Sunday, January 17, 2010

भूख इंसान को गद्दार बना देती है

सलीम अख्तर सिद्दीकी
इस समय देश पर जो लोग शासन कर रहे हैं, वे लोग इतने संवेदनहीन हो गए हैं कि गरीबों को जमाखोरों और मुनाफाखोरों के रहमोकरम पर छोड़ दिया गया है। जब हमारे कृषि मंत्री शरदपवार यह कहते हैं कि चीनी अभी और महंगी या अभी महंगाई जारी रहेगी तो इसमें साफ संदेश यह होता है कि जमाखोर खाद्यान्न का स्टॉक कर लें, उनका कुछ बिगड़ने वाला नहीं है। यह हैरत की बात है कि कोई राज्य सरकार जमाखोरों के खिलाफ कानून का डंडा चलाने के लिए तैयार नहीं है। सरकारें जमाखोरों की हिमायत करें भी क्यों नहीं, जब यह जमाखोर ही चुनाव लड़ने के करोड़ों रुपए चंदा देते हैं। इन पर कानून का चाबुक चल गया तो ये लोग सरकार से नाराज हो जाएंगे। देश की जनता भले ही भूख से मर जाए लेकिन जमाखोरों और मुनाफाखोरों पर आंच नहीं आनी चाहिए। सच तो यह है कि यही जमाखोर और मुनाफाखोर राजनैतिक पार्टियों को चलाते हैं। भूखी जनता सरकार को क्या देती है। सिर्फ वोट ही ना। लेकिन वोटों को खरीदने के लिए पैसा तो सरमाएदार देते हैं। फिर बताइए सरकार पहले भूखे लोगों को ख्याल रखे या अपने 'पूंजीपति आकाओं' का। अब तो लोकसभा और विधानसभओं में करोड़पति ही जीतकर जाता है। सब जानते हैं कि करोड़पति कैसे बना जाता है। सरकार में इतनी हिम्मत भी नहीं रही कि इन करोड़पतियों से यह भी पूछ सके कि वे करोड़पति कैसे हुए हैं।
केन्द्र और राज्य सरकारें महंगाई के लिए एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालकर महंगाई से कराहती जनता के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम रही हैं। समझ नहीं आता कि महंगाई बढ़ क्यों रही है ? सरकार को कम-से -कम देश की जनता को यह तो बताना ही चाहिए कि महंगाई बढ़ने के कारण क्या हैं ? जब सरकार से यह पूछा जाता है चीनी के दाम कब कम होंगे तो उसका जवाब इतना गलीच होता है कि गाली देने का मन करता है। कृषि मंत्री शरद पवार का यह कहना कि 'मैं कोर्इ्र ज्योतिषी नहीं हूं, जो यह बता दूं कि चीनी कब सस्ती होगी,' गलीचता का निकृष्टतम उदाहरण है। ऐसा जवाब वही आदमी दे सकता है, जो संवेदहीन और जमाखोरों का हिमायती हो। एक मंत्री ऐसा जवाब इसलिए दे पाता है, क्योंकि वह यह जानता है कि देश की जनता इतनी धैर्यवान है कि उसकी खाल भी खींच ली जाए तो वह उफ तक नहीं करेगी। देश की जनता की यही सहनशीलता उसके शोषण का कारण है। सवाल सिर्फ चीनी का ही नहीं है। जिंदा रहने की हर बुनियादी चीज महंगी और महंगी होती जा रही है। मीडिया रोज शोर मचा रहा है कि खाद्य पदार्थों के थोक और खुदरा मूल्यों में भारी अन्तर है। लेकिन सरकार यह तय नहीं कर पाती कि एक खुदरा व्यापारी किसी वस्तु पर कितना मुनाफा ले सकता है। ऐसा लगता है कि देश में केन्द्र और राज्यों की सरकारें सिर्फ अपनी कूर्सी बचाने और पैसा उगाहने में ही व्यस्त हैं। देश की जनता का कोई पूरसाने हाल नहीं है।
यह हमारा दुर्भाग्य है कि हम धर्मो, पार्टियों और जातियों में जकड़े समाज हैं। हम यह क्यों नहीं सोचते कि कुछ होने से पहले हम इंसान हैं। जिंदा रहने का हमें भी हक है। जिंदा हम तभी रहेंगे, जब हमें और हमारे बच्चों को भरपेट भोजन मिलेगा। मंदिर-मस्जिद पर हजारों-लाखों की संख्या में सड़कों पर निकलने वाले लोग एक बार रोटी के लिए सड़कों पर क्यों नहीं आते ? यह याद रखिए हम लोग सरकार बनाने और बिगाड़ने वाली भेड़ें मात्र नहीं हैं। हमारे वोटों से सरकार बनती है तो हमें दो वक्त की रोटी की आस भी सरकार से रहती है। जिस दिन देश की भूखी जनता सड़कों पर आकर महंगाई के खिलाफ मोर्चा खोल देगी, उस दिन किसी शरद पवार की इतनी हिम्मत नहीं होगी कि वह यह कह सके कि मैं ज्योतिषी नहीं हूं, जो बता दूं कि महंगाई कब कम होगी। उस दिन हम यह कहने की स्थिति में होंगे कि शरद पवार बताओ चीनी अभी सस्ती करते हो या नहीं। सरकारों को यह सोचना चाहिए कि देश के लोग भूखे पेट रहकर देशभक्ति के तराने नहीं गा सकते। रोटियां आदमी को दीचाना बना देती हैं और भूख इंसान को गद्दार बना देती है। एक या दो गद्दार लोगों को संभालना मुश्किल होता है, लेकिन जब लाखों लोग गद्दारी पर उतर आएंगे तो संभालना मुश्किल हो जाएगा।

