Friday, March 12, 2010

नरेन्द्र मोदी को शर्म नहीं आती

सलीम अख्तर सिद्दीकी

फरवरी 2002 के गोधरा कांड के बाद भड़के गुजरात दंगों के दौरान अहमदाबाद की गुलबर्गा सोसासटी में हुए नरसंहार के सिलसिले में विशेष जांच दल ने पूछताछ के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को 21 मार्च को विशेष जांच दल के सामने पेश होने के लिए समन जारी किया है। भारत के इतिहास में यह पहला मामला है, जिसमें किसी सिटिंग मुख्यमंत्री को किसी आपराधिक मामले में पुलिस ने समन जारी किया है।
इस समन के जारी होने के बाद नरेन्द्र मोदी को शर्म आनी चाहिए थी। अच्छा होगा कि वे अपना पद छोड़कर विशेष जांच दल के सामने जाएं। लेकिन वे ऐसा करेंगे नहीं, क्योंकि अतीत में यही होता आया है कि जब भी किसी सरकारी या गैर सरकारी संस्था ने उनकी आलोचना की, उसे हिन्दू विरोधी कहकर अपना जनाधार मजबूत किया। यहां तक हुआ कि हिन्दुओं के वोटों का ध्रुवीकरण करने के लिए उन्होंने मुसलमानों को हर तरीके से सताया। राहत शिविरों को बहुत जल्दी बंद कर दिया था। दंगा पीड़ितों को कुछ सौ रुपए की मुआवजा राशि देकर उनके जले पर नमक छिड़का गया था। गुजरात में एक अलिखित कानून बना दिया गया कि कोई भी मुसलमान सरकारी सहायता की उम्मीद न करे। बैंकों ने लोन देना बंद कर दिया। और बाहर यह प्रचारित किया जाता है कि गुजरात में मुसलनमानों की स्थिति बहुत अच्छी है. गुजरात हिंसा के बाद देश के अधिकतर उदारवादियों हिन्दुओं, सामाजिक संगठनों, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और चुनाव आयोग ने जब नरेन्द्र मोदी को फटकार लगाई थी तो उन्होंने सब का मखौल उड़ाते हुए सबको हिन्दू विरोधी करार दे दिया था। बेस्ट बेकरी कांड पर सुप्रीम कोर्ट की मोदी सरकार विरोधी टिप्पणियों का भी नरेन्द्र मोदी पर कोई असर नहीं हुआ था। जब सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार की विश्वसनीयता पर सवालिया निशान लगाते हुए दंगों की कुछ घटनाओं के मुकदमों को गुजरात से बाहर चलाए जाने के आदेश दिए थे, तब भी नरेन्द्र मोदी को शर्म नहीं आयी थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जब मोदी को राजधर्म निभाने की सलाह दी थी, तब मोदी वाजपेयी को तो हिन्दू विरोधी नहीं कह सकते थे, लेकिन मुस्कराए तो जरुर होंगे। अभी भी ऐसा नहीं लगता कि विशेष जांच दल के समन के बाद भी मोदी को शर्म आएगी। क्योंकि नरेन्द्र मोदी में शर्म नाम की चीज ना कभी थी और न ही भविष्य में होने की उम्मीद है। हो सकता है कि नरेन्द्र मोदी इस समन को भी बहुत ही बेशर्मी के साथ अपनी हिन्दू हितैषी की छवि को और मजबूत करने के लिए करें और विशेष जांच दल को ही हिन्दू विरोधी करार दे दें।
नरसंहार को आधार बनाकर हिन्दुत्व के पुरोधा बने नरेन्द्र मोदी संभवत: जानते हैं कि आलोचनाओं और विरोध से उनकी राजनीति निखरेगी इसलिए वे ऐसी आलोचनाओं को कभी महत्व नहीं देते हैं जो उनकी खिलाफत करती हो. गुजरात नरसंहार के बाद नरेन्द्र मोदी के चेहरे पर न तो कभी प्रायश्चित के भाव दिखाई दिये और न ही उन्होंने भारत के मुसलमान समाज से कभी माफी मांगी. मोदी ने संभवत: ऐसा इसलिए किया क्योंकि वे जानते हैं कि वे जिस पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हैं उसका आधार मुसलमानों का ही विरोध है. एक ऐसे देश में जो स्वभाव से सेकुलर है मोदी जैसे नेताओं को समन न केवल न्याय प्रणाली की फिरकापरस्त ताकतों पर विजय है बल्कि उन सभी को यह संदेश भी कि मजहब को आधार बनाकर लोगों को काटा-बांटा नहीं जा सकता. मोदी प्रशासन कह रहा है कि वह न्यायिक प्रक्रिया का सम्मान करेगा और समन का जवाब देगा. लेकिन सवाल यह है कि क्या मोदी कभी सम्मन का सही जवाब दे पायेंगे?

