सलीम अख्तर सिद्दीकी
वह मेरे मोहल्ले के एक आलीशान घर का ड्राइंगरूम था, जहां धार्मिक प्रवचन चल रहा था। घर के मुखिया हज कर आए थे और इलाके में ‘हाजीजी’ के नाम से मशहूर थे। उनके चारों ओर कुछ लोग बैठे हुए उन्हें बड़े ही ध्यान से सुन रहे थे। मैं अपने एक मित्र को ढूंढ़ता हुआ वहां पहुंचा था। इस तरह मैं भी प्रवचन में शामिल हो गया था। जो बातें हो रही थीं, कॉमन थीं, जिनके के बारे में कमोबेश सभी जानते थे, लेकिन उन पर अमल नहीं होता था। ड्राइंगरूम का दरवाजा खुला था और सड़क साफ नजर आ रही थी। सड़क के बीचोंबीच हाजीजी की लग्जरी कार को उनका बेटा धो रहा था। उसके कान में इयरफोन लगा था, जिसकी आवाज पर वह अपनी गर्दन हिलाता हुआ गाड़ी को कपड़े से रगड़ रहा था। उसकी बॉडी लैंग्वेज से नहीं लग रहा था कि वह कोई धार्मिक व्याख्यान सुन रहा है। उसके बराबर में पानी की मोटी धार छोड़ता हुआ पाइप पड़ा था। गाड़ी से निकली कीचड़ सड़क पर फैल गई थी। आने-जाने वाले कीचड़ से बचकर निकल रहे थे। ऐसा नहीं था कि हाजीजी को वह सब दिखाई नहीं दे रहा था। वह धारा प्रवाह प्रवचन दे रहे थे और तीन दिन धर्म की राह में देने पर जोर दे रहे थे। मेरा ध्यान उनकी बातों से हटकर उस पानी पर चला जाता था, जो जाया हो रहा था। पानी की बर्बादी को रोकना भी धर्म था, जो शायद हाजीजी और वहां बैठे लोगों के लिए नहीं था। अचानक माहौल में कुछ ऐसा लगा जैसे शोर कुछ कम हुआ है। मैंने देखा लड़का जिस पाइप से पानी की धार गाड़ी पर डाल रहा था, वह बंद हो गई थी। हाजीजी को कुछ भान हुआ। उन्होंने लड़के को आवाज देकर कहा, अरे, देखो बिजली चली गई है। फालतू लाइट और पंखे बंद कर दो, इन्वर्टर की बैटरी डिस्चार्ज हो जाएगी। लेकिन, लड़के को कुछ सुनाई तो तब देता, जब उसके कान में इयरफोन ठूंसे नहीं होते। हाजीजी झुंझलाकर उठे और उन्होंने एक-एक करके पंखे व लाइट बंद कीं। ड्राइंगरूम में एक सिर्फ सीएफएल टिमटिमाती रह गई। हाजीजी के चेहरे पर इत्मीनान के भाव उभर आए थे। वह फिर धार्मिक प्रवचन में लीन हो गए थे। मैंने बहुत कोशिश की कि कुछ न बोलूं, लेकिन आदत से मजबूर मैंने हाजीजी से सवाल कर ही लिया- ‘हाजीजी, एक गाड़ी धोने के लिए आपके सामने इतना पानी बर्बाद हो रहा है और आप चुपचाप देख रहे हैं? यह कौन सा धर्म है?’ हाजीजी ने टका-सा जवाब दिया, ‘अरे भाई सबमर्सिबल पंप इसलिए ही लगवाया है कि पानी का सही तरह से इस्तेमाल कर सकें। किसी और का नहीं, अपना पानी इस्तेमाल कर रहे हैं।
आपको खुद पता नहीं था कि उन्हें कैसे समझाना चाहिए था।
ReplyDeleteआप उन्हें हदीस बता देते। जिसमें कहा गया है कि फ़ालतू पानी न बहाओ चाहे दरिया के किनारे ही क्यों न बैठे हो .
