सलीम अख्तर सिद्दीकी
नगर विकास मंत्री आजम खान न तो कह दिया कि अधिकारी काम न करें, तो डंडा हाथ में रखें। लेकिन शायद उन्हें पता नहीं कि कुछ अधिकारियों की खाल तो इतनी मोटी हो गई है कि उन पर किसी डंडे का असर नहीं होता। मेरठ का मलियाना ट्रकों की पािर्कंग बन गया है, लेकिन लाख गुहार लगाने के बाद भी अधिकारियों के कान पर जूं नहीं रेंग रही है। हद यह है कि इस समस्या के निदान के लिए मेरठ के एसपी ट्रैफिक से गुहार लगाई गई, उन्होंने यहां तक कह दिया कि मैं किसी की बकवास की परवाह नहीं करता हूं। बात यहीं खत्म नहीं हुई। उनकी वाणी इतनी बदमिजाज और तीखी है कि सुनकर नहीं लगता कि यह किसी जिम्मेदार वरिष्ठ अधिकारी की हो सकती है। किसी आम आदमी की तरह उन्होंने शिकायतकर्ता से कह दिया कि मैं तुमसे तनख्वाह नहीं पाता हूं। उन्हें शायद इतना भी नहीं पता कि सरकारी अधिकारी जनता का नौकर होता है और उसकी तनख्वाह जनता के टैक्स से मिलती है। उनकी वाणी अखबार में छपी, लेकिन वाकई उन्होंने परवाह नहीं की। जिस शहर का एसपी ट्रैफिक ऐसा होगा, तो क्यों नहीं कांस्टेबिल चौराहों पर 10-10 रुपये लेकर नो एंट्री में ट्रकों को शहर दाखिल कराकर लोगों की जान लेंगे। आजम खान ने कहा है कि बदमिजाज अधिकारियों की बदजबानी को रिकॉर्ड करो यानी स्टिंग आपरेशन करो। मुझे नहीं लगता कि ऐसा करने पर भी अधिकारी सुधर सकते हैं। वास्तव में नौकरशाही का बुरा हाल है। जनता पिस रही है। बदनाम समाजवादी सरकार हो रही है। मैं नहीं समझता कि मायावती सरकार रहते किसी एसपी ट्रैफिक की किसी समस्या के हल के बाबत यह कहने की हिम्मत हो सकती थी कि, ‘आई डोंट केयर बकवास’ अखिलेश यादव बताएं कि जनता किस से कहां गुहार करे। यदि अधिकारी सरकार के डंडे से भी नहीं डर रहे हैं, तो जनता के डंडे से कैसे डरेंगे। यदि अखिलेश यादव साहब यह सुन लें कि मेरठ के एसपी ट्रैफिक ने किस बेहूदा तरीके से बात की है, तो हैरान रह जाएंगे, जिसकी रिकॉरडिंग मौजूद है।
बहुत सही बात कही है आपने नसीब सभ्रवाल से प्रेरणा लें भारत से पलायन करने वाले
ReplyDeleteआप भी जाने मानवाधिकार व् कानून :क्या अपराधियों के लिए ही बने हैं ?