Saturday, February 14, 2009




सर्द हवाओं और बारिश के बीच हुआ एटूजैड ब्लॉगिंग पुस्तक का विमोचन और अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम : ब्लॉगिंग विषय पर सेमिनार
10 फरवरी को चौधरी चरणसिंह विश्वविद्यालय मेरठ तथा रवि पॉकेट बुक्स, मेरठ के संयुक्त तत्वाधान में ब्लॉगिंग पर होने वाले सेमिनार और इस अवसर पर रवि पॉकेट बुक्स से प्रकाशित ब्लॉगिंग विषय की भारत की पहली पुस्तक, जिसे मेरठ के इरशाद अली ने बहुत मेहनत और शोध के बाद लिखा था, का विमोचन होना था। समय तीन बजे का था। मेहमान अभी आये नहीं थे। तभी यकायक मौसम ने करवट बदली आसमान में घने बादल छा गये। सर्द हवाएं चलनी शुरु हो गयीं । दो बजे के आसपास बारिश भी शुरु हो गयी। ऐसा लगा जैसे बारिश हमारे आयोजन पर पानी फेरने के लिए आमादा थी। धीरे-धीरे तीन बज गए। इरशाद ने मुझसे फिक्रमंद लहजे में कहा सलीम भाई अब क्या होगा ? मैंने इस पर जवाब दिया कि हमने अपनी तरफ से पूरी मेहनत की है अब सब कुछ अल्लाह पर छोड़ दो। बारिश हल्की पड़ चुकी थी। तभी मेरे फोन की घंटी बजी। भड़ास के यशवंत सिंह का फोन था। उन्होंने मेरठ में आगमन की सूचना दी। तभी इर्दगिर्द के हरिजोशी और रिचा जोशी आते नजर आए। अब बारिश थम गयी थी। देखते ही देखते मेहमानों का तांता लग गया और साढ़े तीन बजे तक चौधरी चरणसिंह विश्वविद्याालय के उर्दू विभाग का प्रेमचंद सभागार पूरा भर चुका था। लेकिन अभी भी मेरी आंखें आजकल के ओमकार चौधरी का इंतजार कर रही थीं। ओमकार चौधरी से मेरा नाता तब से है, जब से उन्होंने मेरठ के सांध्य दैकिन प्रभात से अपने कैरियर का आगाज किया था। प्रभात से लेकर हरि भूमि तक उन्होंने हमेशा ही मेरा मार्गदर्शन किया और हर प्रकार का सहयोग और अवसर प्रदान किया। मेरठ के डीएलए अखबार से वे जब जुड़े तो उन्होंने मुझे सम्पादकीय पेज के लिखने के लिए प्रेरित किया। सबसे बड़ी बात यह कि ब्लॉग के प्रति मेरी जिज्ञासा को उन्होंने ही बढ़ाया। ऐने वक्त पर किसी बहुत ही आवश्यक कार्य के कारण वे सेमिनार में शिरकत नहीं कर सके इसका मुझे हमेशा दुख रहेगा।
बहरहाल, सेमिनार का आगाज हुआ। संचालन की जिम्मेदारी मेरी थी। सबसे बड़ी दुविधा की बात थी कि मुझे पहली बार किसी कार्यक्रम का संचालन करना था। इससे पहले मैं माइक पर बोलते हुए घबराता था। जाहिर है मैं नर्वस था। लेकिन शुरु की घबराहट के बाद मैंने अपने आप को संभाल लिया। उसके बावजूद मुझसे कुछ गलतियां हुईं, जिसका मुझे मालूम है। लेकिन जब मैंने अन्त में यह कहा कि मैं पहली बार संचालन कर रहा हुं तो सभी ने तालियां बजाकर मेरी हौसला अफजाई की। संचालन करते वक्त मुझे एहसास हुआ कि लिखने और बोलने में कितना फर्क है।
जब मैंने इर्द गिर्द के हरिजोशी को बोलने के लिए आमंत्रित किया तो वो बोलते हुई आनाकानी कर रहे थे लेकिन जब बोले तो खूब बोले। प्रभावशाली ढंग से बोले। उन्होंने ब्लॉग की महत्ता बताने के साथ ही कहा कि ब्लॉग से अभिव्यक्ति की आजादी में बढ़ोतरी हुई है।
भड़ास के यशवंत सिंह से मेरा परिचय ब्लॉग के माध्यम से ही हुआ था। जब पुस्तक के विमोचन और सेमिनार करने की प्लानिंग चल रही थी तो मैंने ऐसे ही यशवंत सिंह जी को फोन पर ही आमंत्रित किया। मुझे हैरत और खुशी हुई कि उन्होंने फौरन आने की मंजूरी दे दी। उन्होंने अपने सम्बोधन में ब्लॉग से होने वाले लाभ बताए और कहा कि कैसे ब्लॉग के माध्यम से अपने विचारों को दूसरों तक पहुंचाने के साथ ही पैसा भी कमाया जा सकता है।
