Wednesday, May 13, 2009

तालिबान ही इस्लाम का असली दुश्मन

सलीम अख्तर सिद्दीकी

इस बहस के कोई मायने नहीं रहे कि तालिबान को अमेरिका ने पाकिस्तान की मदद से अपने स्वार्थ की खातिर पाला-पोसा था। अब तल्ख हकीकत यह है कि तालिबान इस आधुनिक युग में मध्ययुगीन परम्पराएं थोप रहा है। आवाम पर जुल्म कर रहा है। वह पाकिस्तान के एक बड़े भाग पर पर इस्लाम के नाम पर गैरइस्लामी परम्पराओं को मुसल्लत कर रहा है। अभी पिछले दिनों दुनिया ने टीवी पर देखा कि कैसे स्वात में कुछ पुरुष एक लड़की के हाथ-पैर बांधकर उसके कथित गुनाह की सजा कोड़े मार कर दे रहे थे। हैरत की बात यह थी कि एक लड़की को पुरुष सजा दे रहे थे। इन तालिबानियों से पूछा जाना चाहिए कि पुरुषों द्वारा एक लड़की को सजा देना कौनसा इस्लाम है ? स्वात घाटी में शरीया लागू करने के बाद वहां की औरतों का जीना हराम कर दिया गया है। लड़कियों के स्कूल जाने पर पाबंद आयद कर दी गयी है। इस्लाम तालीम हासिल करने के लिए चीन तक जाने की नसीहत देता है। लेकिन तालिबान की नजर में आधुनिक तालीम गुनाह है। वह कहता है कि सिर्फ दीनी तालीम हासिल करो। पाकिस्तान सरकार ने यह सोचकर स्वात में शरीया लागू करने की इजाजत दी थी कि वहां शांति हो जाएगी। लेकिन यह सोचना उसकी भारी भूल थी। तालिबान की मनमानी बढ़ती जा रही है। तालिबान का स्वात घाटी के सिखों पर जजिया कर लगाना इसी मनामनी का हिस्सा है। तालिबान ने सिखों को पांच करोड़ रुपया जजिया टैक्स देने के आदेश दिए थे। मोल भाव के आद यह राशि दो करोड़ कर दी गयी थी। लेकिन सिख तय तारीख पर दो करोड़ रुपये नहीं दे पाए तो उनके घरों को तोड़ दिया गया। दुकानों में आग लगा दी गयी। विभिन्न धर्म के मानने वाले लोग विभिन्न देशों में बगैर किसी रोक-टोक के लोकतान्त्रिक तरीके से अपना जीवन-यापन कर रहे हैं। किसी भी देश में ऐसा नहीं है कि वहां किसी खास धर्म के मानने वाले लोगों को रहने के लिए किसी प्रकार का टैक्स अदा करना पड़ रहा हो। दुनिया में लगभग 57 इस्लामी या मुस्लिम देश हैं। इनमें से भी किसी देश में गैर मुस्लिमों से जजिया टैक्स नहीं वसूला जाता है। तालिबान की हरकतों की वजह से दुनिया भर में इस्लाम की गलत छवि बन रही है। पश्चिम के कुछ देश इस्लाम पर तोहमतें लगाते रहे हैं। कभी-कभी तो लगता है कि तालिबान ही इस्लाम दुश्मनों के हाथ का खिलौना बन गया है। तालिबान के कथित इस्लामी राज्य से लोगों का पलायन इस बात का सबूत है कि स्वयं मुसलमान भी तालिबान के इस्लामी राज्य मंजूर नहीं है। तालिबान से बचाने के लिए स्वात घाटी के लोग तालिबान के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।अब जब तालिबान पाकिस्तान को निगल जाने के लिए बेताब है तो आसिफ अली जरदारी कह रहे हैं कि पाकिस्तान को भारत से नहीं तालिबान से खतरा है। सवाल यह है कि पाकिस्तान को तालिबान से कौन बचाएगा ? अमेरिका अफगानिस्तान और इराक में इस कदर घिरा हुआ है कि वह चाहकर भी पाकिस्तान में तालिबानियों के खिलाफ सीधी कार्यवाही नहीं कर सकता। पाकिस्तान की आवाम भले ही तालिबान विरोधी हो, लेकिन वह यह बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगा कि पाकिस्तान में अमेरिका सीधे हस्तक्षेप करे। वैसे भी अफगानिस्तान में अमेरिका तालिबान का खात्मा करने में असफल हो चुका है। तमाम कोशिशों के बाद भी ओसामा बिन लादेन पहेली बना हुआ है। पड़ोस में कट्टरपंथियों का बढ़ता प्रभुत्व भारत के हित में भी नहीं है, लेकिन भारत इस स्थिति में भी नहीं है कि वह सीधे-सीधे पाकिस्तान पर हमला करके तालिबान का खात्मा कर सके। भारत की ऐसी कोई भी कोशिश पूरे दक्षिण एशिया को सुलगा सकती है। यह भी सच है कि पाकिस्तान के परणाणु बमों तक तालिबान तक हो जाती है तो सबसे ज्यादा खतरा भारत को ही है। परमाणु बमों की सबसे ज्यादा चिंता अमेरिका को है। तभी तो अमेरिका पाकिस्तान पर तालिबान को नेस्तानाबूद करने के लिए दबाव बना रहा है। इसके लिए वह पाकिस्तान पर डालर बरसा रहा है। लेकिन पाकिस्तान डालर लेने के बाद भी लगता है तालिबान के खिलाफ केवल लड़ता हुआ दिख भर रहा है, सही मायनों में लड़ नहीं रहा है।

