सलीम अख्तर सिद्दीकी
यह बात तो माननी पड़ेगी कि संघ परिवार का 'थिंक टैंक' नए-नए मिथक घड़ने में बहुत माहिर है। खासतौर से मुसलमानों के बारे में संघ परिवार ऐसे-ऐसे मिथक घड़ता है कि कभी हंसी आती तो कभी संघ परिवार पर तरस आता है। राममंदिर के आंदोलन को उसने 'सांस्कृतिक राष्ट्रवाद' की संज्ञा देकर अपने गुनाहों पर परदा डालने की कोशिश की। आतंकवाद के दौर में संघ परिवार ने यह कहना शुरु किया कि 'यह सही है कि सभी मुसलमान आतंकवादी नहीं हैं, लेकिन प्रत्येक आतंकवादी मुसलमान ही क्यों है।' लेकिन जब मालेगांव से लेकर मडगांव तक के बम धमाकों में हिन्दुवादी संगठनों की संलिप्ता सामने आयी तो संघ परिवार को सांप सूंघ गया। बहुत पहले से संघ परिवार ने 'लविंग जेहाद' का मिथक घड़ रखा है। शुरु में तो यही पता नहीं चल पाया कि यह 'लविंग जेहाद' बला क्या है। धीरे-धीरे पता चला कि संघ परिवार ने एक सुनियोजित षडयंत्र के तहत यह अफवाह फैलाई कि मुस्लिम लड़के अपनी पहचान छिपाकर भोली और मासूम हिन्दू लड़कियों को अपने प्रेम जाल में फंसाकर उनसे शादी करते हैं और बाद में उनका धर्म-परिवर्तन कराते हैं। यहां तक झूठ बोला गया कि हिन्दू लड़कियों को आतंकवादी कार्यवाई में हिस्सा लेने के लिए तैयार किया जाता है। ऐसा लगता है कि संघ परिवार को यही नहीं पता कि यह इक्कसवीं सदी चल रही है। इस सदी में वह सब कुछ हो रहा है, जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती थी। आज की तारीख में भारत में मल्टीनेशनल कम्पनियों की बाढ़ आयी हुई है। इन कम्पनियों में हिन्दु और मुस्लिम लड़कियां और लड़के कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं। सहशिक्षा ले रहे हैं। साथ-साथ कोचिंग कर रहे हैं। इस बीच अन्तरधार्मिक, अन्तरजातीय और एक गोत्र के होते हुए भी प्रेम होना अस्वाभाविक नहीं है। प्रेम होगा तो शादियां भी होंगी। समाज और परिवार से बगावत करके भीे होंगी। अब कोई हिन्दु लड़की किसी मुस्लिम लड़के से प्रेम और शादी कर लेती हैं तो संघ परिवार 'लविंग जेहाद' का राग अलापना शुरु कर देता है। जबकि सच यह है कि मुस्लिम लड़कियां भी हिन्दु लड़कों से अच्छी खासी तादाद में शादियां कर रही हैं। इसे संघ परिवार क्या नाम देना चाहेगा ? शायद इसमें भी संघ परिवार यह कहना चाहेगा कि मुस्लिम लड़कियां हिन्दू लड़के का भी धर्म-परिवर्तन कराकर 'लविंग जेहाद' को अन्जाम दे रही हैं। मेरठ के एक गैर सरकारी संगठन ने उन हिन्दू और मुस्लिम लड़कियों से बातचीत की थी, जो विपरीत धर्म के लड़कों से प्रेम करती थीं। उस बातचीत में यह निकलकर आया था कि वे लड़के का धर्म पहले से जानती थीं, लेकिन दिल के हाथों मजबूर थीं।
