सलीम अख्तर सिद्दीकी
सदियों से यह कहा जाता है कि जोड़ियां स्वर्ग में बनती हैं। लेकिन हकीकत में देखने में आ रहा है कि जोड़ियां समाज और धर्म के ठेकेदार तय करते हैं। कम से कम पश्चिमी यूपी में तो यही हो रहा है। यदि किसी ने समाज और धर्म को अनदेखा करके जोड़ी बनाने की कोशिश की तो उस जोड़ी को अपनी जान खुद गंवानी पड़ी है अथवा समाज और धर्म के ठेकेदारों ने ली है।
सहारनपुर जिले के देवबन्द की दीपिका और जिया-उल-हक के बीच प्रेम हो गया। वो ये जानते थे कि घरवाले शादी की रजामंदी नहीं देंगे इसलिए दोनों ने घर से भागकर शादी कर ली। जैसा कि होता है। दीपिका के घर वालों ने जिया के खिलाफ बेटी को अगवा करने की रिपोर्ट दर्ज करा दी। लड़के ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में निकाहनामा दिखाकर अपहरण के मामले में गिरफ्तारी पर रोक लग वाली। हाईकोर्ट ने 20 दिन के अन्दर सहारनपुर कोर्ट को दीपिका के बयान लेने के लिए कहा। 5 जून को सहारनपुर की कोर्ट में दीपिका जांनिसार नाम के वकील के चैम्बर में पहुंची। उसके पहुंचने की खबर कोर्ट के उन वकीलों को गयी, जो संघ परिवार से ताल्लुक रखते थे। वकीलों ने सहारनपुर के हिन्दूवादी संगठनों को खबर कर दी। वकीलों और हिन्दुवादी संगठनों ने जांनिसार के चैम्बर में घुसकर तोड़फोड़ और मारपीट की। वे दीपिका को अपने साथ ले जाना चाहते थे। लेकिन उनकी नहीं चली। पुलिस ने दीपिका को नारी निकेतन भेज दिया। 10 जून को दीपिका ने कोर्ट में बयान देकर कहा कि वह जिया साथ जानो चाहती है। हम दोनों ने शादी कर ली है। कोर्ट ने दोनों को बाइज्जत घर भेज दिया। स्वर्ग में बनी जोड़ी को एक साथ रहने के लिए क्या-क्या नहीं सहना पड़ा और आगे क्या सहना पड़ेगा, यह वही जानता है, जो स्वर्ग में जोड़ियां बनाता है।
दूसरा मामला मेरठ का है। सहारनपुर की दीपिका और जिया की तरह परतापुर के गांव नगला पातु के लोकेश और खरखौदा की अमरीन की किस्मत अच्छी नहीं थी। या कह सकते हैं कि दोनों की जोड़ी स्वर्ग में नहीं बनी थी। अमरीन और लोकेश बीच प्रेम हुआ। दोनों ने घर से भागकर गाजियाबाद में 5 मई को आर्यसमाज मंदिर में शादी कर ली। अमरीन शिवानी बन गयी। 9 मई को दोनों को लोकेश के घरवालों ने हापुड़ में पकड़ लिया। लोकेश के परिजनों ने अमरीन को उसके मां-बाप को बुलाकर उन्हें सौंप दिया। लेकिन अमरीन और लोकेश अलग होने को तैयार नहीं थे। 8 जून को समाज के ठेकेदारों की पंचायत हुई। फैसला हुआ कि दोनों के बीच तलाक कराया जाए। दोनों से कोरे कागजों पर दस्तख्त करने का दबाव बनाया गया तो पहले लोकेश और फिर अमरीन ने सल्फास खाकर अपनी जा दे दी।
तीसरा मामला मेरठ के ही जानी गांव का है, जिसमें लड़के और लड़की का धर्म एक ही है। प्रियंका अंकुर को चाहती थी। घरवाले राजी नहीं थे। पहले प्रियंका ने नहर में जान देने की कोशिश की। प्रियंका के परिजन फिर भी नहीं पसीजे। 11 जून को प्रियंका ने जहर खाकर अपनी जान दे दी। शायद प्रियंका और अंकुर की जोड़ी भी स्वर्ग में तय नहीं हो पायी थी।
ये तीन मामले ताजातरीन हैं। इनमें दो मामलों में लड़के और लड़की ने खुद मौत के गले लगाया है। ऐसे मामलों की भी भरमार है, जिनमें लड़की के घरवालों ने लड़की को सरेआम गोलियों से छलनी कर दिया या चाकू से गोद डाला। इस तरह के मामले शहरों से लेकर अतिपिछड़े गांव तक में हो रहे हैं। बहस इस बात पर है कि जब यह कहा जाता है कि जोड़ियां स्वर्ग में बनती हैं तो फिर धर्म और समाज के ठेकेदार क्यों बीच में आते हैं ? या फिर यह झूठ है कि जोड़ियां स्वर्ग में बनती हैं।
एक बात जो सामने आ रही है, वह ये है कि यदि लड़का मुस्लिम है और लड़की हिन्दू है तो मुसलमानों को कोई परेशानी नहीं होती। तब परेशानी हिन्दुओं को होती है। हिन्दुवादी संगठन तो ऐसे मामलों में सड़कों तक पर उतर आते हैं। इस प्रकार के मामलों को हिन्दुवादी संगठन 'लविंग जेहाद' कहते हैं। यदि लड़की मुस्लिम है और लड़का हिन्दु है तो हिन्दवादी संगठन खुश होते हैं, मुसलमानों की इज्जत चली जाती है। दूसरे शब्दों में कहें तो दूसरे धर्म की 'बहु' मंजूर है, 'दामाद' मंजूर नहीं है।
