सलीम अख्तर सिद्दीकी
कहा गया था कि सद्दाम हुसैन के जाने से इराक में शांति आ जाएगी। वहां लोकतंत्र आ जाएगा। ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर मान चुके हैं कि इराक पर झूठ और फरेब की कहानियों के आधार पर हमला किया गया था। वे रासायनिक हथियार आज तक नहीं मिले सके, जिनका इराक में होने का दावा किया गया था। रासायनिक हथियारों का झूठ तो पहले ही सामने आ चुका था। सद्दाम हुसैन के जाने के बाद इराक में न शांति हो सकी और न ही वहां लोकतंत्र आ सका। हां, इतना जरूर हुआ कि अलकायदा और आईएस जैसे खूंखार संगठन जरूर वजूद में आ गए। अब बराक ओबामा कह रहे हैं कि सीरिया में असद सरकार जाने के बाद गृहयुद्ध खत्म हो जाएगा। वे बताएं कि कैसे गृहयुद्ध खत्म हो जाएगा? क्या वे असद के हटने के बाद शांति होने की गारंटी लेने के लिए तैयार हैं? पश्चिमी देशों की धूर्तता देखिए कि उन्होंने सीरिया में शिया-सुन्नी कार्ड खेला है। कुछ देश शिया सरकार के साथ हैं, तो कुछ तथाकथित सुन्नी संगठन आईएस के साथ। वैसे ये देश अपीलें करते हैं शांति की, लोकतंत्र की। नसीहत देते हैं दूसरों को सद्भाव बनाए रखने की। बदकिस्मती यह कि भारत में महमूद मदनी सरीखे लोग उनके बहकावे में आकर अपने आप को एक पार्टी बना लेते हैं। एहसास-ए-कमतरी में आकर उनका विरोध करने निकल पड़ते हैं, जिनका हमारे से कहीं से कहीं तक भी संबंध नहीं है। दूसरों की पैदा की गई गंदगी को खुद साफ करने निकल पड़ते हैं।
कहा गया था कि सद्दाम हुसैन के जाने से इराक में शांति आ जाएगी। वहां लोकतंत्र आ जाएगा। ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर मान चुके हैं कि इराक पर झूठ और फरेब की कहानियों के आधार पर हमला किया गया था। वे रासायनिक हथियार आज तक नहीं मिले सके, जिनका इराक में होने का दावा किया गया था। रासायनिक हथियारों का झूठ तो पहले ही सामने आ चुका था। सद्दाम हुसैन के जाने के बाद इराक में न शांति हो सकी और न ही वहां लोकतंत्र आ सका। हां, इतना जरूर हुआ कि अलकायदा और आईएस जैसे खूंखार संगठन जरूर वजूद में आ गए। अब बराक ओबामा कह रहे हैं कि सीरिया में असद सरकार जाने के बाद गृहयुद्ध खत्म हो जाएगा। वे बताएं कि कैसे गृहयुद्ध खत्म हो जाएगा? क्या वे असद के हटने के बाद शांति होने की गारंटी लेने के लिए तैयार हैं? पश्चिमी देशों की धूर्तता देखिए कि उन्होंने सीरिया में शिया-सुन्नी कार्ड खेला है। कुछ देश शिया सरकार के साथ हैं, तो कुछ तथाकथित सुन्नी संगठन आईएस के साथ। वैसे ये देश अपीलें करते हैं शांति की, लोकतंत्र की। नसीहत देते हैं दूसरों को सद्भाव बनाए रखने की। बदकिस्मती यह कि भारत में महमूद मदनी सरीखे लोग उनके बहकावे में आकर अपने आप को एक पार्टी बना लेते हैं। एहसास-ए-कमतरी में आकर उनका विरोध करने निकल पड़ते हैं, जिनका हमारे से कहीं से कहीं तक भी संबंध नहीं है। दूसरों की पैदा की गई गंदगी को खुद साफ करने निकल पड़ते हैं।
जो दुहाई दे रहा है कोई सौदाई न हो
ReplyDeleteअपने ही घर में किसी ने आग दहकाई न हो