीटर की दर पर दिया गया है। सूखे पर चिंता जाहिर करना और एक भाजपा शासित राज्य द्वारा गार्डन के लिए आरक्षित जमीन को अपने एक सांसद को कौड़ियों के मोल दे देना क्या भाजपा सरकार की दोगली नीति नहीं है?
सूखे से त्राहि-त्राहि कर रहे महाराष्ट्र की ‘राष्ट्रवादी और संवेदनशील’ सरकार ने कुछ तो सोचा ही होगा, जो गार्डन के लिए आरक्षित जमीन नृत्य अकादमी के लिए कोड़ियों के भाव दे दी। शायद उसके मुताबिक सूखे से मुकाबला करने के लिए गार्डन की नहीं, नृत्य की ज्यादा जरूरत है। महाराष्ट्र में भरत नाट्यम, कत्थक आदि नृत्य होंगे तो इंद्र देवता प्रसन्न होंगे और सूखे से निजात दिला देंगे। वैसे भी आजकल जिस तरह मोदी सरकार में अंधविश्वास को बढ़ावा दिया जा रहा है, तो कोई ताज्जुब नहीं कि उसका यही मानना हो कि नृत्य से इंद्र देवता प्रसन्न होकर बारिश कर देंगे और सूखे का संकट खत्म हो जाएगा। अगर गार्डन के लिए आरक्षित जमीन पर कंक्रीट का जंगल खड़ा करने के लिए जमीन दे दी जाएगी, तो उससे क्या पर्यावरण नहीं बिगड़ेगा?
मोदी सरकार इस बात का खूब डंका पीटती है कि उसके शासन में कोई भ्रष्टाचार नहीं होता। 70 करोड़ की जमीन को सिर्फ 1.75 लाख में किसी को दे देना भ्रष्टाचार नहीं है क्या? क्या यह सदाचार है? ऐसा लगता है कि सूखे की मार झेल रहे महाराष्ट्र सरकार की शर्म भी सूख गई है। अब देखना यह है कि महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले पर माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्या एक्शन लेते हैं। वैसे इस बात की उम्मीद कम ही है कि मोदी सरकार महाराष्ट्र सरकार की बेशर्मी पर कुछ एक्शन लेगी।
एक एसएमएस मिला था, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘मन की बात’ सुनने की अपील की गई थी। ‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री ने सूखे पर चिंता जाहिर की तो अच्छे मानसून की भविष्यवाणी पर खुशी भी जताई। ‘मन की बात’ सुनने के बाद एक खबर नजर से गुजरी, जिसमें बताया गया था कि महाराष्ट्र सरकार ने भाजपा सांसद और अभिनेत्री हेमा मालिनी को वो बेशकीमती जमीन कोड़ियों के भाव दे दी, जो गार्डन के लिए आरक्षित थी। हेमा मालिनी उस पर एक नृत्य एकादमी खोलेंगी। एक आरटीआई से खुलासा हुआ है कि हेमा मालिनी को मुंबई की अंधेरी तालुका स्थित आंबिवली में जो जमीन दी गई है, वह गार्डन के लिए आरक्षित है। इस जमीन को हेमा मालिनी की संस्था को महज 35 रुपये वर्ग मीटर की दर पर दिया गया है। सूखे पर चिंता जाहिर करना और एक भाजपा शासित राज्य द्वारा गार्डन के लिए आरक्षित जमीन को अपने एक सांसद को कौड़ियों के मोल दे देना क्या भाजपा सरकार की दोगली नीति नहीं है?
सूखे से त्राहि-त्राहि कर रहे महाराष्ट्र की ‘राष्ट्रवादी और संवेदनशील’ सरकार ने कुछ तो सोचा ही होगा, जो गार्डन के लिए आरक्षित जमीन नृत्य अकादमी के लिए कोड़ियों के भाव दे दी। शायद उसके मुताबिक सूखे से मुकाबला करने के लिए गार्डन की नहीं, नृत्य की ज्यादा जरूरत है। महाराष्ट्र में भरत नाट्यम, कत्थक आदि नृत्य होंगे तो इंद्र देवता प्रसन्न होंगे और सूखे से निजात दिला देंगे। वैसे भी आजकल जिस तरह मोदी सरकार में अंधविश्वास को बढ़ावा दिया जा रहा है, तो कोई ताज्जुब नहीं कि उसका यही मानना हो कि नृत्य से इंद्र देवता प्रसन्न होकर बारिश कर देंगे और सूखे का संकट खत्म हो जाएगा। अगर गार्डन के लिए आरक्षित जमीन पर कंक्रीट का जंगल खड़ा करने के लिए जमीन दे दी जाएगी, तो उससे क्या पर्यावरण नहीं बिगड़ेगा?
मोदी सरकार इस बात का खूब डंका पीटती है कि उसके शासन में कोई भ्रष्टाचार नहीं होता। 70 करोड़ की जमीन को सिर्फ 1.75 लाख में किसी को दे देना भ्रष्टाचार नहीं है क्या? क्या यह सदाचार है? ऐसा लगता है कि सूखे की मार झेल रहे महाराष्ट्र सरकार की शर्म भी सूख गई है। अब देखना यह है कि महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले पर माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्या एक्शन लेते हैं। वैसे इस बात की उम्मीद कम ही है कि मोदी सरकार महाराष्ट्र सरकार की बेशर्मी पर कुछ एक्शन लेगी।
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