Wednesday, April 1, 2009

फासिस्ट ताकतों का विरोध जरुरी

सलीम अख्तर सिद्दीकी
३१ मार्च की मेरी पोस्ट वरुण पर रासुका सही फैसला पर तीखे कमेंटस आए हैं। दरअसल, जिन लोगों ने भी मुझ पर कमेंटस किए हैं, उन्होंने मेरी सभी पोस्ट नहीं पढ़ी हैं। मैं फासिस्ट ताकतों का हमेशा से विरोध करता रहा हुुं। वे ताकते चाहे मुस्लिम हो या फिर हिन्दू। हालांकि इरशाद भाई ने मेरी तरफ से सब कुछ कह दिया है। फिर भी सोचा कि चलो स्थिति को साफ कर दिया जाए। मै अपनी एक पुरानी पोस्ट प्रकाशित कर रहा हूं। हो सकता है कि उससे गलतफहमियां दूर हो जाएं। अन्त में एक बात यह कि इस देश की फासिस्ट ताकतों का विरोध करना बहुत आवश्यक है। यदि ऐसा नहीं किया गया तो हमारे बच्चों का मुस्तकबिल रोशन नहीं होगा।

बाबरी मस्जिद, गुजरात, आतंकवाद और पाक
मुंबई के आतंकी हमलावरों ने जब ताज होटल में कुछ लोगों को बंधक बनाया तो बंधकों में से एक ने हिम्मत करके पूछा ÷तुम लोग ऐसा क्यों कर रहे हो ?' इस पर एक आतंकी ने कहा, ÷क्या तुमने बाबरी मस्जिद का नाम नहीं सुना ? क्या तुमने गोधरा के बारे में नहीं सुना ?' आतंकी बाबरी मस्जिद और गुजरात का हवाला देकर अपनी नापाक हरकत को पाक ठहराने का कुतर्क दे रहे थे। सिर्फ मुंबई ही नहीं देश के अन्य हिस्सों में हुई आतंकी वारदात को अंजाम देने वाले संगठन बाबरी मस्जिद और गुजरात को ढाल बनाते रहे हैं। इन आतंकियों से पूछा जाना चाहिए, जिन बेकसूर लोगों को तुम निशाना बनाते हो क्या वे लोग बाबरी मस्जिद विध्वंस और गुजरात दंगों के लिए जिम्मेदार थे ? आतंकी हमलों में मारे गए उन बच्चों का क्या कसूर था, जिन्होंने बाबरी मस्जिद विध्वंस और गुजरात दंगों के बाद ही दुनिया देखी थी ? भारतीय मुसलमानों की हमदर्दी का नाटक करने वाले आतंकी संगठन क्या इस तरह से फायरिंग करते हैं या बमों को प्लांट करते हैं कि मुसलमान बच जायें और दूसरे समुदाय के लोग मारे जायें। आतंकियों को मालूम हो चुका होगा मुंबई हमलों में ही ४० मुसलमानों ने अपनी जान गंवाई है और ७० के लगभग घायल हुऐ हैं। पहले भी मुसलमान आतंकी हमलों के शिकार होते रहे हैं। मुसलमानों को निशाना बनाकर वे बाबरी मस्जिद और गुजरात का कैसा बदला है, यह समझ से बाहर है।