लड़के और लड़की की जिद के चलते अब तो परिवार की रजामंदी से भी अन्तरधार्मिक शादियां हो रही हैं। कुछ साल पहले जब मैं अपने छोटे भाई की शादी के लिए शादी कार्ड लेने बाजार गया तो सेम्पल के तौर पर जो कार्ड दुकानदार ने मुझे दिखाए थे, उनमें एक कार्ड अन्तरधार्मिक शादी का कार्ड भी था। उस दिन मेरा यह मिथक टूटा था कि अन्तरधार्मिक शादियां केवल समाज और परिवार से बगावत करके की सम्भव हो सकती हैं। मेरे एक रिश्तेदार के लड़के का स्कूल के जमाने में ही एक हिन्दू लड़की से अफेयर हो गया था। मेरे रिश्तेदार बहुत परेशान हो गए थे। लेकिन वह इस बात से आशवस्त थे कि किशोर उम्र की प्यार की खुमारी वक्त के साथ खुद ही दूर हो जाएगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं । लड़के ने दिल्ली में एक मल्टीनेशनल कम्पनी ज्वायन कर ली। लड़की अपनी एजुकेशन पूरी करके घर में रही। लेकिन दोनों का प्यार कम नहीं हुआ। दोनों ही ने कहीं और शादी करने से साफ इनकार कर दिया। दोनों परिवारों ने आपसी रजामंदी से दोनों के कोई गलत कदम उठाने से पहले दोनों को शादी की रजामंदी दे दी। अब इसे 'लविंग जेहाद' कहें या यह कहें कि 'जोड़ियां स्वर्ग में तय होती हैं।' यह भी सवाल है कि जब एक मुस्लिम लड़की एक हिन्दू लड़के से शादी करले तो उसे क्या कहा जाए ? क्या उसे मुसलमान 'धर्मयुद्ध' कहना शुरु कर दें ?
सच्चाई यह है कि 90 के दशक के बाद से उदारीकरण के दौर में बहुत खुलापन आया है। मीडिया, खासतौर से टेलीविजन और फिल्मों ने युवाओं पर गहरा असर डाला है। मल्टीनेशनल कम्पनियों ने युवाओं को टारगेट करके व्यापारिक नीतियां बनायीं और उन पर मीडिया के जरिए अमल किया। परिवार के बुजूर्ग रुढ़ियों को पकड़े बैठे रहे जबकि मीडिया ने अपने स्वार्थ के चलते युवाओं को ऐसी राह दिखा दी, जिसने न जानें कितने युवाओं की बलि ले ली। अन्तरधार्मिक, अन्तरजातीय तथा समान गोत्र में शादियां हुईं, जिनके के चलते 'ऑनर किलिंग' सिलसिला चल पड़ा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा 'ऑनर किलिंग' को लेकर राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय चर्चा में हैं। संघ परिवार ने 'लविंग जेहाद' जैसे मिथक घड़ दिए। याद रखिए संकीर्णता और आधुनिकता एक साथ नहीं चल सकतीं। अब वह जमाना गया, जब लड़कियों को परिवार वाले किसी भी खूंटे से बांध देते थे। लड़कियों ने शिक्षा ली है तो उन्हें अपने अधिकार भी पता चले हैं। परिवर्तन की इस आंधी को युवाओं की जान लेकर या लविंग जेहाद का नाम देकर नहीं रोका जा सकता है। वक्त बदल रहा है। सभी को वक्त के साथ बदलना ही पड़ेगा, संघ परिवार को भी।
हक की बात मे पता नही था कि कितनी बकवास भरी बात लिखी है, सच जो है वह केरल और कर्नाटक उच्च न्यायालयों ने भी स्वीकारी है। संघ ही नही केरल के चर्च भी इस्लाम के आतंक की इस नयी पौध से ग्रस्त है।
ReplyDeleteआज भी हिन्दू परिवारों में इस प्रकार का खुला पन नही है कि तेजी से मुस्लिम लोफड़ अराजक तत्व उन्हे अपना शिकार बना सके किन्तु अधुनिकता की दौर में थोड़ा भटकाव जरूर हुआ है।
इस्लाम के अनुयायियो का यहीं काम ही है कि आतंक के नये रास्ते तैयार कर अल्लाह के लिये हूरियाँ तैयार की जाये।
दरअसल, संकीर्णताएं तो दोनों जगह हैं। धर्म की आग अक्सर इन संकीर्णताओं को भड़काती रहती है। चाहे 'लव जेहाद' हो या केवल 'जेहाद' ताना-बाना तो इंसान और इंसानियत का ही टूट रहा है।
ReplyDeleteजब भी किसी बात का जबाब न मिले तो संघ परिवार के नाम पर हाय हाय कर के छाती पीटना शुरू कर दो। छातियां पीटने का तो बहुत तज़ुर्बा हो गया होगा आपको...
