Monday, November 24, 2008

पुलिस, लड़कियां और मीडिया

अपराध आजकल रोजमर्रा की बात है। अखबार प्रत्येक सुबह कत्ल, लूट, बलात्कार की खबरों से पटे रहते हैं। अब इन सब को समाज ने जैसे आत्मसात सा कर लिया है। लेकिन कुछ खबरों को मीडिया ऐसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश करता है कि उनकी गूंज न सिर्फ देर तक बल्कि पूरे देश में सुनी जाती है। खबर कस्बाई संस्कृति को अलविदा कहकर मैट्रो कल्चर को अपनाने को आतुर दिल्ली से मात्र सत्तर किलोमीटर दूर मेरठ की है। मिस मेरठ रह चुकी प्रियंका चौधरी की अपने सगे माता-पिता की हत्या के आरोप में गिरफ्तारी की खबर को मसालेदार बनाने में मीडिया ने हदें लांघ दीं। इस खबर की खास बात यह है की इसमें एक लड़की जो, मिस मेरठ रह चुकी है, पर आरोप है कि उसने जायदाद के लिए अपने माता-पिता का कत्ल अपनी एक दोस्त अन्जू के सहयोग से किया है। इस देश में जायदाद के लिए मां-बाप को मार डालना और भाइयों के बीच कत्लोगारद नई नहीं है। इस तरह की खबर छपती हैं और गायब हो जाती हैं। लेकिन यहां मामला चटखारेदार था। लड़की ग्लैमर की दुनिया से ताल्लुक रखती थी। इसलिए बड़ी खबर बन गयी। यदि इन कत्लों में लड़कियों पर आरोप नहीं लगता तो क्या तब भी मीडिया इसी प्रकार इस खबर को हाईलाइट करता ? क्या लड़कियों के आरोपित होने से ही कोई खबर बड़ी हो जाती है ? सवाल यह भी है की अगर इस हत्याकांड में आरोपित होने वाली लड़कियां मामूली घरों की और ग्लैमरहीन होती तो क्या तब भी मीडिया इतनी ही तवज्जो देता ? पुलिस ने बगैर यह जाने कि एक लड़की ने अपने सगे माता-पिता की हत्या किन हालात में और क्यों की, दोनों लड़कियों को जेल भेज दिया। कहा जा रहा है कि हत्याएं जायदाद के लिए हुईं हैं। यदि जायदाद ही कत्ल का कारण था तो प्रियंका अपने इकलौते भाई गौरव का कत्ल करती, जिसके बाद सारी जायदाद प्रियंका को ही मिलनी थी। पुलिस की कहानी पर हमेशा की तरह मीडिया ने सवालों की बौछार कर दी। सवाल तब और तीखे हो गये, जब इसी गहमागहमी में यह पता चला कि बबीता चौधरी के पति के कत्ल मामले में भी गलत लोगों को जेल भेजा गया था। पुलिस की कहानी पर शक इसलिए भी होता है कि उसने उन सभी करेक्टरों को क्लीन चिट दे दी है, जिन पर प्रियंका और अन्जू ने उंगलियां उठायी थीं। जेल में भी दोनों लड़कियों से वकीलों और स्वयंसेवी संगठनों के उन लोगों से अकेले में नहीं मिलने दिया जा रहा है, जो दोनों लड़कियों को कानूनी मदद करना चाहते हैं।
कत्ल क्यों हुऐ ? प्रियंका और अन्जू ने अकेले किए या कोई तीसरा भी था ? इन सब सवालों से बड़ा सवाल यह है कि केवल अनुमानों और सुनी सुनाई बातों के आधार पर प्रियंका और अन्जू को ÷लेस्बियन' क्यों घोषित कर दिया ? वो भी तब, जब कत्ल का कारण दोनों लड़कियों का लेस्बियन होना सामने नहीं आया है ? लड़कियों के चरित्र पर आरोप लगाकर उन्हें उस गुनाह की सजा क्यों दे दी गयी, जो केवल अनुमानों पर आधारित था ? उनके चरित्र की हत्या का जिम्मेदार कौन है ? शर्मनाक बात यह है कि मेरठ के एसएसपी ने यह कहकर कि ÷अन्जू एक मेल करेक्टर की तरह है', ने भी इशारों ही इशारों में प्रियंका और अन्जू को 'लेस्बियन÷ करार दे दिया।
मीडिया ने दोनों लड़कियों को लेस्बियन साबित करने के लिए जिस एंगिल से खबरें लगायी हैं, वह भी कम शर्मनाक नहीं है। मसलन, खबर लिखी गयी कि ÷दोनों लड़कियों को एक ही बैरक में नहीं रखकर अलब-अलग बैरकों में रखा गया।' एक खबर थी 'दोनों सहेलियों ने पूरी रात अपनी-अपनी बैरक से एक दूसरे को देखकर रात काटी। और सुबह दोनों एक दूसरे से गले लगकर खूब रोईं।÷ सवाल यह है कि क्या दो इंसानों के बीच केवल सैक्स का रिश्ता हो सकता है ? अन्जू ने मीडिया से यह भी तो कहा था कि प्रियंका से ही उसे पहली बार बहन और मां जैसा प्यार मिला है। इस बात को मीडिया ने क्यों भुला दिया ? दोनों लड़कियों ने कत्ल किए या नहीं इसका फैसला अब अदालत करेगी। लेकिन पुलिस और मीडिया ने बगैर किसी सबूत के दोनों लड़कियों पर जो तोहमत आयद कर दी है, उसका फैसला किस अदालत में होगा ? क्या अब वक्त नहीं आ गया है कि मीडिया अपने लिए भी एक आचार संहिता लागू करके करके संयम का परिचय दे। इलैक्ट्रॉनिक मीडिया तो टीआरपी के फेर में पड़कर अपनी विश्वसनीयता तो खोता ही जा रहा है। क्या अब प्रिंट मीडिया भी प्रसार संख्या की लड़ाई में अपनी मर्यादा लांघने लगा है ? मीडिया को यह नहीं भूलना चाहिए कि समाज के प्रति उसकी भी कुछ जिम्मेदारी है, जो उसने लगता है बाजार के हाथों गिरवी रख दी है।

170, मलियाना, मेरठ

2 comments:

  1. आज की पत्रकारिता व्यवसायfक हो गई है। क्योकि हाई प्रोफाइल परिवार की लड़किया थी, सो मीडिया ने बिकने वाली खबर समझकर इसे प्रमुखता दी। लडकियों के चेहरे फोटोजनिक थे । सो उन्हें भी छापा किंतु लड़कियों द्वारा बताई कहानी किसकी जिम्मदारी है। मीडिया तो अब खुद ही केस ट्रायल्स भी शुरू कर चुका है। जो गलत आेर जा रहा है

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  2. kya baat hai saleem bhai....bahut babak vichar hai ...& deep in to the news of backdroup.

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