सलीम अख्तर सिद्दीकी
चुनाव प्रचार में भले ही मोदी आगे नजर आ रहे हों, लेकिन दरहकीकत मोदी का चुनावी रथ रोकने के लिए दूसरे राजनीतिक दलों से ज्यादा भाजपा के नेता ही ज्यादा सक्रिय हैं। मोदी को भीतर घात का खतरा दरपेश है। भाजपा में मीर जाफर और जयचंदों की बड़ी फौज मोदी को पटकनी देने के लिए तैयार है। सूत्र बताते हैं कि नरेंद्र मोदी इस बात से ज्यादा बौखलाए हुए हैं कि उनकी ही पार्टी के लोग विश्वाघात पर आमादा हैं। दरअसल, मोदी के तानाशाही रवैये के चलते भाजपा नेताओं में यह घबराहाट है कि चुनाव के बाद उन्हें किनारे लगा दिया जाएगा और मोदी अपने विश्वासपात्रों को ही सरकार में ज्यादा तवज्जो देंगे। जानकार बताते हैं कि वैसे भी नरेंद्र मोदी जल्दी से किसी पर विश्वास नहीं करते हैं।
कहा जाता है कि भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह की कोशिश है कि मोदी 200 सीटों के आसपास ही सिमट जाएं। इसके लिए उन्होंने प्रयास भी किए हैं। जिन सीटों पर राजपूत वोटों की संख्या ज्यादा है, वहां राजनाथ सिंह ने यह संदेश पहले से ही दे दिया था कि भाजपा उम्मीदवार को हराने के लिए वोट किया जाए। ऐसा किया भी गया है। यह अलग बात है कि सब कुछ बेहद गोपनीय तरीके से किया गया है। दरसअल, राजपूतों में पहली बार आस जगी है कि कोई राजपूत प्रधानमंत्री बन सकता है। फॉर्मला वही पुराना है कि यदि भाजपा की सीटें 200 के आसपास रहती हैं, तो ‘उदारवादी’ चेहरे के नाम पर एनडीए से कुछ ऐसे दल जुड़ जाएंगे, जो मोदी की वजह से उसका हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि मोदी से खफा नेताओं ने भी अपने समर्थकों को गोपनीय तरीके से यह संदेश दिया था कि चुप रहे हैं या मोदी कोे रोकने के लिए काम करें।
कहा यह भी जाता है कि भाजपा के अगड़ी जाति के नेता नहीं चाहते कि कोई पिछड़ी जाति का नेता प्रधानमंत्री बने। उन्हें डर सता रहा है कि यदि नमो पीएम बन जाते हैं, तो भाजपा से अगड़ी जातियों का लगभग सफाया जो जाएगा। भाजपा में हमेशा ही अगड़ी जातियों का वर्चस्व रहा है। नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से अगड़ी जाति के नेताओं-मुरली मनोहर जोशी, लालकृष्ण आडवाणी, जसवंत सिंह और सुषमा स्वजराज को हाशिए पर डाला है, उससे आशंका है कि भाजपा के 200 सीटों के आसपास सिमटने के बाद ये नेता खुलकर मोदी के विरोध में खड़े हो जाएंगे। यदि मोदी अबकी बार प्रधानमंत्री बनने से चूक गए, तो इसके पीछे भीतर घात सबसे बड़ा कारण होगा।
Haqikat me yahi hoga aur yeh me chunao shuru hote hi likh bhi chuka hun
ReplyDeleteabsolutely right speculations .
ReplyDeleteविषय से अलग एक बात सलीम सर की जो मेरठ में हुआ की समझ नहीं आता की एक तरफ तो 95 % मुस्लिम लेखक पत्रकार रहनुमा कहते हे की दंगो में मुस्लिमो का भारी नुक्सान होता हे वही दूसरी तरफ मुस्लिम समाज के कुछ तत्व हमेशा ही किसी लोकल विवाद पर अराजकता में आगे आगे रहते हे और ऐसे लोग हमारे समाज मे दिखाई ही नहीं देते जो इन्हे रोक सके क्यों ?
ReplyDeleteदेखना यही है कि किस्में कितना है दम ?
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