7 comments:

  1. आपसे सहमत…।
    माना कि कांग्रेस और भाजपा लगभग एक ही तरह की पार्टियां हैं, लेकिन वामपंथी शासित राज्य भी तो कुछ नहीं कर पा रहे हैं।

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  2. मुझे मालूम है कि आप मेरी इस टिपण्णी को दुसरे नजरिये से ही देखेंगे लेकिन मैं सत्य बोलने में हिचकता नहीं ! आज जिस समस्या से हम रूबरू हो रहे है, उसे पैदा होने में इस देश के मुसलमानों का एक अहम् योगदान है !

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  3. भाई वाह क्या बात कही गोंदियल ने. आरती उतारो इनकी, जिस सवाल का जवाब मशहूर एकॉनमिस्ट ना दे पाए उसका जवाब इनके पास है, आतंकवाद तक तो सही था अब महंगाई के लिए भी.... भाई वाह दिल खुश कर दिया. सही कहा आपने बड़े बड़े जमाख़ोर, मिल मालिक पूंजीपति सब मुसलमान है? बी जे पी की पैदावार बनिए तो जनता की सेवा मैं लगे हुए है. स्विस बेंको मैं जमा काला धन, हर विभाग मैं फेला भ्रष्टाचार, नक्सलवाद, राज का बिहारी प्रेम, मधु कोड़ा, मायावती, शिबूसोरेन, श्रीराम सेना का स्त्रीप्रेम क्या क्या गिनाए....

    भाई वाह क्या बात कही गोंदियल ने. आरती उतारो इनकी, जिस सवाल का जवाब मशहूर एकॉनमिस्ट ना दे पाए उसका जवाब इनके पास है, आतंकवाद तक तो सही था अब महंगाई के लिए भी.... भाई वाह दिल खुश कर दिया. सही कहा आपने बड़े बड़े जमाख़ोर, मिल मालिक पूंजीपति सब मुसलमान है? बी जे पी की पैदावार बनिए तो जनता की सेवा मैं लगे हुए है. स्विस बेंको मैं जमा काला धन, हर विभाग मैं फेला भ्रष्टाचार, नक्सलवाद, राज का बिहारी प्रेम, मधु कोड़ा, मायावती, शिबूसोरेन, श्रीराम सेना का स्त्रीप्रेम क्या क्या गिनाए हैतो मुसलमानो
    इन सब के लिए भी तो मुसलमान ही ज़िम्मेदार है. शायद आप भूल गये आपके घर की हर समस्या के लिए भी तो मुसलमान ही ज़िम्मेदार है, सही बात तो ये है कि आप लोगो को आदत हो गयी हर समस्या के लिए दूसरो ko ज़िम्मेदार ठहराना क्योंकि आप नालायक़ हो. आप लोग शतुरमुर्ग की तरह हो.......... समझ लेना. इतनी समझ तो होगी