आपको पानी की बर्बादी रोकने वाली हदीस का हवाला देना चाहिए था और बताना चाहिए था कि यह इसलाम के खि़लाफ़ है। अल्लाह ने क़ुरआन में फ़िज़ूलख़र्ची करने वालों को शैतान का भाई बताया है। देखिए क़ुरआन 17, 27
"निश्चय ही फ़ु़ज़ूलख़र्ची करनेवाले शैतान के भाई है और शैतान अपने रब का बड़ा ही कृतघ्न है।"
अल्लाह ने शैतान का ठिकाना जहन्नम बताया है।
हाजी जी को अपना ठिकाना जहन्नम में नज़र आता तो वह पानी बर्बाद न करते।
नेकी की बात को हिकमत यानि तत्वदर्शिता से समझाना ज़रूरी है।
saleem ji aapne jo kiya sahi kiya aur aap itna hi kah sakte the shayad dr.sahab unhe apni tarah soch rahe hain jinhe kuchh sahi bataya jaye to samjh me jaldi aa jata hai .shayad ve nahi jante ki pani aise nahi bahana chahiye islke liye kisi hadees kee nahi matr insani jazbat kee zaroorat hai. आभार मासूम बच्चियों के प्रति यौन अपराध के लिए आधुनिक महिलाएं कितनी जिम्मेदार? रत्ती भर भी नहीं .
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ReplyDeleteडॉ. अनवर जमाल साहब जिन साहब की मैं बात कर रहा हूं, वे सब को हदीसें बताते घूमते हैं। उन्हें सब पता है, लेकिन अमल नहीं करना चाहते। ऐसे लोग चाहते हैं कि हदीसों पर दूसरे अमल करें, मैं वह करूं, जो मेरा मन कहे। आजकल यह खूब कहा जाने लगा है कि क्या करें जमाने के साथ चलना पड़ता है। यही लोग शादियों में फिजूलखर्ची करते हैं, लेकिन दूसरों को हजरत उमर फारुक की मिसाल देकर किफायतशारी बरतने की सलाह देते हैं। अफसोस यह है कि ऐसे लोगों की तादाद ही ज्यादा है।
ReplyDeleteसलीम सर हो या जमाल सर सभी से विनती हे की इस तरह के मसलो को बहुत ज्यादा उछाले यकीं मानिये आज हम मुस्लिमो को आताम्निरिक्षण और आताम्परिक्षण की बहुत ही सख्त जरुरत हे जिसे देखो वाही हमारे यहाँ लम्बी चोडी तकरीरे करता रहता हे लेकिन अमल अमाल का कोई पता नहीं हे जो बात सलीम सर बता रहे हे वेसे केस तो हमने बचपन से अब तक सेकड़ो क्या हजारो देख लिए होंगे हमारे अपने रिश्तेदारों ने हमारी 40- 50 लाख की प्रॉपर्टी दबा राखी हे उधर फोन करो तो रिंग टोन भी एक मज़हबी तराना ही हे जमातो में घूमते हे सब कुछ करते हे लेकिन हमारी संपत्ति छोड़ने का कोई सवाल ही नहीं हे एक फूफा जी हे शुरू से ही पेन इस्लामिस्ट अफ्रीका के जंगल के मुस्लमान को भी अपना भाई बताते हे और उधर अपने सगे भाई से 30 साल से नाराज़ हे 15 सालो से शकल तक नहीं देखि दोनों भाइयो ने एकदूसरे की और दोनों दिल्ली में सिर्फ 12 किलोमीटर की दुरी पर रहते हे इनकी २ बच्चो की शादिय हुई दोनों समधियो से भी जानी दुश्मनी बोलचाल बंद - ससुराल से भी अब सम्पत्ति विवाद - एक परिचित भाभी जी हे गाड़ी बंगला न मिलने के कारन जिन्होंने अपने पति का जीवन नर्क बना रखा हे उधर महफ़िलो में और फेसबुक पर हमेशा दीन की बाते बताती सुनी जाती हे
