Thursday, September 17, 2009

साम्प्रदायिकता फैलाते पत्रकार


सलीम अख्तर सिद्दीक़ी
भडास4मीडिया डॉट कॉम पर वरिष्ठ पत्रकार शेषनारायण सिंह का आलेख 'मीडिया को सिर शर्म से झुका लेना चाहिए' शीर्षक से प्रकाशित हुआ था। सिंह साहब का आलेख इशरत जहां और उसके तीन साथियों को फर्जी मुठभेड़ में मार डालने के विषय में था। एक मजिस्ट्रेट तमांग ने जांच रिपोर्ट में मुठभेड़ का फजी कहा है। सिंह साहब के आलेख के जवाब में एक अल्पज्ञात अखबार अभी-अभी के समाचार सम्पादक उदय शंकर खवारे का आलेख 'सिंह साहब शर्म तो आपको आनी चाहिए' भी बी4एम पर प्रकाशित हुआ था। खबारे ने अपने आलेख में मोदी का बचाव करते हुए मुसलमानों पर ही दोषोपारण कर दिया था। खवारे के आलेख के जवाब में मैंने बी4एम पर अपने आलेख 'मगर मोदी को शर्म क्यों नहीं आती' में उदय शंकर की बातों का प्रतिवाद किया था। मेरे प्रतिवाद के जवाब में बी4एम पर ही खवारे 'सही बात कहा तो मुझे संघी कह गए' आलेख लिखा। उन्होंने अपने आलेख में कुछ ऐसी मनघडंत बातें कहीं गयीं थीं, जो सुनी सुनाई बातों पर आधारित थीं। उन्होंने अपने आलेख में कुछ सवालों के जवाब मुझ से ही नहीं नहीं मांगे थे, बल्कि पूरे देश का चैलेन्ज को किया था कि है कोई तो मेरे सवालों का जवाब दे सके। किन्हीं कारणों से मेरा आलेख बी4एम पर प्रकाशित नहीं हो सका। लेकिन उनको जवाब देना जरुरी था, इसलिए अपने ब्लॉग पर उनके सवालों के जवाब दे रहा हूुं।
बारह सितम्बर को बी4एम पर प्रकाशित मेरे आलेख 'मगर मोदी को शर्म क्यों नहीं आती?' के जवाब में उदय शंकर खवारे ने अपने आलेख 'सही बात कहा तो वो मुझे संघी कह गए' में जो कुछ लिखा है उसका जवाब दिया जाना इसलिए जरुरी है, क्योंकि उन्होंने मुझे ही नहीं पूरे देश को सवालों का जवाब देनी की चुनौती दी है। सबसे पहले तो मैं यह कहना चाहता हूं कि उदय शंकर ने सच नहीं बोला, बल्कि ऐसा झूठ बोला है, जो सिर्फ एक संघी से भी कट्टर विचारधारा वाला व्यक्ति ही बोल सकता है। कैसे अजीब आंकड़े दिए हैं उदय ने। क्या उदय बताएंगे कि उनके आंकड़ों की क्या प्रमाणिकता है ? भैया अगर देश के 90 प्रतिशत आतंकवादी, चोर और बलात्कारी मुसलमान होते तो इस देश की पुलिस और सेना भी अपराध को नहीं रोक पाती। पता नहीं किस गुफा में बैठकर और किस मानसिकता के तहत उदय ने पूरे मुसलमानों को गाली दी है ? सच यह है कि जब भी कोई चुनाव आता है तो संघी लोग हिन्दु बहुल इलाकों में एक पत्रक वितरित करते हैं। उस पत्रक में मुसलमानों के खिलाफ ऐसी ही नफरत भरी बातों को लिखा होता है। लगता है कि उदय के हाथ ऐसा ही कोई पत्रक लग गया होगा। ऐसे आंकड़े तो उसी में दिए होते हैं। अब संघ के लोग तो उसे ही आंख मूंदकर सच मान लेते हैं, जो नागपुर से कहा जाता है। उदय शंकर जी सरकारी नौकरियों में तो आप जैसे ही लोग बैठे हुए हैं। फिर क्या कारण है कि कोई भी काम बिना रिश्वत के नहीं होता ? क्या मैं यह कह दूं कि भ्रष्टाचारियों में 90 प्रतिशत हिन्दू होते हैं ? यह तो अच्छा है कि मुसलमानों की संख्या सरकारी नौकरियों में नहीं के बराबर है, वरना उदय शंकर यह लिख मारते कि भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी मुसलमानों की वजह से है।
उदय कहते हैं कि 'एक हिन्दु बच्चे से पूछिए कि उसका दुश्मन कौन ? उसका जवाब सुनिए। और फिर एक मुस्लिम बच्चे से पूछिए तो उसका जवाब होगा, अमेरिका और इसराइल।' यहां उदय ने यह नहीं बताया कि हिन्दू बच्चे का क्या जवाब होता ? उदय को तो इस बात पर खुशी होनी चाहिए कि एक मुस्लिम बच्चा अपना दुश्मन हिन्दु को नहीं बताता। अजीब थ्योरी है उदय की। कहते हैं, मोदी व्यक्ति नहीं, राज्य है ? भैया मैं तो अनपढ़ आदमी हूं और उदय एक अखबार के समाचार सम्पादक हैं। जाहिर है पढ़े-लिखे (?) भी होंगे। क्या कोई मुझे यह बताएगा कि नरेन्द्र मोदी राज्य कैसे हैं ? क्या एक राज्य का मुख्यमंत्री कानून से अलग होता है ? यदि किसी प्रदेश का सीएम एक व्यक्ति राज्य होता है तो क्या उसे मनमानी करने की छुट मिल जाती है ? राष्ट्रीय मानवाधिकर आयोग से लेकर चुनाव आयोग तक ने राज्य को ही लताड़ा था ? यदि राज्य का सीएम ही सब कुछ होता तो उनका प्रिय एनकाउण्टर स्पेशलिस्ट बंजारा जेल में नहीं होता। बाबरी मस्जिद शहीद होने के बाद क्यों उन चार राज्यों की सरकारें बर्खास्त की जातीं, जिनमें भाजपा की सरकारें थीं ? सबसे बड़ी बात सुप्रीम कोर्ट क्यों गुजरात के कुछ बदतरीन हादसों के मुकदमों की सुनवाई दूसरे राज्यों में कराने के आदेश देता ? बात कुछ समझ मे आयी उदय जी ? नहीं आयी तो समझ लिजिए। सीएम से भी बड़ी ताकत न्यायपालिका की होती है। चलिए माने लेते हैं कि मोदी व्यक्ति नहीं राज्य है। क्या एक राज्य को ऐसा होना चाहिए, जिसमें एक कम्यूनिटी के साथ भेदभाव किया जाए और उसको हाशिए पर डाल दिया जाए ? और उस पर यह कहना कि जिसको परेशानी हो, वह राज्य को छोड़कर चला जाए। ऐसा कहना और करना लोकतन्त्र नहीं तानाशाही होती है। ऐसे तो किसी राज्य का मुख्यमंत्री अपने विरोधियों को राज्य से बाहर खड़ा कर देगा।
उदय, अब यह मत कहना कि नरेन्द्र मोदी को किसी ने ऐसे ही गुजरात का मुख्यमंत्री नहीं बनाया, उनको गुजरात की जनता ने चुना है। याद रखिए। पाकिस्तान, बंगलादेश, इंडोनेशिया, मलेशिया और आस्ट्रेलिया में भी जनता ही सरकार को चुनती है। जब इन देशों से हिन्दुओं पर जुल्म की खबरें आती हैं तो क्या उनको नजरअंदाज इसलिए कर देना चाहिए कि वे जनता की चुनी हुई सरकारें हैं ? एक बात और उदय साहब, किसी देश की जनता आपस में लड़े, यह इतना बुरा नहीं है। बदतरीन हालात तब होते हैं, जब राज्य ही किसी एक के पक्ष में खड़ा हो जाए ? गुजरात में यही हुआ था। अब वह बात, जो उदय ने सबसे पहली लिखी थी। उन्होंने लिखा था कि 'अब मैं सलीम को प्रिय नहीं लिख सकता हूं क्योंकि ऐसी मानसिकता के लोग प्रिय नहीं होते। इसमें उनका दोष नहीं है। दरअसल, भारत में जितने मुस्लिम हैं, वे पहले हिन्दु थे।' आपकी बातों का मैं क्या अर्थ निकालूं ? क्या यह कि बलात्कारियों और आतंकवादियों में 90 प्रतिशत मुसलमान इसलिए होते हैं, क्योंकि ये सब चीजें मुसलमानों के खून में हिन्दुओं से ही आयी हैं ? आखिर बकौल आपके भारतीय मुसलमानों में खून तो हिन्दुओं का ही दौड़ रहा है। समझ में नहीं आता कि आपको एक अखबार का समाचार सम्पादक किसने बना दिया ? कहीं आपकी नियुक्ति नरेन्द्र मोदी की सिफारिश पर तो नहीं हुई थी ?


