Sunday, January 3, 2010

बच गए याकूब कुरैशी के 51 करोड़ रुपए

सलीम अख्तर सिद्दीकी
खबर है कि हजरत मौहम्मद साहब के कार्टून की श्रंखला बनाने वाले डेनमार्क के कॉर्टूनिस्ट कर्ट वेस्टरगार्ड की एक सोमालियाई युवक ने जान लेने की कोशिश की है। आपको याद होगा कि डेनमार्क के उस कार्टूनिस्ट का कत्ल करने वाले को हमारे शहर मेरठ के एक नेता हाजी याकूब कुरैशी ने ने 51 करोड़ रुपए देने का ऐलान किया था। कुरैशी के ऐलान की गूंज पूरी दुनिया में हुई थी। याकूब कुरैशी रातों-रात सुर्खियों में आ गए थे। वे आशिक-ए-रसूल (पहली बार पता चला था कि आशिक-ए-रसूल कैसे बना जाता है ) हो गए थे। मालूम नहीं कि सोमालिया के युवक तक आशिक-ए-रसूल के ऐलान की खबर पहुंची थी या नहीं, हां इतना जरुर है कि यदि वह युवक कार्टूनिस्ट को कत्ल करने में कामयाब हो जाता तो 51 करोड़ रुपए का हकदार हो जाता। यह सवाल भी मेरे दिमाग में घूमड़ रहा है कि याकूब कुरैशी अपने वादे पर खरे उतरते या नहीं ? वैसे याकूब कुरैशी को इतना तो करना ही चाहिए कि जिस युवक ने ऐसी कोशिश की है, उसे 51 लाख रुपए तो देने ही चाहिए। अब देखो न बेचारे को दो गोलियां भी लगी हैं। मेरे दिमाग में यह भी सवाल उठ रहा है कि यदि भविष्य में कोई कॉर्टूनिस्ट को मारने में कामयाब हो गया और वह हिन्दुस्तान से बाहर का हुआ तो याकूब साहब उसे भुगतान कैसे करेंगे ? कौनसी करेंसी में करेंगे ? खुद जाकर करेंगे या बैंक के जरिए करेंगे ? बैंक से करेंगे तो मारने वाले का बैंक एकाउंट नम्बर कहां से लेंगे्र ? कभी-कभी मैं ये भी सोचता हूं कि खुद को आशिक-ए-रसूल कहने वाले याकूब कुरैशी खुद ही इस काम को अंजाम क्यों नहीं दे लेते ? घर का पैसा घर में ही रह जाएगा। लेकिन दिक्कत यह है कि वे बड़े कारोबारी हैं। उन्हें इतनी फुरसत कहां है। वैसे भी उनके पीछे कमेले का ऐसा झमेला लगा हुआ है कि उन्हें चैन ही लगने देता। भाजपा वाले पहले ही से उनके पीछे पड़े हुए ही थे अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग भी उनके पीछे पड़ गया है। अब बताइए उन्हें कार्टूनिस्ट को मारने का वक्त कहां है। वे तो सिर्फ 'सुपारी' दे सकते हैं। उसका उन्होंने ऐलान किया हुआ है ही। वैसे याकूब कुरैशी ने जब कार्टूनिस्ट को मारने की कोशिश की खबर पढ़ी होगी तो उन्हें इस ठंड में भी पसीना आ गया होगा। अब तक तो उन्हें लगता होगा कि जब सलमान रुश्दी का आज तक कुछ नहीं बिगड़ा तो कार्टूनिस्ट का कौन क्या बिगाड़ लेगा। लेकिन अब याकूब कुरैशी सोच रहे होंगे कि कभी भी कुछ भी हो सकता है। मेरी तो उन्हें राय यही है कि 51 करोड़ का इन्तजाम करके रखें। पता नहीं कब कौन अपने मिशन में कामयाब हो जाए। फिलहाल तो याकूब साहब के 51 करोड़ बच ही गए हैं। इसके लिए उन्हें मेरी तरफ से बहुत-बहुत मुबारकबाद !

2 comments:

  1. सलीम भाई, आपकी बात सही है उस हमलावर को कम से कम ५१ लाख तो मिलने ही चाहिए, मगर अभी तो इलेक्शन मैं टाइम है, ज़रा इलकशन क़रीब आने दीजिए.

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  2. सलीम भाई आप से सहमत है,

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