Thursday, April 2, 2009

संघ परिवार का नया मोहरा वरुण

सलीम अख्तर सिद्दीक़ी
मैंने वरुण के आगे गांधी लगाना बंद कर दिया है, क्योंकि वरुण के आगे गांधी लगाना महात्मा गांधी का अपमान है। महात्मा गांधी वो शख्स थे, जो अहिंसा के कायल थे। वरुण हिंसा की बातें करके समाज का बांटने का काम कर रहा है। उसके स्वर्गीय पिता ने भी इमरजैंसी के दौरान हिंसा के बल पर देश की जनता को हांकने की कोशिश की थी। लेकिन देश की जनता ने उन्हें किनारे लगा दिया था। संघ परिवार को वरुण में संजय की झलक दिखायी दे रही है। संघ परिवार को हमेशा से ही खून और आग में वोट चमकते हैं। वरुण हाथ काटने और जला देने की बात कर रहा है, इसलिए वरुण संघ परिवार का नया मोहरा बन गया है। आपत्तिजनक अवस्था में देखा। जैसे इतना की काफी नहीं था। आतंकवादियों को सम्मान के साथ संघ परिवार को ऐसे ही मोहरों की तलाश रहती है। पुराने मोहरे बूढ़े हो गये हैं। उनकी धार को देश की जनता और वक्त ने कुंद कर दिया है। जिने मोहरों के सहारे सत्ता हासिल की थी, उन्हें कूड़ेदान में डाल दिया है। सत्ता मिली तो भ्रष्टाचार के मामले में कांग्रेस को अच्छा कहलवा दिया। देश की जनता ने सिर्फ इन्हीं लोगों को नोट और औरत के पीछे भागते देखा। लोगों ने नोटों के बंडलों को चुपके से दराज में रखते और पैसे को दूसरा खुदा बताते हुए माथे से लगाते देखा। नैतिकता का पाठ पढ़ाने वाले संघ के एक पदाधिकारी को एक महिला के साथ कंधार तक हिफाजत के साथ छोड़ते देखा। गुजरात को एक सम्प्रदाय के खून से रंगते देखा। ईसाईयों के लिए उड़ीसा की जमीन तंग करते देखा। ईसाईयों को जंगलों में रहने के लिए मजबूर करते देखा। जिन लोगों ने यह सब किया उन्हें सजा देने के बजाय सत्ता की कुर्सी सौंपते देखा।
इस चुनाव में भाजपा के पास जनता के सामने वोट मांगने के लिए जाना था। कोई मुद्दा नहीं था। वरुण को उकसाया गया। उसके मुंह से वह सब कहलवाया गया, जिससे समाज में नफरत फैले, दंगे हों, कर्फ्यू लगे और वोटों की फसल लहलाने लगे। पीलीभीत में गेंहूं की फसल कट रही है। लेकिन भाजपा वहां वोटों की फसल बोना चाहती है। वरुण झांसे में आ गया। अब जेल की हवा खा रहा है। संटा परिवार को अभी पता ही नहीं चला है कि जिस राजनीति को वह बार-बार आजमाना चाहता है, उस राजनीति के दिन कब के लद चुके हैं। देश का हर आदमी चाहे वह किसी भी सम्प्रदाय से ताल्लुक रखता है। सबसे पहले दो जून की रोटी चाहता है। भूखे पेट तो भजन भी नहीं होता। सच तो यह है कि संध परिवार और तालिबान का मकसद एक ही है। तालिबान इस्लाम के नाम पर तो संघ परिवार का हिन्दुत्व के नाम पर बेगुनाह लोगों को मारने की बात करता है। न तो तालिबान का इस्लाम को कुछ लेना-देना है और न ही संघ परिवार का हिन्दुत्व से कोई वास्ता है। वरुण को जेल में करने के लिए कुछ नहीं होगा। उसे जेल में चिंतन करना चाहिए कि उनकी मां, जो जानवरों के खरोंच आने पर भी भावुक हो उठतीं हैं, इंसानों की जान लेने की बात करके वह अपनी मां के आन्दोलन को खत्म करना चाहता है या संघ परिवार का मोहरा बनकर एक दायरे में सिमटना चाहता है।

12 comments:

  1. वरुण के आगे गांधी लगाना महात्मा गांधी का अपमान है...