दरअसल, बाबरी मस्जिद और गुजरात का नाम लेकर आतंकी भारतीय मुसलमानों की हमदर्दी हासिल करने के साथ ही मुसलमानों और हिन्दुओं के बीच की दूरी बढ़ाना चाहते हैं। लेकिन दोनों ही समुदायों ने उनकी चाल को कभी कामयाब नहीं होने दिया। मुंबई हमलों के बाद तो हिन्दुओं और मुसलमानों की बीच की दूरियां कम ही हुई हैं। इससे बड़ी क्या बात हो सकती है, भारतीय मुसलमान मारे गए आतंकियों को भारत की सरजमीं पर दफन होते भी नहीं देखना चाहते। आतंकियों और पाकिस्तान के खिलाफ मुसलमानों का गुस्सा इस बात का संकेत है कि मुसलमान भी अब बाबरी मस्जिद और गुजरात को को आतंकियों की ढाल बनता नहीं देखना चाहते हैं।
बाबरी मस्जिद विध्वंस और गुजरात दंगे हमारे देश का अपना मसला है। भारतीय मुसलमानों ने बाबरी मस्जिद विध्वंस और गुजरात दंगों का बदला लेने के लिए पाकिस्तानियों को अधिकृत नहीं किया है। मुसलमानों को अपने देश के संविधान और न्यायपालिका पर भरोसा है। मुसलमान अपने उपर होने वाले जुल्म की लड़ाई को इस देश के हिन्दुओं के सहयोग से लड़ता रहा है। मुसलमानों ने कभी पाकिस्तान से मदद नहीं मांगी और न ही मांगना चाहते हैं। गुजरात और बाबरी मस्जिद की आड़ में आतंक बरपाने वाले लोगों के देश में गुजरात और बाबरी मस्जिद जैसे हादसों की गिनती करना मुश्किल है। पाकिस्तान में नमाजियों से भरी मस्जिद को बमों से उड़ाकर कौनसी मस्जिद के विध्वंस का बदला लिया जाता है ? आत्मघाती हमलों में बेकसूर लोगों की जान लेकर किस गुजरात का बदला लिया जाता है ? भारतीय मुसलमानों पर होने वाले अत्याचार का बहाना बनाकर आतंकी वारदात करने वालों को पहले अपने देश के उन मुसलमानों पर गौर करना चाहिए, जिन्हें आज तक भी पाकिस्तानी होने का सर्टीफिकेट नहीं मिल सका है। बंटवारे के समय पाकिस्तान गए भारतीय मुसलमानों पर से ६० साल बाद भी महाजिर (शरणार्थी) होने का लेबल हटा नहीं है।
एक हादसे की बदौलत ÷मिस्टर १० परसेन्ट' से मिस्टर १०० परसेन्ट बने आसिफ अली जरदारी की बेशर्मी देखिए कि वह सबूत होने के बाद भी यह मानने को तैयार नहीं हैं कि आतंकवादी पाकिस्तान से ही ट्रेनिंग लेकर आए थे। उनके झूठ का पर्दाफाश करने वाले निजी न्यूज चैनल पर देशद्रोह का मुकदमा कायम करके आसिफ जरदारी लोकतन्त्र में तानाशाह जैसा बर्ताव कर रहे हैं।