ReplyDeleteलेकिन हे सलीम अख्तर सिद्दीकी, हिन्दी ब्लागर जे सी फिलिप ने अपनी ताजा ब्लाग पोस्ट लव जिहाद: क्या बला है यह?">लव जिहाद: क्या बला है यह? में लव जिहाद के बारे में लिखा है
क्या जे सी फिलिप भी संघ परिवार से हैं?
कब तक बेशर्मी से शुतुर्मुर्ग बने अपनी मुंडी को रेत में घुसेड़े बैठे रहोगे?
बहुत अच्छा लिखा, बधाई
ReplyDeleteSignature:
विचार करें कि मुहम्मद सल्ल. हिन्दू धर्म के कल्कि व अंतिम अवतार और बैद्ध मैत्रे, अंतिम ऋषि (इसाई) यहूदीयों के भी आखरी संदेष्टा? हैं या यह big Game against Islam है?
antimawtar.blogspot.com (Rank-2 Blog)
डायरेक्ट लिंक
अल्लाह का चैलेंज पूरी मानव-जाति को
अल्लाह का चैलेंज है कि कुरआन में कोई रद्दोबदल नहीं कर सकता
अल्लाह का चैलेंजः कुरआन में विरोधाभास नहीं
अल्लाह का चैलेंजः आसमानी पुस्तक केवल चार
अल्लाह का चैलेंज वैज्ञानिकों को सृष्टि रचना बारे में
अल्लाह का चैलेंज: यहूदियों (इसराईलियों) को कभी शांति नहीं मिलेगी
छ अल्लाह के चैलेंज सहित अनेक इस्लामिक पुस्तकें
islaminhindi.blogspot.com (Rank-3 Blog)
डायरेक्ट लिंक
ये आ गए खुलेपन की बात करने |
ReplyDeleteइनका सारा खुलापन तब हवा हो जाता है जब कोई रजनीश मारा जाता है या फिर कोई जमीयत फतवा जारी करती है |
महाशय, संघ तो आप जैसे मुसलमानों के लिए ऐसा हो गया, जैसे पुलिस का थाना ! चोर को पकडे तो आप पत्थर फेंकने ( साधारण ढंग से बात कहना तो संस्कृति में ही नहीं आता ) इसलिए पहुँच जावोगे कि अल्पसंख्यको को खामखा तंग किया जा रहा है, और न पकडे तो पुलिस के निक्कमेपन की दुहाई देकर पत्थर फेंकोगे ! हकीकत यह है कि तुम्हे चोर के पकडे जाने या ना पकडे जाने का कोई इल्म नहीं, बस पत्थर फेंकना आपकी फितरत में आता है, इसलिए फ़ेंक देते हो ! यह सिर्फ संघ का आरोप या दुष्प्रचार नहीं है, यह हकीकत है, सच्चाई है और यह यहाँ के हर हिन्दू और इसाई का आरोप है मुसलमानों पर ! शायद आपने कल श्री फिलिप का लेख नहीं पढा ! वह तो संघ से संबध नहीं ! आखिर में सिर्फ यही कहूंगा कि आप जैसे पढ़े लिखे लोगो में थोड़ी बहुत भी.... होती न तो कुछ मुसलमानों की इस घटिया हरकत पर अपना मुह बंद रखते !
ReplyDeletelagta hai kairanvi ka allah pagal hai jo sabko challange deta fir raha hai.
ReplyDeleteSalim bhai bhul jate hai ki sangh parivar ya bjp ke bhi kuch haq hai inhe to bas musalmano ke haq hi yaad rahte hai
आप दूध के धुले बेचारे लोग दीपावली मनाने को आर डी एक्स लाते हो भाई बता दो ये तुम्हे मिलता कहा से है ?
