Monday, May 10, 2010

स्वामी रामदेव स्विस बैंकों से पैसा कैसे वापस लाएंगे ?

सलीम अख्तर सिद्दीकी
जब कभी किसी आदमी के किसी वजह से कुछ हजार या कुछ लाख प्रशंसक बन जाते हैं तो उसे यह गलतफहमी हो जाती है कि वह देश को चलाने में भी सक्षम है और यदि वह राजनीति में आएगा तो देश की जनता उसे सर-माथे पर बैठाकर देश की बागडोर सौंप देगी। इस प्रकार की गलतफहमी कई लोगों को हो चुकी है। लेकिन जनता ने उन्हें कबूल नहीं किया। अब योग के सहारे टीवी पर दिखाई देने लगे स्वामी रामदेव को शायद कुछ लोगों ने समझा दिया है कि देश की जनता बहुत बेसब्री से इस बात का इंतजार कर रही है कि कब स्वामी रामदेव राजनीति में पदार्पण करें और उन्हें देश की बागडोर सौंप दें। तभी शायद स्वामी रामदेव यह कहते हैं कि 'अब मेरे पास इतनी शक्ति है कि मैं सरकार को उखाड़ सकता हूं।' स्वामी देव की इस बात से उनका बड़बोलापन ही झलकता है। उन्होंने 'भारत स्वाभिमान ट्रस्ट' का गठन कर लिया है। इस ट्रस्ट की राजनैतिक शाखा 'भारत स्वाभिमान जवान' बनायी है। वह 2014 को होने वाले लोकसभा चुनाव में सभी 543 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की योजना पर अमल कर रहे हैं। जब चुनाव लड़ा जाएगा तो जनता को भरमाने के लिए कोई मुद्दा भी चाहिए। स्वामी रामदेव देश की जनता को यह ख्वाब दिखा रहे हैं कि वह स्विस बैंकों में देश का जमा 300 लाख करोड़ रुपया भारत में लाएंगे। देश का पैसा देश में वापस आए यह अच्छी बात है। लेकिन क्या स्विस बैंकों से पैसा वापस लेना इतना ही आसान है, जैसे एटीएम से पैसा निकाल लेना ? क्या स्विस बैंकों से भारत सरकार या किसी भी देश की सरकार यह कहेगी कि हमारे भ्रष्ट लोगों का जो पैसा आपके यहां जमा है, उसे वापस कर दो और स्विस बैंक वापस कर देगा ? यदि स्विस बैंकों से पैसा वापस लाना इतना ही आसान होता तो भ्रष्टाचारी लोग अपना पैसा स्विस बैंक में ही क्यों रखते ? स्विस बैंकों से पैसा वापस लाना तो छोड़िए, स्वामी रामदेव यही पता लगा लें कि इन बैंकों भारत के कितने लोगों का और कितना काला पैसा जमा है ? स्वामी रामदेव को देश की जनता को यह तो हर हाल में बताना ही चाहिए कि वह स्विस बैंकों से पैसे को वापस कैसे लाएंगे ? ऐसा करने के लिए उनके पास क्या रणनीति है ?
स्विस बैंकों से पैसा वापस लाने की बात करने वाले स्वामी रामदेव खुद इंग्लैंड में एक आईलेंड और अमेरिका के ह्‌यूस्टन शहर में लगभग तीन सौ एकड़ जमीन खरीदते हैं। विदशों में सम्पत्ति खरीदना क्या भारत के पैसे को विदेशों में ले जाना नहीं है ? स्वामी रामदेव को देश की जनता को भी बताना चाहिए कि उन्होंने कुछ ही सालों में साठ-सत्तर हजार करोड़ का विशाल सामा्रज्य कैसे खड़ा कर लिया ? यदि अतीत की बात करें तो साइकिल पर चलने वाले स्वामी रामदेव हरिद्वार में गुरु शंकर देव के शिष्य थे। उनके वह गुरु आजकल कहां हैं, क्या कर रहे हैं, इसका किसी को पता नहीं है। खुद स्वामी रामदेव भी उनके बारे में कुछ नहीं कहते हैं। कहा जाता है कि लोगों की नजरों से दूर होने से पहले गुरु शंकर देव बहुत ज्यादा व्यथित थे।
स्वामी रामदेव की बातों से पता चलता है कि उन्होंने वह सब गुर सीख लिए हैं, जो भारत की मौजूदा राजनीति करने के लिए बहुत जरुरी है। मसलन, देश के सबसे बड़े वोट बैंक समझे जाने वाले मुसलमानों पर उन्होंने डोरे डालने शुरु कर दिए हैं। इस बात को वह भी समझते हैं कि बगैर मुसलमानों को साथ लिए देश की सत्ता पर काबिज नहीं हुआ जा सकता है। तभी वो वह देवबंद में होने वाले जमीअत उलेमा हिन्द के अधिवेशन में हिस्सा लेते हैं। वह यह भी जानते हैं कि भारत का मुसलमान आरएसएस से दूरी बना कर चलता है। इसलिए उन्होंने अभी से इस प्रकार की बातें करनी शुरु कर दी हैं, जिससे यह आभास हो कि वे आरएसएस को पसंद नहीं करते हैं। एक पाक्षिक पत्रिका से साक्षात्कार में वे कहते हैं-'भाजपा के साथ दिक्कत यह है कि भाजपा युवाओं को हिन्दुत्व का विचार नहीं समझा पा रही है। युवा हिन्दुत्व का अर्थ सिर्फ राम मंदिर समझते हैं।' आरएसएस के बारे में वह कहते हैं-'आरएसएस कारसेवकों का हिन्दुत्व के प्रति अपना विचार है लेकिन वे भी आम आदमी को इसका अर्थ नहीं समझा पा रहे हैं।' हालांकि स्वामी रामदेव का हिन्दुत्व कौनसा है, इसको वह नहीं बताते।
राजनीति का सबसे बड़ा गुर भी स्वामी रामदेव ने सीखा है। उन्होंने घोषणा की है कि वह न तो चुनाव लड़ेंगे न ही प्रधानमंत्री का पद लेंगे। वह इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि यदि उनकी पार्टी चुना जीत गयी तो देश की जनता उन्हें जबरदस्ती गद्दी पर बैठा देगी। और स्वामी रामदेव किसी सूरत में देश की जनता का आग्रह नहीं ठुकरा पाएंगे। ऐसा भी नहीं है कि स्वामी रामदेव अकेले ही इतना बड़ा दांव अकेले ही खेलने निकले हैं। दरअसल, योग की वजह से बड़ी-बड़ी हस्तियां उनके साथ नजर आने लगी हैं। शायद इन्हीं हस्तियों ने स्वामी रामदेव को चुनाव लड़ने के लिए तैयार किया है। यह भी हो सकता है कि स्वामी रामदेव को कुछ लोग 'मोहरा' बनाकर अपना हित साधने का खेल, खेल रहे हों।