मीडिया को शर्म से सिर झुका लेना चाहिए
सिंह साहब, शर्म तो आपको आनी चाहिए
मगर मोदी को शर्म क्यों नहीं आती?
सही बात कही तो वो मुझे संघी कह गए
The questions raised by Mr. Uday
अपने देश में कितने इम्तेहान देंगे हम?



5 comments:

  1. Very apt, Salim Bhai.The fascizm has to be stopped in its tracks and for that all the secular people of India must stand up and be counted. The communal Hindus in our country are in minority and sanaatan dharmee Hindus are in majority.These Savarkarites must be stopped ideologically. A sanatan dharmee Hindu can never be communal. He will never have any sympathy with RSS.So the majority Hindu population in India is anti-RSS .

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  2. सलाम सलीम साहिब
    आपने उदय जैसे को हकीकत का आईना दिखाया
    जिस तरह से वे मुसलमानों के खिलाफ लिखते है उससे लगता है कि वे जरूर ही मोदी की सिफारिश से संपादक बने है । उन्होने जो आंकड़े लिखे है उन पर बहस करना फिजूल है क्योंकि वे बिल्कुल गलत है । दुआओं मे याद रखे..
    आप सबको ईद मुबारक
    शबीक अहमद उस्मानी

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  3. saleem sahab main aap ki baato se sahmat hoon. maine bhi news pepar me kam karte huye ye mahsus kiya ki hindi aur urdu news pepar me cam karne vale log imandar nhi hote. wo such ko nhi balki dil ki khi batoo ko likhte hoon. shayad yese logo ki tadat hzaro me hai. jo such likhta hai use hasiye par daal diya jata hai. lekin aap apna kam isi tarh imandari se karte jaiye ham log aap ke sath hai.

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  4. saleem sahab main aap ki baato se sahmat hoon. maine bhi news pepar me kam karte huye ye mahsus kiya ki hindi aur urdu news pepar me cam karne vale log imandar nhi hote. wo such ko nhi balki dil ki khi batoo ko likhte hoon. shayad yese logo ki tadat hzaro me hai. jo such likhta hai use hasiye par daal diya jata hai. lekin aap apna kam isi tarh imandari se karte jaiye ham log aap ke sath hai.

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