Saturday, June 16, 2012

बुढ़ाना के नवाज


सलीम अख्तर सिद्दीकी


फिल्म अदाकार नवाजुद्दीन सिद्दीकी की शोहरत भारत से निकलकर अमेरिका तक पहुंच गई है, लेकिन उनके कस्बे बुढ़ाना में अभी उनके बारे में ज्यादा चर्चा नहीं है। हां, इतना जरूर जानते हैं कि कस्बे के एक लड़के ने कुछ फिल्मों में अच्छा काम किया है। मुजफ्फरनगर जिले में हिंडन नदी के किनारे पर बसा कस्बा बुढ़ाना की सावरिया की बालूशाही बहुत मशहूर है। कस्बे का अदब से शुरू से ही वास्ता रहा है। यहां के शायर तमन्ना जमाली की शोहरत भी कुछ कम नहीं। यहां के मामूली शक्ल-ओ-सूरत वाले लड़के ने बॉलीवुड में इस कदर झंडे गाड़े कि उसे नसीरुद्दीन शाह जैसा गंभीर अभिनेता माना जाने लगा, तो कहना पड़ता है कि आने वाले समय में बुढ़ाना नवाज के नाम से जाना जाएगा। लेकिन नवाज ने यहां तक पहुंचने में कितना स्ट्रगल किया, यह वही जानते हैं। हिम्मत हार गए होते तो वापस आकर खेती कर रहे होते और बुढ़ाना में कफील की चाय और मिठाई की दुकान पर बैठकर गपबाजी कर रहे होते, जो उनके घर से थोड़े ही फासले पर है। पिता नवाबुद्दीन की सात संतानों में सबसे बड़े नवाज ग्रेज्युएशन के बाद दिल्ली नौकरी की आस में गए थे, लेकिन ग्रेजुएशन काम नहीं आई।
नौकरी तलाश करते-करते दिल्ली के मंडी हाऊस में एक दोस्त के साथ नाटक देखा। नाटक देखने का ऐसा शौक चर्राया कि डेढ़ साल के वक्फे में 200 के लगभग नाटक देख डाले। फिर नुक्कड़ नाटक करने लगे, जिससे जेब खर्च निकल जाता था। एनएसडी में दाखिला इसलिए नहीं मिला, क्योंकि कोई पूरा नाटक नहीं किया था। बड़ौदा की एमएस यूनिवर्सिटी में नाटक का कोर्स किया और दिल्ली लौटकर एनएसडी का इम्तहान पास करके उसमें दाखिला लिया। नाटक किए। फिल्मों का रुख किया तो छोटे-मोटे रोल ही मिले। वजह यही थी कि उनका चेहरा हीरो वाला नहीं था। यहां तक कि उसके खास निर्देशक दोस्त ने भी उन्हें अपनी फिल्म में छोटा-सा रोल देकर टरका दिया था। आमिर खान की ‘सरफरोश’ में  एक सीन मिला था, जिसमें वह किसी को गोली मारते हैं। वह पूरे एक मिनट का सीन भी नहीं था। अनुराग कश्यप ने भी उन्हें फिल्म ‘ब्लैक फ्राइडे’ में दो -तीन सीन दिए थे। दो-दो, तीन-तीन सीन वाली ढेरों फिल्में करने वाले नवाज जब अपना काम डायरेक्टर को दिखाते थे, तो वह इम्प्रेस तो होता था, लेकिन बड़ा काम नहीं देता था। उनकी मेहनत तब रंग लाई, जब नंदिता दास की ‘फिराक’ की एक कहानी में उन्हें लीड रोल मिला। उसके बाद प्रशांत भार्गव की ‘पतंग’ में हीरो बन गए। ‘कहानी’ की सफलता के बाद उनके पास वक्त नहीं है। नौ फिल्में एक के बाद एक रिलीज के लिए तैयार हैं। इतनी कामयाबी मिलने के बावजूद उनके पैर जमीन पर ही हैं। उनके एक रिश्ते के भाई शाहिद सिद्दीकी से उनका पर्सनल मोबाइल नंबर लेकर जब हमने उनसे बात करने की ख्वाहिश जाहिर की, तो कोई नखरा नहीं था। खुद ही चार बजे का वक्त दिया और ठीक चार बजे हमारे मोबाइल की घंटी बजी तो लाइन पर नवाज थे।

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