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  4. @ sahespuriyaसच्चाई कडवी ही लगती है अक्सर, आपकी जगह मैं होता तो शायद मेरी प्रतिक्रिया भी आपसे ज्यादा भिन्न नहीं हो पाती क्योंकि हम हिन्दुस्तानियों ने कभी सच का सामना करना ही नहीं सीखा! अब मैं बताता हूँ कि जो आज निम्नतम राजनीति का दौर इस देश चल रहा है वह कहाँ से आया ! यह देश जब आजाद हुआ तो, जो तुच्छ सांप्रदायिक राजनीति आज कौंग्रेस तेलंगाना में खेल रही है वही साम्प्रदायिक तुच्छ राजनीति उसने आजादी के बाद भी खेली , और झांसे में आने वाले अधिकाँश मुसलमान ही थे, उन्होंने यह नहीं देखा कि देश का हित कहाँ है सिर्फ जनसंग के हवे पर अपना ही तुच्छ और निहित स्वार्थ वे देखते रहे ! जो भी चोर उच्चक्का उनको फूक में चढ़ा कर कौंग्रेस और अन्य तथाकथित सेक्युलर राजनीतिक डालो से खडा हुआ आँख मूँद कर उसे जीता दिया, यही से राजनीति का ह्रास सुरु होकार आज यह स्थिति है ! उत्तर प्रदेश की दुर्दशा देख रहे हो ? यह किसने की ? और इन सपा बसपा को जिताया किसने ? अपने गिरेवान में झांकना भी सीखो मेरे दोस्त सिर्फ सिस्टम को दोष देकर कुछ भी नहीं सुधरने वाला !

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  5. सवाल तो वही है आख़िर ये भेदभाव मुसलमानो के साथ किसने शुरू किया क्यों आप आप लोगो को संघ ने हमेशा डरा कर रखा, क्यों आप बहुमत मैं होते हुए भी मुसलमानो से डरने का नाटक करते हो. किसने आप लोगो के दिमाग़ मैं ज़हर डाला. क्यों अपनी हर खता का दोष दूसरो को देते हो?
    सिस्टम किसने बनाया और कोन चला रह है ? आप खुद भी अच्छी तरह से जानते हो? अगर बड़े बड़ा बनने का शोक़् है तो बड़प्पन दिखाना सीखो.... बाक़ी फिर कभी.....

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  6. सलीम सिद्दीकी, आपक आलेख बहुत अच्छा है, इस पर आये कमेन्ट से मामले का रुख कुछ दूसरी ओर ही हो गया है...

    मेरी मेमोरी के अनुसार भाजपा शासनकाल के साल सबसे कम महंगाई के रहे, सबसे अधिक परिवहन के साधन बने, न इतनी मुनाफाखोरी रही, भारत के आम आदमी की आय बढी ही थी... प्रापर्टी के भाव भी गिरकर (र्रिपीट गिरकर) वास्तविकता पर आगये थे, क्या भाव था उस समय रोजमर्रा की वस्तुओं का?

    फिर क्यों भाजपा को सारे दलों की दलदल ने मिलकर एक किनारे कर दिया? सिर्फ अपने एक धर्म के लोगों ने और उस धर्म के तुष्टिकरण के नाम पर कुछ समूहों ने...

    भूख इन्सान को गद्दार बनाती होगी लेकिन् धर्म इंसान को अंधा, गूंगा, बहरा और संवेदना हीन बना डालता है...

    आपका आलेख बहुत अच्छा है, मैं इससे सहमत हूं... मेरा भी यही मानना है कि हम धर्मों, पार्टीयों और राजनीति में जकड़ गुलाम हैं...

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  7. Congress hai asalii samasya

    congress ko vote kisne diya???

    Is prashna ka uttar hii
    asalii samasya hai

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