पाकिस्तान जानता है कि तालिबान केवल पाकिस्तान की समस्या नहीं है, पाकिस्तान को गले लगाए रखना अमेरिका की मजबूरी है। पाकिस्तान यह भी समझता है कि यदि पाकिस्तान के पास परमाणु बम नहीं होते तो तालिबान पूरे पाकिस्तान पर कब्जा करके भी शरियत लागू कर देता तो भी अमेरिका पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था। अब स्थिति यह है कि अमेरिका के पास तालिबान से निपटने के लिए पाकिस्तान ही एकमात्र मोहरा है, जो नाकारा और कमजोर है। ऐसे में तालिबान के बढ़ते कदमों को कैसे रोका जाए, यह यक्ष प्रश्न अमेरिका सहित सभी पश्चिमी देशों को परेशान कर रहा है। बकौल जरदारी, तालिबान सीआईए और आईएसआई की संतान है। इसमें दो राय नहीं कि दोनों की तालिबान रुपी संतान बिगड़ चुकी है, जो अपने ही जन्मदाता को नेस्तानाबूद करने पर आमादा है।

3 comments:

  1. Kash ye baat sabhi log samajh paate. phi bhi aapne jo baat kahi hai. himmat ke kabil hai mujhe to ashcharya hai ki abhi tak apako kisi ne dhamaki nahi di hai nahi to dharmik kattarata ki bhavana rakhne wale logo ne to aisi baate kahane waali Taslima Nasrin ke liye to sir kalam karne ka ftawa jaari kar diya tha.

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  2. आप कहते हैं तालिबान ही इस्लाम का दुश्मन है, लेकिन आम लोग ये समझते हैं कि तालिबान ही इस्लाम है, किस सदी में जी रहे हैं ये लोग, अब भी अपने पायजामे और दाढ़ी तक ही पहुँच पाए हैं, पायजामा अगर एडी के नीचे होगया तो २० कोडे लगेंगे, दाढ़ी अगर कटवा ली तो फाँसी लग जायेगी लेकिन विडम्बना यह है कि वही सजा देने के लिए अक ४७ का इस्तेमाल करते हैं, वो हर आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हैं जो इस्लाम में ज़रूर वर्जित होगा बस अपने घरों कि औरतों के साथ जानवार से भी बदतर सलूक करते हैं, आपने कहा अमेरिका ने इनसबको पाल पोस कर बड़ा किया, अमेरिका ने इन्हें बन्दूक और तोप से लैस कर दिया, यह वहशियाना सोच तो इनकी अपनी ही है, इसके लिए अमेरिका को क्यूँ दोष दे रहे हैं, साड़ी दुनिया कहाँ से कहाँ पहुँच गयी और ये पाषाण युग में जी रहे हैं

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