Sunday, March 11, 2012

बदलाव की चाहत


उत्तर प्रदेश की एक विधानसभा क्षेत्र का गांव। गांव में प्रवेश करते ही एक मेडिकल स्टोर में कुछ लोग चुनाव के नतीजे देख रहे हैं। नजरें टीवी स्क्रीन से हट नहीं रही हैं। सब में एक समानता यह है कि चाहते हैं कि सरकार बदल जाए। जैसे-जैसे नतीजे आते जा रहे हैं, सबकी सांसें ऊपर-नीचे हो रही हैं। तनाव दूर करने के लिए कोई बीड़ी फूंक रहा है, तो कोई थोड़ी- थोड़ी दूर बाद पाऊच में से तंबाकू निकालकर हाथ से रगड़कर मुंह में रख रहा है। सभी आपस में किसी उम्मीदवार के जीतने और हारने पर अफसोस और खुशी जाहिर करने में भी नहीं चूक रहे थे। टीवी स्क्रीन पर जैसे- जैसे स्थिति साफ हो रही है, सबके चेहरे पर संतोष के भाव आ रहे हैं। लेकिन जब जीतने वाली पार्टी का आंकड़ा 170 के आसपास आकर बहुत देर तक नहीं बढ़ता, तो उनमें थोड़ी बैचेनी होने लगती है। एक बुङी बीड़ी को दोबारा जलाकर बैचेनी से पहलू बदलते हुए बड़बड़ाता है, ‘त्रिशंकु की स्थिति नहीं बननी चाहिए, बहुमत पूरा आना चाहिए।’ दूसरा उसको तसल्ली देने के लिए शब्द उछालता है, ‘देखते रहो, इतनी आ जाएंगी कि दो-चार सीटों का अंतर रह जाएगा। दो-चार सीटें मायने नहीं रखतीं।’ आहिस्ता-आहिस्ता तस्वीर साफ होने लगी और आंकड़ा बहुमत के पार पहुंचा तो सभी ने जैसे चैन की सांस ही। चुनावी चर्चाओं के बीच मेडिकल स्टोर पर एक काफी बुजुर्ग महिला दवा लेने पहुंची। महिला को एहसास हुआ कि टीवी पर चुनावी नतीजे आ रहे हैं। उसने उत्सुकता से मेडिकल स्टोर वाले से पूछा, ‘भैया कौन जीत रहा है? सरकार बदल रही या ना?’ स्टोर वाले ने लापरवाही से कहा, ‘तू इससे क्या ले ताई, कोई हार रहा या जीत रहा?’ बुजुर्ग महिला ने तल्खी से कहा, ‘भैया, क्यूं न लूं सरकार के आने या जाने से? हमारी गली में हर वक्त पानी भरा रहवे है। सड़क टूटी पड़ी है। बच्चे स्कूल आते-जाते गिरते रहवे हैं उसमें। गली वालों ने कई बार अफसरों को लिखित में दिया, मगर कोई सुनता ही ना।’ महिला ने थोड़ा सांस लिया और स्टोर वाले को पैसे देते हुए बोली, जुल्म करे है सरकार भी। हमारे गली से थोड़ी दूर वाली गली तो बहुत अच्छी थी, उसे तो सरकार ने दोबारा बनवा दिया, मगर हमारी सुनते ही ना है। यूं कहेवे हैं कि तुम्हारी गली के लिए पैसा मंजूर नहीं किया सरकार ने। जिसके लिए किया वह बना रहे हैं। भैया सरकार बदल जावेगी तो हो सकता है हमारी गली के भाग भी फिर जा।’ बुजुर्ग महिला के जाते ही एक शख्स न जुमला उछाला, ‘ऐसी गलियां पूरे उत्तर प्रदेश में हैं।’

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