10 comments:

  1. सही कहा आपने. किसी एक क्षेत्र में सफलता के साथ अच्छा कार्य करना इस बात की गारंटी बिलकुल नहीं हो सकती है कि किसी और क्षेत्र में भी कामयाबी मिल जाएगी. और वैसे भी राजनीती के कीचड़ में अपने कपडे गंदे होने से बचाना बहुत मुश्किल कार्य है.

    लेकिन एक बात अवश्य है, योग के क्षेत्र में सफलता मिलने से उनमे सफल नेताओं की तरह बड़े-बड़े एवं कभी ना पुरे होने वाले लुभावने वादे करना आ अगया है.

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  2. दरअसल स्वामी रामदेव जी की सोच अच्छी है, जिसका मैं समर्थन भी करता हूँ ,लेकिन लगता है सत्ता के दलालों ने उनको अपने चक्रव्यूह में फंसाना शुरू कर दिया है ,क्योकि जब भी कोई , हर गाँव में जनाधार को लोगों के दिल से जोड़कर और लोगों की असल जरूरत के लिए जमीनी प्रयास के बिना, सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारता है या उतरने की सोचता है ,तो इससे भ्रष्ट पार्टियों को ही फायदा होता है / जैसे दिल्ली की शीला दीक्षित की सरकार को बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवारों की वजह से पिछले चुनाव में फायदा हुआ था / इसलिए मैं तो उनसे यही आग्रह करूंगा की पहले लोगों के अधिकारों के लिए लड़ें उसके बाद चुनाव लड़ें ,तो बेहतर रहेगा /

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  3. "लेकिन क्या स्विस बैंकों से पैसा वापस लेना इतना ही आसान है, जैसे एटीएम से पैसा निकाल लेना ? क्या स्विस बैंकों से भारत सरकार या किसी भी देश की सरकार यह कहेगी कि हमारे भ्रष्ट लोगों का जो पैसा आपके यहां जमा है, उसे वापस कर दो और स्विस बैंक वापस कर देगा ?"

