हकबात के पाठको के लिये पेश है, प्रतिष्ठित कवियित्री मंजू डागर जी की कुछ चुनिंदा कविताएं। इन कविताओं ने कहीं गहरे से मुझे छुआ, लगता है मंजू जी के कुछ एक आत्मिय क्षणों की सहज अभिव्यक्ति उनकी कविताओं में मुखर होकर बोलती है। मंजू डागर एक मशहूर न्यूज चैनल की ऐंकर हैं।
इस शहर में हर तरफ रोमांच नजर आता है
इस शहर में हर तरफ रोमांच नजर आता है ,
इस शहर में हर तरफ रोमांच नजर आता है ,
कही पर तेरी तो कही पर मेरी कहानी नजर आती है !
इस शहर में ...................................................
कही पर धर्म तो कही पर उन्माद नजर आता है !
कही पर आंधी तो कही पर तूफान नजर आता है !
इस शहर में ................................................
कही पर तेरी तो कही पर मेरी कहानी नजर आती है !
इस शहर में ................................................
कही पर दर्द तो कही पर ख़ुशी नजर आती है !
कही पर नमी तो कही पर मुस्कान नजर आती है !
इस शहर में ..............................................
कही पर नीति तो कही पर अनीति नजर आती है
कही पर संस्कार तो कही पर मज़बूरी नजर आती है
इस शहर में .................................................
कही पर तेरी तो कही पर मेरी कहानी नजर आती है !
साँझ और सवेरा ..........
तुम्ही मेरी साँझ !
साँझ और सवेरा ..........
तुम्ही मेरी साँझ !
तुम्ही मेरा सवेरा !
मुझको अपने जीवन का बना लो तुम बसेरा !
तुम्हारी आखो में चाहत के समंदर देखने को जी चाहता है !
तुम्हारी मुस्कान में पहली सी खूबसूरती देखने को जी चाहता है !
तुम्हारी जिंदगी के पल - पल में अपना हर पल बिताने को जी चाहता है !
तुम्ही मेरी ..........तुम्ही मेरा ...........
इक आवारा बादल........ A flirting cloud
जिन्दगी के हर मोड़ पर तुम्हारा साथ ,पाने की चाहत की थी कभी !
इक आवारा बादल........ A flirting cloud
जिन्दगी के हर मोड़ पर तुम्हारा साथ ,पाने की चाहत की थी कभी !
जिन्दगी के हर दोराहे पर तुम्हारे साथ ,चलने की चाहत की थी कभी !
जिन्दगी की हर उस जदोजहद पर जहा ,डगमगाए थे कदम तुम्हारे !
तुम्हे सँभालने की चाहत की थी कभी !लेकिन ,,,,,,,,,,तुम तो तुम ही थे !
न कभी किसी का साथ चाहा ,न कभी अपना साथ दिया ,अपनी मंजिल खुद खोजी !
चल कर पथरीली राहों पर !
नहीं डरे तुम काटों से ,नहीं डरे तुम पथरो से ,
सपना जो देखा था तुमने ,कुछ कर दिखने का ,दुनिया से अलग !
इसलिए ,,,,,,,,, अकेला चलने का व्रत जो लिया था तुम ने ,
आखरी दम तक निभाया भी उसको तुमने ,
तभी तो पसंद रहें तुम मेरी ,हमेशा ही सब से अलग ,
इक आवारा बादल की तरह !
बढ़िया कवितायें..आपका आभार पढ़वाने का.
ReplyDeleteman ko choo lane wali kawitae hae. Manju ji ko bahut bahut badae.
ReplyDeleteशुभकामनायें
ReplyDeleteBAAT TO SAHI HAI....
ReplyDeleteSHUKRIYA
Thanks to all for giving me good response and also for like my poem......
ReplyDeleteWith regards
Dr.Manju Chaudhary