8 comments:

  1. saleem sahab namaskaar,

    aapka phone nahi milta hai . aapko march ank loksangharsha patrika ka regisatar daak se phir bheja gaya kripya baat karne ka kast karein.

    suman
    09450195427

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  2. सलीम जी कल युट्युब मे एक वीडियो देख कर अचम्भित हो रहा था कि भाइजानो को शर्म भी नही आ रही है ! आप ज़रा इसे देखे और ज़रूर बताये कि मोदी के सिवाये किसी और को भी शर्म आनी चाहिये की नही ??? नीचे लिन्क दे रहा हू देखे और बताये ज़रूर अगर आप मे भी शर्म नाम की चीज़ कही बसती हो तो ,वर्ना कोइ बात नही !!!

    http://www.youtube.com/watch?v=Jo5u_Wej-PY

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  3. शर्म का ठेका हिन्दुओं ने ही ले रखा है क्या??
    बरेली के दंगों की शुरूआत भी मुस्लिमों (लिखते हुये अच्छा नहीं लगता) ने ही की और अब सभी लोग हिन्दुओं पर यहां भी चढ़ाई कर रहे हैं.
    कल भी एक चैनल पर न्यूज में दिखाई दे रहा था.

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  4. Godhara Kand ki Suruwat bhi musalamano ne hi ki thi. Nirdosh kar swako ko aaga ke hawale kar ke, Tab kanha thi aap ki Sharm.

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  5. सलीम जी,
    भारतीय नागरिक और तारकेश्वर जी ने सही बात कह ही दी है… उसे आगे बढ़ाते हुए इतना ही कहना चाहूंगा कि झगड़े-फ़साद की शुरुआत हमेशा मुसलमानों की तरफ़ से ही होती है, हिन्दू तो सिर्फ़ "प्रतिक्रिया" करता है। यदि क्रिया न हो तो प्रतिक्रिया भी नही होगी। गुजरात में जो भी हुआ वह भी गोधरा की ही प्रतिक्रिया थी, और यह बात बरसों से लगातार मालेगांव, मलियाना, मेरठ, भागलपुर सभी जगह साबित हो चुकी है। जैसे कि भारत ने आज तक कभी पाकिस्तान पर हमले की पहल नहीं की, वैसे ही कभी भी "हिन्दू" अपनी तरफ़ से आक्रमण की पहल नहीं करता…।
    असली दिक्कत इसलिये शुरु हुई है कि अब हिन्दू लगातार मार खाते रहने को तैयार नहीं, और उसकी प्रतिक्रिया भी जरा मजबूत होने लगी है… सो सेकुलरों के पेट में दर्द उठने लगा है। हिन्दू देर से जागता है, या कहें कि देर से गुस्सा होता है, लेकिन जब होता है तो………

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  6. हिन्दुओं को सालों को शर्म आती ही कब है? आतंकवादियों के घर जाने में शर्म नहीं आती. उन्हे जेल में बिरयानी परोसने में शर्म नहीं आती. देशवासियों का खून बहाने वाले की फाँसी की सजा होने नहीं देते. वोटो के लिए तुष्टिकरण करते शर्म नहीं आती. देश तोड़ते शर्म न आयी, न ही अब आ रही है. वैसे भी आपकी कौम के ज्ञानी ने ब्लॉग पर लिखा ही है गंगा में नहाने वाले गधे होते है. मियां हम हजार साल से मार खाने वाले गधे है, शर्म कैसे आएगी?

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  7. मेरे ऐसे बहुत सारे दोस्त हैं, जो पहले आरएसएस में थे। वहां के हालात देखकर उन्होंने संघ छोड़ दिया था। आज की तारीख में वे लोग संघ के पक्के विरोधी हैं। जानते हैं, ऐसा क्यों हुआ। क्योंकि उन्होंने देखा था कि किसी भी हिन्दू या मुस्लिम जलूस पर पहला पत्थर फेंकने का काम संघी ही करते थे। यानि क्रिया और प्रतिक्रिया का खेल संघ ही खेलता है। आंकड़े कहते हैं कि दंगों में मरते सबसे ज्यादा मुसलमान होते हैं। नुकसान सबसे ज्यादा उनका ही होता है। जेलों में भी उन्हें ही ठूंसा जाता है। दंगों में पुलिस की भूमिका हमेशा ही पक्षपात वाली रहती आई है। जहां पुलिस पर निष्पक्ष रहने का दबाव रहता है, वहीं पर संघी हमेशा ही यह प्रचार करते हैं कि दंगों में निष्पक्षता नहीं बरती जा रही है। यानि यदि पुलिस मोदी के 'क्रिया की प्रतिक्रिया' के सिद्धान्त को लागू कराने में मदद करे तो ठीक वरना पुलिस निष्पक्ष नहीं है। मोदी का 'क्रिया की प्रतिक्रिया' का सिद्धान्त कुछ लोगों को इतना भा गया है कि वे अब इसी सिद्धान्त को पूरे देश पर आजमाना चाहते हैं। शायद इसी लिए गडकरी साहब ने मोदी को प्रधानमंत्री बनाने का शिगुफा उछाल कर एक बार फिर हिन्दू कार्ड खेलने की कोशिश की है।

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  8. सलीम जी आप बेबुनियाद बाते करने मे उस्ताद हो !
    ये हुनर आपने कहाँ से सीखा?

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