    और इन्दीरा, राजीव, सोनिया, संजय... के आगे लगाना गाँधी का सम्मान है? :)

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  2. पड़कर बहुत खुशी हुई / मे ये जानलेना चाहता हू कि, कौनसी टूल यूज़ करके आपने हिन्दी टाइप करते हे ? रीसेंट्ली मे यूज़र फ्रेंड्ली टाइपिंग टूल केलिए सर्च कर रहा ता, तो मूज़े मिला " क्विलपॅड ". ये तो 9 भाषा मे उपलाबद हे और इस मे तो रिच टेक्स्ट एडिटर भी हे / आप इसिक इस्तीमाल करते हे क्या...?

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  3. वरुण के आगे गांधी लगाना महात्मा गांधी का अपमान है...


    और इन्दीरा, राजीव, सोनिया, संजय... के आगे लगाना गाँधी का सम्मान है? :)
    बहुत सही सवाल है जवाब दीजीये महोदय ?
    या सारी दुनिया गांधी शब्द को प्रयोग करने मे आपकी अनुमती लेकर ही काम करेगी :)

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  4. गांधी जितना पवित्र नाम का इस्तेमाल एक आदमी हिंसा फैलाने के लिये कर रहा है। मार-काट की बातें सार्वजनिक रूप से कहता फिर रहा है। जबकि वो ना किसी को कटेगा या मरेगा। लेकिन गांधी नाम के सहारे की लाठी को घटीया बयानबाजी में इस्तेमाल कर रहा हैं। एक-एक आदमी जानता है कि ये वरूण की विचारधारा नही है किसकी है ये बताने की जरूरत भी नही है। और अगर राहूल, प्रियंका या सोनिया जैसे नेता गांधी शब्द का इस्तेमाल कर रहे है तो वो इंसानी लाशों के ढेर पर तो राजनीति नही कर रहे हैं। सभी जानते है कि चलते-फिरते जिन्दा इंसानों को मारकर, काटकर, जिदां जलाकर कुर्सीयां कौन हासिल करता है। और मरने कटने वाला कोई और नही मैं और तुम ही होते है। इसमें कोई वरूण गांधी हो या याकूब कुरेशी। उसका विरोध होना जरूरी है बेहद जरूरी।

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  5. सलीम जी आपने संजय जी की बात का जवाब नहीं दिया। बाकी लोगों के नाम के आगे गाँधी लगाना सम्मान कैसे है? इन्दिरा गाँधी - इमरजेंसी और अन्य दंगों के लिये, राजीव गाँधी - सिखों के हत्याकांड के वक्त चुप्पी साधने वाले, सोनिया - इस देश के सर्वोच्च परिवार की बहू(?) होने 15 साल बाद तक भारत की नागरिकता न लेने वाली, मिशनरी गतिविधियों को बढ़ावा देने वाली, संजय गाँधी - इमरजेंसी में जबरिया नसबन्दी करवाने वाले रंगीले रसिया… लिस्ट गिनाने चलूं तो यह बाक्स छोटा पड़ जायेगा… 60 साल में भारत में जितने भी दंगे हुए उसके पीछे अधिकतर कांग्रेसी सरकारें रहीं… और आपको सिर्फ़ वरुण के नाम के आगे इसे लगाने में शर्म आ रही है? थोड़ा आँखें खोलिये जनाब… गाँधी कोई भी हो सब एक जैसे हैं…

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  6. जी नेटवर्क का आपके ब्लॉग पर हमला ये बताता है की उन्हें बात कुछ अधिक ही चुभ रही है

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  7. भारत विभाजन के बाद से गांधी शब्‍द स्‍वयं में एक अपमान जनक शब्‍द है।