ReplyDeleteसलीम सर इन जमाल सर से मेरी कुछ बहस नवभारत ब्लॉग पर हुई हे वाही मेने शायद आपके ब्लॉग और लेखो का भी हवाला दिया था सलीम सर हमारी मुसलमानों के लिए आताम्निरिक्षण और आताम्परिक्षण की बातो से नाराज़ होकर जमाल सर ने हमें गेर मुस्लिम भी कह डाला था खेर मेरा पॉइंट ये हे की हमारे यहाँ जमाल सर जेसे अनगिनत लोग हे जो हर एक एक समस्या को मज़हब से जोड़ते हे फिर हर एक मसले का हल आस्था और धर्म पुस्तको को बताते हे मेरा कहना ये हे ''Dr. Anwer Jamal को जवाब )- sikander hayat का कहना है:
ReplyDeleteFebruary 12,2013 at 09:47 PM IST
आपकी सारी बाते बिल्कुल सही है जमाल सर लेकिन मे भी सिर्फ इतना कहता हू की हम भला क्यो खास गेर मुस्लिमो को इस्लाम समझाने की अपनाने की ज़िद पकड़े बेठे रहते है कुछ लोग इस ज़िद मे इतना आगे बढ जाते है की पाकिस्तान मे ज़बर्दस्ती शादिया और भारत मे लव ज़िहाद जेसे घटनाय तक कर जाते है जो की बहुत ही गलतबात है आपको इसका कड़ा विरोध करना ही होगा दूसरी बात की गेर मुस्लिमो से पहले तो खुद हमे ही इस्लामी आदर्शो और आदेशो पर चलना होगा बताइये इतनी बड़ी मुस्लिम दुनिया मे है कही आएसा आदर्श है कही 1 गाव भी आएसा ? भारत से य कह कर पाकिस्तान बनाया ग्या था की हम सूदखोर हिन्दुओ से अलग होंगे और एक महान इस्लामी देश बनायगा .क्या 1% भी कामयाबी दिखा सके इस काम मे कोई पाकिस्तान 1-1 इंच वेसा ही रहा और है जेसा भारत ? दुनिया को छोड़ दे तो आज भी भारत मे हज़ारो इलाके मुस्लिम बहुल है वहा बना पाये दिखा सके हम कोई इस्लामी आदर्श आपस मे कोई स्पेशल बर्दाश्त भई चारा उँच नीच से रहित समाज ? हम रात दिन हर बात को इस्लाम से जोड़ते है और हर दुनियादारी के मसले का हल आस्था और धर्मग्रन्थ को बताते रहते है लेकिन खुद हम कोई आपसी समस्या आस्था से हल नही करते है बल्कि गेर मुस्लिमो की तरह ही हम भी पुलिस थाने कोर्ट के चक्कर् काटते है क्या य सब कर कर के हम खुद ही अपनी आस्था का अपमान नही कर रहे होते है ? खुदा के वास्ते जमाल साहब इन सब बातो के बारे मे भी सोच लीजिये
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ReplyDeleteसलीम भाई, आपने वहीँ पर सवाल करके बेहतरीन काम किया है। जिस तरह वोह लगे हुए अपनी समझ के हिसाब से दूसरों को समझाने में उसी तरह हमारा काम है हर गलत बात का विरोध करना।
ReplyDeleteइस तरह 'हक बात' बताने से वोह माने ना माने, कम से कम इन गलत बातों से बचने की हमारी तो उम्मीद प्रबल हो जाएगी।
कमाल हो गया सलीम सर इस दफे हमारा कमेंट पिछले 24 घाण्टे से आपके ब्लॉग पर जिन्दा हे नहीं तो पिछले दोनों कमेंट्स दिसम्बर और जनवरी के दोनों ही 1 घाण्टे के ही थे की शहीद हो गये में बड़ा हेरान था की सलीम सर जेसा लोकतान्त्रिक और उदारवादी लेखक भला ऐसा क्यों करेंगे ? हम तो यहाँ वहा आपका परचार भी करते हे फिर जब आपने पिछले दिनों आयरन लेडी का ----- लिखा तब मेरी फिर हिम्मत हुई डरते डरते फिर आये सर कही ऐसा तो नहीं हे की आपके ब्लॉग की '' चाबी '' किसी और के पास भी हो जिसने हमारे कमेंट की हत्या की हो ?
ReplyDelete@@ सिकन्दर हयात के नाम से हमें धर्म सत्य के प्रचार से रूक जाने की सलाह देने वाले भाई ! यह सवाल तो आप अपने आप से पूछिए कि आप ग़ैर मुस्लिमों को इसलाम के बारे में क्यों समझाते रहते हैं ?