12 comments:

  1. इस्लाम दुनिया के किसी भी फासिस्ट ताकत से बहुत ज्यादा खतरनाक और सभ्यता-विरोधी/मानवता-विरोधी है।
    भारत के टुकड़े किसने कराये? काश्मीर से हिन्दुओं के सफाये के पीछे कौन से फासिस्ट जिम्मेदार हैं? पूरे देश में ९५% विस्फोट किसने कराये?

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  2. aap ne achaa likha hai lekin aap kye bichar se kitne muslim sahmat honge aap log babri mazid ka nam lete ho gujrat kye dango ka nam leto ho lekin kashmir kye un hinduo kye bare main kucha nahi bolte jinka sb kuch chin kar wahan se mar peet kar bhaga diya
    akhir aap log eske baren main kiyun nahi bolte or kabtuk nahi bologe jub tuk nahi bologe tub tuk yese neta yun hi bolte rahen ge

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  3. ये गूंगे और बहरों की बस्‍ती है
    खुदा जाने किस तरह जलसा हुआ होगा।

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  4. चाहे गूजरात हो या बाबरी मस्जिद मामला, कश्मीर हो या जयपूर की बात। इसके पीछे के मकसद को समझना जरूरी है। और हम हिन्दू-मुस्लिम राग अलापने पर उतारू है। जिसने बम फोड़ा है इस्लाम या जेहाद के नाम पर, उसका इस्लाम या जेहाद से भला क्या सरोकार और जो मन्दिर बनायेगा राम के नाम पर वो भला हिन्दूत्व की रक्षा क्या करेगा। हममें से ही कुछ लोग कम और जाते है, उनकी कुर्सीयों के ओहदे और बढ़ जाते हैं। दोस्तो मैं ऐसे किसी हिन्दू को नही जानता जो इस्लाम से नफरत करता हो, वो इस्लाम से नही उसकी आड़ में अपना मकसद पूरे करने वालों के खिलाफ बोलता हैं। और ना मैं ऐसे किसी मुसलमान को जानता जो इस प्राचीन और सनातनी धर्म के खिलाफ हैं। रही बात वरूण की वो ये सब जीतने के लिये कर रहा है, मीडिया ने उसको उठा दिया है। हमारे यहां ही एक चिन्दी चोर ने 51 करोड़ की धनराशी का एलान कर दिया था। आज उसी की रोटीयां वो सेक रहा हैं। ब्लाॅगर तो फिर भी समझदार प्राणी है, उसको इस स्ंटट को समझना चाहिये। और सबसे सच्ची बात बताता हूं कोई चाहे हिन्दू हो या हो मूसलमान या जैन या पंजाबी या फिर ईसाई। सब लोग पहले अपनी रोटी अपने चूल्हे कि फिकर के लिये घर से निकलते हैं जिनके पेट भरे हुए है और जो बहके हुए है वो इसके लिये चिल्लाये एक दूसरे पर आरोप लगाए और कीचड़ उछाले। जरा देखना हम तो ऐसा नही कर रहे। अपने हरि भाई दुश्यंत का शेर सुनाकर चलते बने।

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  5. सही लिखा है। पर फासिज्‍म का विरोध सफाई देकर नहीं हो सकता। बेशक इस्‍लामी कट्टरता को कतई बख्‍शना नहीं चाहिए पर हमारे लिए आज का जिंदा सवाल हिंदू फासिज्‍म है।

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  6. Me DEEPAK THAPLIYAL hoon. Me Dehradun se hoon. Me ali bhai ki baat se bilkul sehemat hoon. Aakhir kab tak, kab tak ye politicans hume jati, dharm, state ke naam par baatte rahenge?
    Jab bhi chunav aata hai, man me ek aajeb sa dar beth jata hai. Phir wahai mandir masjid ki baaten. Ye politicans hume ek indian ki nazar se kab dekhenge! Har Inhe hum hindu aur muslim hi Q dikte hai?
    Mere kan ye sunne ko taras gaye ki "MANDIR AUR MASJID EK SAAT BANENGE"
    Agar koi party aaise ghosna karti to yakeen maniye sabse jayada vote usi ko milte aur wahai hoti ek aam aadmi ki party........

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  11. आपने फासिस्‍ट ताकतों के प्रतिरोध की बात कही, उसमें मुसलिम और हिंदू कट्टपंथी दोनों ही शामिल हैं।
    लेकिन अनुनाद जी फिर संघी एजेंडे पर लगे इस्‍लाम को गरियाने...

    ये लोग असल में नहीं चाहते कि सभी धर्म के लोग मिलकर उस व्‍यवस्‍था के खिलाफ खड़े हों, तो हिटलर, मुसोलिनी, लादेन, मोदी, मुत्तालिक आदि को जन्‍म देती है। आप कुछ भी बात‍ कीजिए, चाहे आतंकवाद की हो, धर्म की हो, रोजगार की हो; ये लोग मुसलमान मुसलमान चिल्‍लाना शुरू कर देंगे।

    बाकी, कपिल की बात से सहम‍त हूं। क्‍योंकि ये ताकतें ही, तमाम तरह के आतंकवाद को खाद पानी दे रही हैं।

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