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  8. मैंने यह नहीं कहा था कि वरुण को अपने नाम के आगे गांधी शब्द का प्रयोग नहीं करना चाहिए। यह मैंने कहा था कि मैंने उसके नाम के आगे गांधी लगाना बन्द कर दिया है। मैं अपनी मर्जी किसी पर थोप नहीं रहा । न ही मै किसी से यह कह रहा हूं कि वो वरुण के आगे गांधी शब्द का प्रयोग न करें। मुझे लगता है कि हिंसा की बातें करने वालों को उस आदमी का उपनाम नहीं जोड़ना चाहिए, जो अहिंसावादी था। जहां तक सोनिया, राजीव या राहुल की बात है तो उन्होंने कभी भी इस तरह की बातें नहीं कि थीं। यह ठीक है कि कांगेस सरकार के दौरान दंगें हुऐ। लेकिन इस बात को भी अच्छी तरह समझ लें कि 1986 से लेकर 1992 तक हुए दंगों की जितनी भी जांच रिपोर्ट आयी हैं, उनमें संघ परिवार को ही दोषी ठहराया गया है। इसमें भी कोई शक नहीं कि संघ विचारा धारा के लोग लगभग हर राजनैतिद दल, नौकरशाही और मीडिया में मौजूद हैं। यही लोग सबसे ज्यादा बावेला मचाते हैं। खुद नरसिंहा राव संघी रहे थे, जो चुपचाप टीवी पर मस्जिद का शहीद होते देखते रहे थे। मैं फिर स्पष्ट कर दूं कि मैं हमेशा से ही फासिस्ट विरोधी ताकतों का विरोधी रहा हूं और रहूंगा। एग्रीगैटर पर पुरानी पोस्ट भी मौजूद होती हैं। कमेंटस देने से पहले ब्लॉगर का इतिहास जान लेना भी जरुरी है। हम जैसे लोगों की त्रासदी यही है कि हम मुसलमानों के लिए भी विलेन हैं और संघ परिवार के तो हैं हीं। यह बात भी स्पष्ट करना जरुरी है कि संघ परिवार देश के सभी हिन्दुओं का ठेकेदार नहीं है। इसलिए संघ परिवार की आलोचना करना हिन्दुत्व अथवा हिन्दुओं की आलोचना करना नहीं है। जैसे तालिबान का विरोध करना इस्लाम का विरोध नहीं है। लेकिन समस्या यह है कि संघ परिवार तो सीधे ही इस्लाम को गाली देता है।

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  9. सही कहा सलीम साहब. संघ परिवार ने हिन्दुओं का ठेका नहीं ले रखा है. हिन्दुओं को यह कार्य भी 'आउटसोर्स' कर देना चाहिए. किसे, यह जरा आप ही फरमा दें तो बेहतर होगा.
    आपकी लेखनी संघ और तालिबान पर चल रही है........... पर उन भारतीय तालिबानियों का क्या जो पूर्वांचल के बहराइच जिले में मुस्लिम बहुल गाँव में संगीत पर पाबन्दी लगा रहे हैं.... जरा इन पर भी नजर ए इनायत फरमाएं. देश में चूहों की तरह भरते जा रहे बांग्लादेशियों का क्या? ......शायद वे आपके एजेंडे से बाहर हैं.

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  10. सही कहा सलीम साहब. संघ परिवार ने हिन्दुओं का ठेका नहीं ले रखा है. हिन्दुओं को यह कार्य भी 'आउटसोर्स' कर देना चाहिए. किसे, यह जरा आप ही फरमा दें तो बेहतर होगा.
    आपकी लेखनी संघ और तालिबान पर चल रही है........... पर उन भारतीय तालिबानियों का क्या जो पूर्वांचल के बहराइच जिले में मुस्लिम बहुल गाँव में संगीत पर पाबन्दी लगा रहे हैं.... जरा इन पर भी नजर ए इनायत फरमाएं. देश में चूहों की तरह भरते जा रहे बांग्लादेशियों का क्या? ......शायद वे आपके एजेंडे से बाहर हैं.

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  11. salim sahab aap ki baat sahi hai varun gandhi prakaran mein uttar pradesh ki mukhy mantri shushri mayavati bhi shamil thi isiliye varun gandhi ko highlight karne k liye rashuka lagaya gaya tha .

    loksangharsha.blogspot.com

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