Tuesday, December 15, 2009

अफजल को माफी, साध्वी को फांसी !

सलीम अख्तर सिद्दीकी
एक जमाना था, जब संघी लोग गुप्त रुप से एक 'पत्रक' वितरित किया करते थे, जिसमें मुसलमानों और इस्लाम के खिलाफ लिखा होता था। पत्रक की भाषा बेहद उत्तेजक और नफरत भरी होती थी। यह काम अब भी होता है। लेकिन अब अपना संघ परिवार थोड़ा 'हाईटेक' हो गया है। अब एसएमएस और इंटरनेट के माध्यम से दुनिया के सामने जहर उगला जा रहा है। एसएमएस के जरिए नफरत फैलायी जा रही है। लेकिन लगता है, संघियों ने जिन लोगों को इस काम पर लगाया है, उनकी जानकारी इतनी कम और तथ्यहीन है कि हंसी आती है। अभी तीन दिन पहले मेरे पास एक परिचित संघी का एसएमएस आया है। जरा इसकी भाषा पर गौर फरमाएं।
वाह इंडिया!
अफजल को माफी, साध्वी को फांसी
आरएसएस पर प्रतिबंध, सिमी से अनुर्बध
अमरनाथ यात्रा पर लगान, हज पर अनुदान
वाकई मेरा भारत महान !
इस एसएमएस में सभी बातों को उल्टा लिखा गया है। हमें तो पता ही नहीं चला कि अफजल को कब माफी दी गयी और साध्वी को कब फांसी दे दी गयी। क्या कोई संघ परिवार का सदस्य बताएगा कि ऐसा हादसा कब पेश आया, जिससे पूरी दुनिया अनजान रही ?
यह सही है कि आरएसएस की राष्ट्र और समाज विरोधी गतिविधियों के चलते इस पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। लेकिन प्रतिबंध कब लगा पता ही नहीं चला। हमें तो इतना पता है कि सिमी पर प्रतिबंध लगा हुआ है। हां इतना जरुर है कि कांग्रेस सरकार ने लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट के बाद संघ से अनुबंध कर लिया है कि बाबरी मस्जिद को शहीद करने और प्रायोजित साम्प्रदायिक दंगों में हजारों लोगों को मारने के जुर्म में उसे कोई सजा नहीं दी जाएगी।
अमरनाथ यात्रा पर कब लगान वसूला गया यह बताने की जिम्मेदारी भी संघ परिवार की है। जहां तक हज यात्रियों को अनुदान देने की बात है, यह सही है कि हज यात्रा पर अनुदान दिया जाता है। लेकिन अबकी बार अनुदान में कटौती की गयी है। केन्द्र में पूरे छह साल तक भाजपा की सरकार रही। समझ में नहीं आता कि तब क्यों नहीं हज यात्रा के अनुदान को समाप्त नहीं किया गया। हमने तो यह देखा है कि भाजपा सरकार के प्रधानंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, जिन्हें आरएसएस का मुखौटा कहा जाता है, रमजान के महीने में गोल टोपी पहनकर और कंधों पर चैकदार कपड़ा डालकर पूरे 'मुल्ला' बनकर रोजा इफ्तार पार्टियों में शिरकत करते थे। अब पता नहीं वाजपेयी 'मुखौटे पर मुखौटा' किस लिए लगाते थे। शायद इसलिए कि मुसलमान इसी बात से रीझकर भाजपा को वोट देने लगें। आडवाणी के बारे में क्या कहा जाए, वे तो भारत के बंटवारे के जिम्मेदार माने जाने वाले मौहम्मद अली जिनाह की कब्र पर जाकर शीश नवाकर आ चुके हैं। हमारा तो बस यही कहना है कि प्रचार करो तो ऐसा करो जिसमें तथ्यात्मक गलतियों न हो। किसी पढ़े-लिखे आदमी को इस काम पर लगाओ, वरना सिवाए जगहंसाई के कुछ नहीं मिलेगा।

8 comments:

  1. अफजल को माफी, साध्वी को फांसी
    आरएसएस पर प्रतिबंध, सिमी से अनुर्बध
    अमरनाथ यात्रा पर लगान, हज पर अनुदान
    वाकई मेरा भारत महान !