ReplyDeleteसारे आर डी एक्स अबतक मुसलमान आतंकवादियों ने फोडे है आप जेहाद करने को आर डी एक्स फोडो तो कोई बात नहीं!!!
आप के दुम के नीचे कोई पटाखा रखदिया तो उसका गुनाह आप के आर डी एक्स के बराबर कैसे हुआ ???
लवजेहाद की बात अगर आप नहीं मानते तो आप ये भी मान लीजियेना की एक भी मुसलमान दुनिया में आतंकवादी नहीं है, हज़रात बात बेहूदी करनी है तो कसर क्यों छोड़ते है ?
मुस्लिम बुद्धिजीवियों और मुस्लिम नेताओं ने अगर अब भी दोगली सोच को नहीं छोडा तो मुस्लिम समाज और कितने गर्त में जाने वाला है इसका अंदाजा सहज ही लगाया जाता है आज इसी सोच के चलते सारे संसार में मुस्लमानों को शक की दृष्टि से देखा जा रहा है पर ये अब भी अपनी ऑख खोलकर देखने को तैयार नहीं .........शिक्षा भी जिन लोगों की ऑख न खोल सके ऐसी भैंसों के आगे बीन नहीं मालेगॉव जैसे बैण्ड ही बजाने पडेगे ।
ReplyDeleteसलीम साहब, आप कभी-कभी ऐसी बेहूदगी भरी बातें लिखते हैं कि शक होने लगता है कि यह सलीम अख्तर सिद्दीकी ने लिखा है कि सलीम खान ने.
ReplyDeleteयह बात ईसाई संगठन और कैथोलिक चर्च भी जोरशोर से उठा रहा है, उन्होंने ही केरल हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. हिन्दू संगठनों ने केवल अनुमोदन और समर्थन किया है
ReplyDeleteसिद्दीकी साहब,
ReplyDeleteअभी तक इस लव जेहाद के बारे में केवल मीडिया में पढा है और ये फ़िनामिना मेरे गले से नहीं उतरता।
पहली बात, केरल भारत का शिक्षा के मामले में सबसे अगले पायदान पर है, मैं नहीं मान सकता कि केवल कोई जेहाद के नाम पर किसी हिन्दू लडकी से केवल धर्म परिवर्तन कराने के लिये शादी कर लेगा। या कोई लडकी ऐसा करने को तैयार हो जायेगी। अगर ऐसा है तो कसम से उस लडके को टाम क्रूज के बाप जैसा दिखना पडेगा।
शादी करना खेल नहीं है, उसके साथ बहुत सारी नैतिक जिम्मेदारियाँ और आर्थिक खर्च साथ आते हैं। ये मान सकता हूँ कि कोई सरफ़िरा जेहाद के नाम पर किसी को दस-बीस-पचास हजार रूपये दे दे लेकिन शादी। नहीं, मेरी बुद्दि इसे मानने को तैयार नहीं।
अगर इस प्रकार की बात सच भी है तो ये शादियाँ महीने भर से ज्यादा नहीं चल सकती और टूटेगीं ही। क्यों केवल हम धर्म परिवर्तन की बात सुन रहे हैं क्या इस प्रकार की टूटती शादियों पर कोई आंकडा है किसी के पास।
मुस्लिम परिवार भी उतने ही रूढियों में ग्रसित हैं जितने हिन्दू परिवार। क्या कोई परिवार अपने बेटे की बेमेल शादी के लिये इसीलिये तैयार हो जायेगा कि उनके धर्म में एक व्यक्ति का इजाफ़ा होगा। नहीं, मैं इसे नहीं मान सकता।
इसके अलावा जो तर्क आपने दिया है वो हकीकत के काफ़ी करीब लगता है। शिक्षा और रोजगार के नये अवसरों ने युवाओं को बहुत करीब ला दिया है और उनकी सोच भी कम नहीं है। संस्कृति की दुहाई और लिव इन रिलेशन के नाम पर चटखारे लेने वालों से कहीं ज्यादा सभ्य और समझदार हैं आज के युवा।
इस लेख के लिये आभार, आपने मेरे मन की बात ही लिख दी।
नीरज रोहिल्ला
nrohilla@gmail.com
रूढियां हर तरफ हैं और कट्टरवादी संगठन चाहे वो हिन्दू हों या मुस्लिम एक ही तरह का काम करते हैं लूगों को दारा कर उन्हें रूढियों में फांसो.
