Tuesday, April 6, 2010

वीएम सिंह की गिरफ्तारी अलोकतांत्रिक


सलीम अख्तर सिद्दीकी
अब इस देश में गरीबों, किसानों और वंचितों की हक की लड़ाई लड़ना भी इतना बड़ा गुनाह हो गया है कि लड़ाई लड़ने वालों सामाजिक कार्यकर्ताओं पर संगीन धाराओं में मुकदमे लगाकर जेल में ठूंस दिया जाता है। किसान मजदूर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रसिद्ध किसान नेता वीएम सिंह की गिरफ्तारी तो यही बताती है। यहां यह बताना उल्लेखनीय होगा कि पीलीभीत उत्तर प्रदेष के वीएम सिंह सड़क से लेकर कोर्ट तक किसानों को उनकी उपज का वाजिब दाम दिलाने की लड़ाई लड़ते रहे हैं। पिछले साल उन्होंने गन्ना उत्पादक किसानों को उनकी उपज का वाजिब दिलाने में कामयाबी हासिल की थी। अब वह अनाज मंडियों द्वारा गेंहूं के सरकारी समर्थन मूल्य से कम मूल्य पर गेंहूं खरीदे जाने के विरुद्ध आंदोलन कर रहे थे। इसी सिलसिले में वीएम सिंह 4 अप्रैल को हजारा थाना क्षेत्र के राहुल नगर में किसानों की एक बड़ी सभा को सम्बोधित करने जाने वाले थे। लेकिन इससे पहले ही सुबह चार बजे बसपा सरकार की 'बहादुर' पुलिस ने वीएम सिंह पर संगीन धाराओं में मुकदमा दायर करके उन्हें जेल भेज दिया।
वीएम सिंह अपवाद नहीं हैं। सच तो यह है कि अब अन्याय, शोषण और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वालों की लड़ाई को कुन्द करने के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओ को झूठे मुकदमों में फंसा देना, उनकी पिटाई करना आम बात हो गयी है। कई बार तो हक की लड़ाई लड़ने वालों के साथ अपराधियों से भी बुरा सलूक किया जाता है। अब अहिंसक रुप से आंदोलन चलाने से सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगती। लेकिन जब आन्दोलन उग्र हो जाता है तो सरकार की बहादुर पुलिस आंदोलनकारियों पर गोलियां चलाने से भी गुरेज नहीं करती। उस पर तुर्रा यह कि कसूरवार पुलिस का बाल भी बांका नहीं होता। कभी कभी तो लगता है कि हमारी तथाकथित लोकतांत्रिक सरकारें ब्रिटिश सरकार से भी ज्यादा असंवेदनशीलता का मुजाहिरा करती हैं। वीएम सिंह तो कोई हिंसक आंदोलन भी नहीं चला रहे थे। मात्र धरना-प्रदर्शन करने से ही सरकार बौखला गयी। दरअसल, हमने लोकतंत्र का मतलब केवल वोटों के सहारे सरकारें बदलना ही समझ लिया है। वीएम सिंह की गिरफ्तारी सरकार का निहायत ही अलोकतांत्रिक कदम है। सरकार को उन्हें जल्द से जल्द बिना शर्त रिहा करना चाहिए।

2 comments:

  1. मौजूदा व्यवस्था अब जनता को प्रसन्न रख पाने में नाकाम हो रही है। फासीवाद के उदय के लिए सही समय है।

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  2. शायद इसी को कहते हैं अंधेर नगरी, चौपट राजा...

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