एनडी तिवारी रोहित शेखर के पिता हैं, यह साबित होने के बाद एनडी की प्रतिष्ठा को जबरदस्त आघात लगेगा। यदि वह अब भी इसे अपने खिलाफ सुनियोजित साजिश मानते हैं, तो उनके अंदर सच का सामना करने की हिम्मत नहीं है।
किस्सा किसी फिल्म की पटकथा सरीखा रहा। किसी को उम्मीद नहीं रही होगी कि एनडी तिवारी जैसे ताकतवर आदमी के सामने एक आम लड़का रोहित यह साबित करने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ेगा कि एनडी उसके जैविक पिता हैं। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद रोहित की जीत ने साबित किया है कि इरादे मजबूत हों, तो कुछ भी किया जा सकता है। कोई नहीं चाहता कि समाज को पता चले कि वह किसी की नाजायज औलाद है। एक औरत तो समाज से हर संभव तरीके से यह छुपाने की कोशिश करती है कि उसने उस शख्स के बच्चे को जन्म दिया है, जिससे उसका वैवाहिक रिश्ता नहीं था। लेकिन रोहित शेखर ने यह साबित करने के लिए कि वह देश के एक नामी नेता की औलाद हैं, लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। उनकी मां उज्जवला उनकी लड़ाई में साथ रहीं। रोहित और उज्जवला इस लड़ाई में कितनी मानसिक पीड़ा से गुजरे होंगे, यह वे ही जानते हैं और कहते भी हैं कि वे इस लंबी लड़ाई में बेहद तकलीफ से गुजरे हैं। दूसरी और नारायण दत्त तिवारी हैं, जो आखिरी वक्त तक कोशिश करते रहे कि सच दुनिया के सामने न आने पाए। इसके लिए उन्होंने हर हथकंडा अपनाया। अदालत से असहयोग किया। डीएनए के लिए ब्लड सैंपल भी वह कोर्ट के फटकार के बाद देने के लिए तैयार हुए थे। एक तरह से उनसे जबरदस्ती ब्लड सेंपल लिया गया था। बहुत लोगों का ख्याल था कि रोहित एनडी की विरासत में हिस्सा लेने के लिए सब कुछ कर रहे हैं, लेकिन वह बार-बार मना करते रहे हैं कि उन्हें संपत्ति का लालच नहीं है, बस एनडी उन्हें अपना नाम दे दें। अब सच सामने आ गया है, तो आने वाले दिन बताएंगे कि रोहित की मंशा क्या थी? एनडी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि किसी समय रात के अंधेरे में किया गया उनका एक गुनाह उनकी जिंदगीभर की मान-प्रतिष्ठा को मिट्टी मिला देगा। सब कुछ सामने आने के बाद भी एनडी इसे अपने खिलाफ सुनियोजित षडयंत्र मानते हैं, तो कहना पड़ता है कि अभी भी वह सच स्वीकार करने की ताकत हासिल नहीं कर पाए हैं। सच का सामना कैसे किया जाता है, इसकी सीख उन्हें उज्ज्वला लेनी चाहिए। रोहित ने जो लड़ाई लड़ी है, उसका असर समाज पर भी पड़ेगा। ऐसा नहीं है कि कोई और रोहित और उज्जवला नहीं होंगे, लेकिन सामाजिक बेड़ियां उन्हें आगे आने से रोकती रही होंगी। रोहित ने उन लोगों को रास्ता दिखाया है, अपना हक लेने का, अपनी पहचान कायम करने का। इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि एनडी तिवारी ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में विकास के नए आयाम बनाए हैं, लेकिन राजनीतिक गलियारों में उनकी रंगीन मिजाजी के किस्से भी चटखारे लेकर सुने-सुनाए जाते रहे हैं। देखना यह है कि आने वाला वक्त उन्हें विकास पुरुष के रूप में याद करेगा या एक ऐसे रंगीन मिजाज नेता रूप में, जो उम्र के आखिरी पड़ाव में भी एक सीडी में कथित रूप से एक अभिनेत्री के साथ दिखाई दिए थे।
(28 जनवरी के दैनिक जनवाणी में छपा संपादकीय)
No comments:
Post a Comment