ReplyDeleteसिद्दीकी साहब,यह बात सिर्फ़ संघ ही नही कहता आज पुरी दुनिया कहती है, जरा आप भी तो सोचे... क्या यह गलत है
ReplyDeleteकि 'यह सही है कि सभी मुसलमान आतंकवादी नहीं हैं, लेकिन प्रत्येक आतंकवादी मुसलमान ही क्यों है।'
आप किसी भी एयर पोर्ट पर जा कर देखे, एक ही देश के लोगो को सिर्फ़ उन का धर्म देख कर अलग अलग ढंग से चेक किया जाता है, क्यो...
बाकी बातो का शादी वादी का हमे कुछ पता नही
आप का सोच पूरी तरह से मुस्लिम लीग की नीतियों के अनुकूल है, हम समझते थे की आप बुद्धिजीवी हैं लेकिन आप निरे हताश मुसलमान हैं जो पाकिस्तान जा न सके, हिन्दुस्तान को अपना न सके । आप भी उस मुस्लिम गुट के हिस्से ही हैं जो संघ को गाली देकर भडास निकालते हैं । कब तक अंधेरे में रहेंगे भाई जान ...
ReplyDeleteयहां एकतरफा टिप्पणीयां की जा रही है लगभग। जब कहीं संघ का नाम आता है तब यही एकतरफा विचाराधारा और एक ही चष्में से देखने का सबका सिलसिला षुरू हो जाता है इसी प्रकार दूसरे गुट में जब इस्लाम के तर्क-विर्तक और प्रचार की बात आती है तब भी लोगों का यहीं रवैया होता है हम कब इन सब से उपर उठकर एक इंसान होने की हैसियत से सोचेगें।
ReplyDeleteaapne jo likha wo sahi hai. isper jo ugra pratikriyaen aaee hain usse aapke man ko jo dukh pahuncha hai uske liye main khed prakat karta hoon.
ReplyDeleteARE CHORO SALIM BHAI, INKO SAMJHANE SE KYA FAYDA? INKA TO BRAINWASH SANGH NE PEHLE SE KAR DIYA HAI.YE BECHARE TO AB YE SOCH RAHE HAIN KI HINDI KE MASLE PAR KISKI HIMAYAT KAREN? RAJ KI YA ABU ASIM AZMI KI?
ReplyDeleteyaar ek baat bata kya Islam mai kisi gar muslim ladki ya ladka se bina dhram pariwartan ka sadhi kar sakta hai. kuran ma hai ki jab tak we dharm pariwartan na kar la sadhi mat karna
ReplyDeleteलव जिहाद के कटु सच्चाई है और उससे मुह नहीं मोड़ा जाता .. मैं स्वयं एक मुस्लिम बाहुल्य नगर बहराइच , उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ ... लव के नाम पर निकाह और जोर-जबरदस्ती के साथ धर्म परिवर्तन के कई मामले प्रकाश में आये हैं .. मेरा यह पूर्ण विश्वास है कि इस्लाम को मानने वाले ये लोग कभी भी अपनी ओछी मानसिकता से बाहर नहीं आ सकते .. ये कल भी जिहादी धर्मान्ध और कट्टर थे , आज भी हैं और सदा रहेंगे ...
ReplyDeleteसही है, आज इतने दिनों बाद दुबारा पढ़ा इस पोस्ट को और इस बार कमेंट करने से खुद को रोक नहीं सका... असल बात यह है कि इसे सबने अपने-अपने चश्में लगाकर पढ़ा... वर्ना यह हकीक़त के नज़दीक लिखी पोस्ट है!
ReplyDelete