Tuesday, April 21, 2009

डरपोक और कमजोर नरेन्द्र मोदी



सलीम अख्तर सिद्दीक़ी
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से कहा है कि यदि वे मजबूत हैं तो अफजल गुरु को फांसी देकर अपनी मजबूती साबित करें। उनका यह बयान आज के अखबारों में छपा है। साथ में एक तस्वीर छपी है। तस्वीर में दिखाया गया है कि नरेन्द्र मोदी एक जाल के पीछे से अपना भाषण दे रहे हैं। नरेन्द्र मोदी खुद इतने डरपोक और कमजोर हैं कि उन पर कोई दिलजला जूता न फेंक दे, इसलिए जाल का सहारा ले रहे हैं। नरेन्द्र मोदी साहब पहले खुद इतने मजबूत बनिए फिर किसी और को मजबूत होने का मशविरा देना। जहां तक अफजल गुरु को फांसी देने का सवाल है तो वे इतना समझ लें कि ये वही अफजल गुरु है, जिसने राजग की सरकार के दौरान संसद पर हमला किया था। जनता ने आपकी सरकार को तो संसद हमले के बहुत बाद में चलता किया था, तभी क्यों नहीं अफजल गुरु को सरेआम फांसी पर लटकाकर मजबूती दिखायी थी ? और हां आपके लौहपुरुष साहब कितने लोहे के बने हैं, यह तब साबित हो गया था, जब उनके विदेश मंत्री खूंखार आतंकवादियों को बिरयानी खिलाते हुऐ आदर के साथ कंधार तक छोड़ कर आए थे। पहले अपने पीएम वेटिंग को इतना मजबूत तो कीजिए कि देश पर संकट के सामने मोम बनने बजाय लोहे के बने रहें। सिर्फ कसरत करते तस्वीर खिंचवाने और बाजू फड़काने से कोई मजबूत नहीं हो जाता। पता नहीं क्यों आजकल आडचाणी साहब की कुछ ऐसी तस्वीरें आ रहीं हैं, जिनमें वे मजबूत दिखने की कोशिश करते नजर आते हैं। अब उन्हें कौन समझाए कि देश का प्रधानमंत्री शरीर से ज्यादा दिमाग से मजबूत होना चाहिए। प्रधानमंत्री को अखाड़े में कुश्ती नहीं लड़नी पड़ती। मनमोहन सिंह दोनों तरह से मजबूत प्रधानमंत्री हैं। आडवाणी साहब मजबूत दिखते भर हैं, मजबूत है नहीं। जहां तक खुद नरेन्द्र मोदी की मजबूती की बात है, उन्होंने जाल को ढाल बनाकर यह दिखा ही दिया है कि वह खुद कितने डरपोक और कमजोर हैं।

7 comments:

  1. सही पहचाना आपने। वैसे आपको शायद यह भी मालूम हो कि इनकी असली ताकत किसी उन्‍मादी भीड़ के साथ पैदा होती है। व्‍यक्तिगत रूप से हद दर्जे के कायर लोग होते हैं। तमस में भीष्‍म साहनी ने सही दिखाया है और कई जगह साबित भी हुआ है।

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  2. अफज़ल को फांसी क्यों दें सलीम जी, उसे फांसी देने से हमारे देश के कुछ लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचेगी और सेकूलरिया लोगों को वोत नहीं मिलेगा सो वोट चाहिये तो अफज़ल को जिन्दा रखना ही पड़ेगा

    कंधार में 200 लोगों को बचाने के लिये क्या करना चाहिये यह जिन्ना टोपी पहनने वाले कांग्रेस के कुनबे की पैदायश तत्कालीन प्रधानमंत्री ने पूर्व उदाहरण पेश कर ही दिया था, जब एक गृहमंत्री की बेटी रुबईया सईद के अपहरण के नाटक के बदले में आतंकवादी छोडे थे

    जब एक राजनीतिज्ञ की लड़की के अपहरण के नाटक पर आतंकवादी छोड़े जा सकते हैं तो आम जनता का खून क्या पानी है? अगर मुम्बई हमले में इस्लामिक आतंकवादी सौ दो सौ आदमियों को कब्जा कर अफज़ल गुरु को मांगते तो क्या करते कांग्रेसी, वैसे अफज़ल और कसाब जिन्दा है तो इन्हें छुड़ाने के लिये तालिबानी इस्लामिक आतंकवादी कोशिश जरूर करेंगे

    जूते की बात पर याद आया कि जब से अरुंधती राय को जूता पड़ा है तब से हर नेता अभिनेता जूते से बचने की कोशिश करता आ रहा है, अभी पिछले दिनों सीताराम येचुरी एक पत्रकार सभा में कैसे घबराये जा रहे थे,

    लेकिन जूते तो पड़ेंगे
    सिर्फ नेता ही नहीं, विदेशी पैसे पर पलने वाले दलालों पर भी पड़ेंगे
    देख लेना सलीम भाई

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  3. इतना समझ लें कि ये वही अफजल गुरु है, जिसने राजग की सरकार के दौरान संसद पर हमला किया था।

    अरे! आप मान रहे हैं कि यह काम अफजल ने किया था? बधाई.

    आपको मालूम हो तो भारत में शरिया नहीं चलता, सजा देना अदालत का काम है जो कॉग्रेस के शासन में आने के बाद फाँसी सुनाई गई थी. देशद्रोहियों ने सजा रोक रखी है.

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  4. सेक्युलर आर्टिकल है :)

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  5. yeh ek patrkar nahi bol raha aur aap ko to dhang se patrkarita karna bhi nahi aati kuki tathyo ki samajh aapme nahi he aur jo bol raha he wo apka dwesh he jabki ek accha patrkar use kaha jata he jo nispaksh hota he.

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  6. तुम्हारे बाप मुम्फ्ति मोहम्मद सईद की बेटी रजिया को उठा ले गये थे मगर एक बार भी सईद साहब के मुँह से नहीं निकला कि हो जाने दो कुरबान मेरी बेटी को देश पर मगर उऩ खुखार आतंकियो मत छोङऩा जो ना जाने कितनी बेटीयो को उठायेगें

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