    जी सलीम भाई, जिन लोगों के पैसे वहा जमा है उन पर यहां शिकंजा कसा जाय तो स्विस बैंक से पैसे अवश्य लाये जा सकते हैं

    स्विस बैंकों से पैसा वापस लाना तो छोड़िए, स्वामी रामदेव यही पता लगा लें कि इन बैंकों भारत के कितने लोगों का और कितना काला पैसा जमा है ?
    कौन कहता है कि सरकार को पता नहीं है कि स्विस बैंक में किसका कितना पैसा जमा है? कांग्रेसी सरकार ने खुद सुप्रीम कोर्ट में स्वीकार किया है कि उसके पास इन भारतीयों कि लिस्ट है जिनका पैसा विदेशी बैंक में जमा है लेकिन वह "कान्फीडियेन्शियल्टी" के चलते इन नामों क्प प्रकट नहीं कर सकती.
    निम्न खबर पढिये
    http://www.financialexpress.com/news/centre-to-sc-have-info-on-black-money/453800/

    स्विस बैंक में जमाकर्ताओं की लिस्ट जर्मन सरकार को मिली और जर्मन सरकार ने अपनी सूचना भारत सरकार के साथ गुप चुप शेयर कर ली. हमारी स्वच्छ सरकार इस लिस्ट पर कुंडली जमा कर बैठी है क्योंकि इस लिस्ट में पक्ष विपक्ष दोनों नेताऔं के, व्यवसयियों के, धार्मिक नेताओं के, न्याय पहरुओं के, नौकरशाहों के और नक्सलवादी समूहों तक के नाम है.

    हम तो चूहे हैं ये बिल्लियां, इन के गले में घंटी कौन बांधेगा?
    अगर एसे में कोई एक कोशिश करने की कोशिश करता है तो उस पर सवाल तो मत उठाईये
    हो सके तो साथ दीजिये, अपने सारे पूर्वाग्रहों को छोड़कर

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  4. आप क्यों फ़िज़ूल में स्वामी रामदेव के पीछे पड़े हो, लिखने के लिए और कुछ नहीं है क्या आप के पास? या लोकप्रियता बटोरने का ये भी कोई नुस्खा है!

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  5. आप साथी अट्कलो के आधार पर पत्रकारिता करते है तथ्य पर कुछ ग्यान ही नही है आपको, हैरानी की बात है!!! काश लेखन और पत्रकारिता का थोडा ग्यान प्राप्त कर लिया होता आप ने !आप पूरी तरह पूर्वाग्रह से ग्रसित हो और जिस तरह निराधार तरीके से आप ने ये लेख लिखा है उसी निराधार तरीके से अटकला लगा कर "शायद" शब्द का स्तेमाल लेते हुए आप को देशद्रोही,जेहादी आतन्क्वादी,ओसामा/ सोनिया का चम्चा अगर कहा गया तो बताईये कैसा लगेगा आपको ??? तथ्य पर लिखा करो !!

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  6. उद्भावना के ताज़ा अंक में राम किशन यादव उर्फ राम देव के बहाने आयुर्वेदिक औषधियों पर एक पठनीय लेख प्रकाशित है। जिसे भी इस विषय में रुचि है उसे ये लेख अवश्य पढना चाहिये।

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  7. siddiqi saahb aadaab aapne kdvaasch likha he jo aek hqiqt he. akhtar khan akela kota rajasthan mera hindi blog akhtarkhanakela.blogspot.com

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  8. स्वामी रामदेव का अभियान सामयिक है और वक़्त की मांग है. उनके अलावा आज कोई भी युवा ऐसी पहल करे इसकी जरुरत है यह स्वागत योग्य है.
    भारत की घटिया राजनीति में कुछ नया और अच्छा तभी संभव है जब बिलकुल नए लोग सत्ता में राष्ट्र स्वाभिमान को जगह दें.

    मुझे लगता है रामदेव की पार्टी को सिर्फ वे खारिज कर रहे हैं जो इनको धार्मिक नेता के रूप में देख रहे हैं. आज अगर कोई विद्वान् मौलाना भी राष्ट्रीय स्वाभिमान के जज्बे के साथ राजनीति में उतरे तो इन्हें भी नेत्रित्व करने का मौका देना चाहिए. बदलाव के लिए कुछ तो करना ही होगा. जाने कब तक कांग्रेस, भाजपा और अन्य जैसे दिशाहीन पार्टियों के टिकट बिकते रहेंगे और देश और जनता का बेडागर्क होता रहेगा.

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