    बहुत अच्छी कविता की लाइने,
    एकदम सत्य बात, अब अगर जनाव किसी को उलटा दिखाई दे तो दोष उसकी कुंठित मानसिकता और आँखों का है! जो कुछ कहा गया है उस एस एम् एस में, उसमे गलत क्या है ?

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  2. आरएसएस का भेजा हुआ संदेश है यह आपको कैसे ब्रह्मज्ञान हुआ? खुलाशा करें.

    भारतीयों के टेक्स मे से हज के लिए अनुदान मिलता है. आपने मान लिया, यह स्वागत योग्य है.

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  3. बेंगाणी जी, शब्दों के भावार्थ को समझे बिना यदि कोई बाल की खाल निकालने पर आ जाये तो क्या किया जा सकता है?

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  4. आप कभी अवध गये होते तो आपको पता होता हाजियों को जो अनुदान मिलता है यह एक सजा है,जो हट जाए तो हाजी को सबसे घटिया जहाजों में सफर न करना पडे, जिनमें समझदार लोग सफर नहीं करते, गंदे होटलों में न रहना पडे, यह अनुदान तो बस नाम का है इसमें से आधा तो इसका डिपार्टमेंट कितनी तरह से खा जाता है यह हमने हज पर जाने वाले सरकारी सेवको से सुना है, सैंकडों सरकारी सेवक जाते हैं इसी अनुदान के खर्चे जिन्‍हें हाजियों के सेवा के लिए भेजा जाता हैं स्‍वयं हाजी बनकर चले आते हैं, अधिक जानकारी के लिए मिलें ऐसे सरकारी हाजी से या फिर हम कभी अवध आए तो सुनायेंगे इस अनुदान की कहानी

    अवधिया चाचा
    जो कभी अवध न गया

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  5. अनुदान को उर्दू में क्या कहते है ? भीख ??? इश्वर का शुक्र है कम से कम अपने धार्मिक काम के लिए हम तो इसके मोहताज नहीं है ! अब जिसे चाहिए वो और कटोरा फैला फैला कर मांग मांग कर भीख बढवाए !

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  6. अफजल को माफी, साध्वी को फांसी
    आरएसएस पर प्रतिबंध, सिमी से अनुबंध
    अमरनाथ यात्रा पर लगान, हज पर अनुदान
    वाकई मेरा भारत महान !

    क्या तंज़ किया है लिखने वाले ने ।

    अब इतने भी नादान न बनिए सलीम भाई कि आपको सपाटबयानी और तंज़ का फर्क भी नहीं मालूम । अगर हिन्दी समझ नहीं आती तो किसी सलीम खान या कैरानवी जी से उर्दु में तर्ज़ुमा करवा के समझ लेते भाई । देखिए आप एक समझदार और प्रबुद्ध व्यक्ति हैं..महज़ ब्लॉग लिखना है इस लिए ऐसा करें यह अच्छा नहीं.... इस एस.एम.एस. की आलोचना की जा सकती है लेकिन इस कोण से नहीं जिससे आपने कर डाली । हम सब वैचारिक मतभेद रखने वाले लोग हैं मगर यहाँ का भी अपना भाईचारा है । आपसे कुछ और विचारोत्तेजक सामग्री की अपेक्षा है । जय श्रीराम ।

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  7. Bahut achha likha salim bhai ne,,,,,,,,pata nahi kab aql ae gi kuchh prabudhh bhaion ko,,,,,

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  8. सलीम भाई...... आपके द्वारा लिखा गया एक एक शब्द चिन्तन योग्य है। इन लोगो की जितनी सोच है.... उतना ही बोलेगें?????? इनका उद्देश्य सच पर विराम लगाना है, ताकि संघीयो के झूठ का बोलबाला हो जाए।

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