ReplyDeleteआप कहते हैं कि ग़ैर मुस्लिमों से इसलाम के पक्ष में बहस करने का सर्वाधिक रिकॉर्ड शायद आपके ही नाम हो !
क्यों बनाया आपने यह रिकॉर्ड ?
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यह कहकर हमने आपको जवाब दे दिया था तो उस बात का फिर से यहाँ चर्चा क्यों ?
आपको यहाँ हमारी कही बात पर आपत्ति होती तो हमारी आलोचना करना ठीक था.
See this link:
क्या वैदिक काल में संगीत नहीं था?
सिकंदर हयात साहब ऐसी कोई बात नहीं है कि मैं अपने खिलाफ आनी वाली टिप्पणियों को डिलीट कर देता हूं। कोई तकनीकी दिक्कत रही होगी। मैं लेडी आयरन सरीखा नहीं हूं, जो अंदर की अंदर घुट रहे हैं। आप विस्फोट आदि पर भी मेरे लिखे पर कमेंट करते रहे हैं आपकी हर आलोचना का इस्तकबाल है।
ReplyDeleteशुक्रिया सलीम सर वेसे सर मेरे जो कमेंट डिलीट हुए उसमे आपकी कोई आलोचना भी नहीं थी विस्फोट पर भी मेने कभी आपकी आलोचना नहीं की हां एक दो बार ये जरुर कहा की आप मुद्दो पर और ज्यादा से ज्यादा मुखर हो वो भी इसलिए की आप बाकि अधिकांश मुस्लिम लेखको से अधिक उदार और अनुभवी लगते हे जेसे सर पिछले साल पाकिस्तानी हिन्दू लडकियों आदि का मसला था मेने बार बार आपसे अपील की थी की हमें इसमें चुप नहीं रहना चाहिए खेर हो सकता हे की आप बिजी हो ज़ाहिर हे आप बाल बच्चो वाले लोग हे हो सकता हे की समय न मिला हो कोई बात नहीं .
ReplyDeleteसलीम सर ऊपर मौजूद ब्लोगर डोक्टर अनवर जमाल साहब हमारे सेकुलारिसम और मुस्लिम आताम्निरिक्षण की बातो से नाराज़ होकर बार बार हमें गेर मुस्लिम करार देते रहते हे अब तो नाराज़गी इस कदर बड गयी हे की हमें अपने ब्लॉग से गेट आउट ही होने को कह रहे हे अपने ब्लॉग पर इस्लाम और मुस्लिम विरोधी भद्दी टिप्पणियों को ये पब्लिश करते आये हे लेकिन हमारी शालीन भाषा में हमारे मुस्लिम आताम्निरिक्षण और उदारवाद के परचार से इन्हें सख्त चिढ हे ? आपके पास जब भी समय हो आप इनके नवभारत के ब्लॉग बुनियाद के लेख '' भारत महान क्यों हे '' पर हमारी बहस देख कर बताइए की क्या उनका ये रवैया सही हे ? में बता दू की ये तो चलो एक सेकुलर गेर मुस्लिम बहुल देश हे लेकिन पडोसी इस्लामिक पाकिस्तान में भी ऐसी बहुत बहस हो रही हे की जो उदारवादी मुस्लिम विद्वान आदि लोग हिन्दुओ और हिन्दुस्तान के साथ १०० %शांति और सहस्तितव और उन्हें बराबरी देने की बात करते हे तो कुछ लोग उन्हें गेर मुस्लिम हिन्दू बनिया और जाने क्या क्या कहते हे तब उदारवादी कहते हे की कोन केसा मुसलमान हे कितना पक्का मुसलमान हे या नहीं हे इसका हाल केवल अल्लाह जान सकता हे और जानता हे और कोई भी नहीं. सो किसी को किसी के मुस्लमान होने न होने का सेर्ठीफिकेट तमगा जारी करने का लेने देने का कोई हक ही नहीं हे आप बताइए आपने बुखारी साहब और तालिबान के खिलाफ लिखा हे तो अगर वो कल को आपको गेर मुस्लिम कहे तो क्या य सही होगा ?
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