सलीम अख्तर सिद्दीकी
महमूद मदनी साहब, अपना घर, अपना शहर, अपना देश सभी को (बॉबी जिंदल जैसे अपवाद हैं) प्यारा होता है। इसे बार-बार दोहराने की जरूरत क्या है? इसे भी बार-बार दोहराया जा चुका है कि इसलाम का आतंकवाद से कोई संबंध नहीं है। किसी ने यह भी नया नहीं कहा है कि ह्यजिसने एक बेकसूर का भी कत्ल किया, समझो उसने पूरी इंसानियत का कत्ल किया।ह्ण जरूरी नहीं कि इस बात को सभी समझ सकें। चोरी, बलात्कार, हत्या आदि अपराध हैं, इसे हर धर्म कहता है। सभी देशों में इसके लिए कठोर कानून हैं। लेकिन ये रुकते नहीं। इसका मतलब यह तो नहीं कि धर्म की शिक्षाओं में कोई कमी है। कानून अपना काम नहीं कर रहा है। आतंकवाद भी ऐसा ही अपराध है, जिसमें चंद सौ या चंद हजार लोग ही शामिल होंगे, लेकिन आतंकवाद का जिक्र आते ही एक पूरी कम्युनिटी को जिम्मेदार मान लिया जाता है।
आतंकवाद क्यों फैल रहा है, इस पर भी थोड़ा मंथन करने की जरूरत है। क्यों कुछ लोग जान लेने और देने पर आमादा हो गए हैं, इस पर भी सोचना चाहिए।
दुनिया आतंकवाद की चपेट में ऐसे ही नहीं आई है। इसके कुछ कारण हैं, जिन्हें कुछ लोग जानबूझकर नजरअंदाज करते हैं, जिससे अपनी सुविधानुसार एक समुदाय को कठघरे में खड़ा कर सकें। आतंकवाद को धर्म का चश्मा उतारकर सत्ता हथियाने और दुनिया पर अपनी दादागिरी चलाने के नजरिए से भी देखना चाहिए। कौन दुनिया पर दादागिरी चला रहा है, इसे सभी समझते हैं। लेकिन जानबूझकर आंखें बंद किए हुए हैं। हैरत इस बात पर है कि महमूद मदनी जैसे लोग भी समझने लगते हैं कि आतंकवाद के लिए मुसलमान जिम्मेदार हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा का मानना है कि सीरिया का गृहयुद्ध तब तक खत्म नहीं होगा, जब तक बशर अल असद सत्ता नहीं छोड़ देते। उधर, रूस सीरिया में अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए असद को सत्ता से बेदखल किए जाने का कड़ा विरोध करता है। दुनिया की दो महाशक्तियां के घालमेल से पैदा हुआ है आईएसआईएस जैसा शैतान संगठन। आईएसआईएस समस्या है अरब और पश्चिमी देशों की, लेकिन उसका विरोध करें भारतीय मुसलमान! ऐसा क्यों होना चाहिए? आईएसआईएस को शैतान बनाएं पश्चिमी देश, डराया जाए भारतीय मुसलमानों को! क्या भारतीय मुसलमानों का गुनाह यह है कि वे उस धर्म से ताल्लुक रखते हैं, जिससे तालिबान, अलकायदा या आईएसआईएस रखने का दावा करते हैं?
आईएसआईएस के खिलाफ सबसे पहले फतवा किसने दिया था? भारतीय मुसलमानों ने दिया था। भारतीय मुसलमान आतंकवाद के खिलाफ एक बार नहीं, कई बार फतवे दे चुके हैं। और क्या चाहिए? अब तो शायद यही कसर रह गई है कि भारतीय मुसलमान हथियार लेकर आईएसआईएस से लड़ने सीरिया या इराक चले जाएं।
महमूद मदनी साहब, अपना घर, अपना शहर, अपना देश सभी को (बॉबी जिंदल जैसे अपवाद हैं) प्यारा होता है। इसे बार-बार दोहराने की जरूरत क्या है? इसे भी बार-बार दोहराया जा चुका है कि इसलाम का आतंकवाद से कोई संबंध नहीं है। किसी ने यह भी नया नहीं कहा है कि ह्यजिसने एक बेकसूर का भी कत्ल किया, समझो उसने पूरी इंसानियत का कत्ल किया।ह्ण जरूरी नहीं कि इस बात को सभी समझ सकें। चोरी, बलात्कार, हत्या आदि अपराध हैं, इसे हर धर्म कहता है। सभी देशों में इसके लिए कठोर कानून हैं। लेकिन ये रुकते नहीं। इसका मतलब यह तो नहीं कि धर्म की शिक्षाओं में कोई कमी है। कानून अपना काम नहीं कर रहा है। आतंकवाद भी ऐसा ही अपराध है, जिसमें चंद सौ या चंद हजार लोग ही शामिल होंगे, लेकिन आतंकवाद का जिक्र आते ही एक पूरी कम्युनिटी को जिम्मेदार मान लिया जाता है।
आतंकवाद क्यों फैल रहा है, इस पर भी थोड़ा मंथन करने की जरूरत है। क्यों कुछ लोग जान लेने और देने पर आमादा हो गए हैं, इस पर भी सोचना चाहिए।
दुनिया आतंकवाद की चपेट में ऐसे ही नहीं आई है। इसके कुछ कारण हैं, जिन्हें कुछ लोग जानबूझकर नजरअंदाज करते हैं, जिससे अपनी सुविधानुसार एक समुदाय को कठघरे में खड़ा कर सकें। आतंकवाद को धर्म का चश्मा उतारकर सत्ता हथियाने और दुनिया पर अपनी दादागिरी चलाने के नजरिए से भी देखना चाहिए। कौन दुनिया पर दादागिरी चला रहा है, इसे सभी समझते हैं। लेकिन जानबूझकर आंखें बंद किए हुए हैं। हैरत इस बात पर है कि महमूद मदनी जैसे लोग भी समझने लगते हैं कि आतंकवाद के लिए मुसलमान जिम्मेदार हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा का मानना है कि सीरिया का गृहयुद्ध तब तक खत्म नहीं होगा, जब तक बशर अल असद सत्ता नहीं छोड़ देते। उधर, रूस सीरिया में अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए असद को सत्ता से बेदखल किए जाने का कड़ा विरोध करता है। दुनिया की दो महाशक्तियां के घालमेल से पैदा हुआ है आईएसआईएस जैसा शैतान संगठन। आईएसआईएस समस्या है अरब और पश्चिमी देशों की, लेकिन उसका विरोध करें भारतीय मुसलमान! ऐसा क्यों होना चाहिए? आईएसआईएस को शैतान बनाएं पश्चिमी देश, डराया जाए भारतीय मुसलमानों को! क्या भारतीय मुसलमानों का गुनाह यह है कि वे उस धर्म से ताल्लुक रखते हैं, जिससे तालिबान, अलकायदा या आईएसआईएस रखने का दावा करते हैं?
आईएसआईएस के खिलाफ सबसे पहले फतवा किसने दिया था? भारतीय मुसलमानों ने दिया था। भारतीय मुसलमान आतंकवाद के खिलाफ एक बार नहीं, कई बार फतवे दे चुके हैं। और क्या चाहिए? अब तो शायद यही कसर रह गई है कि भारतीय मुसलमान हथियार लेकर आईएसआईएस से लड़ने सीरिया या इराक चले जाएं।
बहतरीन पोस्ट।
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