दरअसल, हमारे देश के अस्सी प्रतिशत लोग कस्बों और गांवों में रहते हैं। जहां कुछ परम्पराएं हैं। रस्मो रिवाज हैं। जिन्हें छोड़ना मुमकिन नहीं हैं। इधर, इलैक्ट्रॉनिक मीडिया ने कस्बों और गांवों के बच्चों और युवाओं को ग्लैमर और इश्क-मौहब्बत की कहानियां दिखाकर इस मोड़ पर खड़ा कर दिया है कि उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि क्या गलत है और क्या सही है। इसलिए मेरठ और सहारनपुर जैसे कस्बाई संस्कृति वाले शहरों, कस्बों और गांवों में प्रेम में जान देने और लेने के मामले खतरनाक हद तक बढ़ते जा रहे हैं। दिल्ली और मुबई जैसे महानगर ऐसे मामलों से लगभग उबर चुके हैं। वहां के लोग अब अन्तरधार्मिक प्रेमप्रसंग और शादियां पर चौकते या उग्र प्रतिक्रिया नहीं करते।
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ReplyDeleteस्वर्ग और नर्क दोनों ही मिथ्या हैं। समाज बदल रहा है। जब प्रसव होता है तो प्रसविनी को पीड़ा तो झेलनी पड़ती है।
ReplyDeleteचेतावनी
ReplyDeleteआप धर्म का ठेकेदार कह कर किसी समुदाय विशेष की मानहानि कर रहे हैं, किसी सिरफिरे व्यक्ति ने पढ लिया तो मीडिया में सुर्खियां पाने के लिये आप पर मुकदमा कर सकता है
सिरफिरों यानी सठियाये लोगों की पहचान यह भी है की उनके सर के बाल उड़ जाते है, उनकी चाँद टकली हो जाती है.
ReplyDeleteइसे ही कहते हैं दोगलापन।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
wah kya aaeena dikhaya hai, ekangi saoch walon ko !
ReplyDeleteबढ़िया, लाजवाब और सार्थक लेखन!
ReplyDeletenice post
ReplyDeleteअरे भाई कभी मेरेठ मे मुसलमान गुंडो ने हिंदू लडकियो का जीना हराम कर रखा है उस पर भी लिखॊ वहा एक हिंदू लडके ने मुस्लिम लडकी से प्यार कर डाला था जिसके चलते उसके टुकडे तुकडे कर दिये गये.पुलिस केस तक नही हुआ. अभी अपनी आखे उधर भी घुमाओ . तुम वाकई हो दोगले केवल तुम्हे हिंदू समाज और संघ को गालिया देने के अलावा और कुछ दिखाई नही देता .
ReplyDeleteइलैक्ट्रॉनिक मीडिया ने कस्बों और गांवों के बच्चों और युवाओं को ग्लैमर और इश्क-मौहब्बत की कहानियां दिखाकर इस मोड़ पर खड़ा कर दिया है कि उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि क्या गलत है और क्या सही है।
ReplyDeleteये बात आपकी बिल्कुल सही है।
समाज का और व्यक्तियों का नज़रिया हर मामले के हिसाब से अलग होता है।दूसरे के घर के मामले मे दूसरी राय और अपने मामले मे अलग्।ये दोगलापन इस समास्या को और गंभीर बना देता है।
ReplyDeleteअच्छा लिखा है. बधाई!
ReplyDeleteअपने को तो मुसलामों कि नीति पसन्द आती है, कोई दोगलापन नहीं. बहू बनना है इस्लाम कबूलो. दामाद बनना है तो भी इस्लाम कबूलो.
ReplyDeletewah ji wah
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ReplyDeleteपश्चिमी उत्तर प्रदेश प्रेमियों की कत्लगाह है।
ReplyDeleteसलीम साहब,
ReplyDeleteआप जिस रंग का चश्मा पहनेंगे, दुनिया वैसी ही नज़र आएगी, इस तरह का विवाद कहाँ नहीं है, एक मुसलमान लड़का अगर एक मुसलमान लड़की से शादी करना चाहता है तो मुद्दा यह उठता है की वो शिया है या सुन्नी, ब्रह्मण में यह बात उठती है की कौन सा ब्रह्मण हो, ईसाइयों में रोमन हो या प्रोटेस्टेंट. मैं कनाडा में रहती हूँ और देख कर हैरान हूँ कि ईसाईयों में भी कितने प्रकार के ईसाई हैं, तो हिन्दू, मुस्लमान, ईसाई में आपसी सम्बन्ध एक बड़ी बात हो जाती है,
आपनी बात जन-मानस तक पहुँचने कि जो स्वतंत्रता हिंदुस्तान में हम सब को हासिल हैं मैं नहीं समझती ऐसी आज़ादी, साउदी अरब या इरान हमें देने कि दरियादिली रखता है, इस आज़ादी को जीयें इसका बेजा फायद न उठाएँ