किताब के लेखक इरशाद अली ने संक्षेप में पुस्तक के बारे में बताया तो मेराज सलमानी साहब ने कहा कि वे ब्लॉग के माध्यम से अपने विचारों को दूसरों तक पहुंचा रहे हैं और दूसरों के विचारों को जान रहे हैं। सेमिनार में ब्लागर्स में एक विशेष स्थान रखने वाले दिल की बात के डा0 अनुराग आर्य साहब को भी आना था लेकिन आयोजन स्थल से पहुंचने से पहले उन्हें फोन पर अपने किसी रिश्तेदार के साथ हुई दुर्घटना का समाचार मिला और वे वापस लौट गए। मनविंदर भिंभर ने बोलने से साफ मना कर दिया था लेकिन यशवंत सिंह उन्हें लगभग जबरदस्ती माइक तक लेकर आए।
सेमिनार में ऐसे लोगों ने भी अपने विचार रखे, जो ब्लॉगर नहीं हैं। उनमें प्रमुख थे मानवाधिाकर चेतना अखबार के सम्पादक धर्मवीर कटोच। उन्होंने कहा कि ब्लॉग की खास बात यह है कि इसमें अखबार की तरह रजिस्ट्रेशन आदि कराने की आवश्यकता नहीं होती है। इसमें प्रकाशक, सम्पादक, मुद्रक आप खुद ही होते हैं।
सेमिनार के बाद चौधरी चरणसिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एसके काक ने अपने व्यस्त कार्यक्रम को छोड़कर पुस्तक एटूजैड ब्लॉगिंग का विमोचन किया। उन्होंने अपने उदबोधन में रवि पॉकेट बुक्स के मनेष जैन को एक अछूते विषय पर पुस्तक प्रकाशित करने पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि नयी तकनीक के साथ चलकर ही तरक्की की जा सकती है और ब्लॉगिंग आज की आवश्यकता है।
चौधरी चरणसिंह विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग के अध्यक्ष डा0 असलम जमेशदपुरी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि ब्लॉगिंग को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। यदि इसी प्रकार से सेमिनार आदि आयोजित किए जाते रहे तो ब्लॉगिंग के प्रति लोगों का रुझान बढ़ेगा। अंत में जफर गुलजार ने अतिथियों का आभार प्रकट किया। सेमिनार में नफीस अहमद, अदीबा अलीम, प्रभात कुमार रॉय, राजेष भारती, रिचा जोषी अभिषेक अग्रवाल, अलाउद्दीन खां, सुधाकर आषावादी, दीपेष जैन आदि की उपस्थिति उल्लेखीय रही।
रवि पॉकेट बुक्स के मनेष जैन के उल्लेख के बगैर यह रिपोर्ट अधूरी रह जायेगी। मनेष जैन हमेशा ही नए लोगों को मौका देने के जाने जाते रहे हैं। वे अपने प्रकाशन से एटूजैड कम्प्यूटर बुक्स सीरीज जनरल पुस्तकें प्रकाशित करते हैं। इसके अलावा रवि पब्लिकेशन्स से टेक्निकल पुस्तकों का प्रकाशन करते हैं। उनके यहां से प्रकाशित होने वाली पुस्तकें उच्च कोटि की होती हैं।

5 comments:

  1. saleem bhai kuch aur photo dae.. article behetrin likha hai

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  2. लेख बहुत अच्छा है। कुछ भाषण कें अंश एवं फोटो ज्यादा होते तों आेप अच्छा रहतां।
    एक अनुरोध सैटिंग में जाकर वर्ड वैरिफिकेशान हटा दें। यह टिप्पणी करने में परेशानी करता है।

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  3. बंधुवर,
    एटूजैड ब्लॉगिंग किताब की समीक्षा किसी ने लिखी है? जल्द ही लिखें, या लिखवाएँ. नहीं तो समीक्षार्थ किताब भिजवाएँ - मैं लिख दूंगा. किताब कहां से खरीदी जा सकती है? कृपया इसकी जानकारी भी दें.
    पता है -
    raviratlami AT gmail.com

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