Tuesday, May 24, 2016

बजरंग दल के ट्रेनिंग कैंप नई बात नहीं है

सलीम अख्तर सिद्दीकी
अयोध्या में बजरंग दल युवाओं को आतंक की ट्रेनिंग दे रहा है। बजरंग दल कुछ भी कहता रहे कि यह ट्रेनिंग देश दुश्मनों के लिए है, लेकिन कोई भी समझ सकता है कि युवाओं में सांप्रदायिकता का जहर बोया जा रहा है। अगर हथियार चलाने की ट्रेनिंग देश के लिए है, तो फिर उसमें जो आतंकवादी दर्शाए गए हैं, उन्हें मुसलिम क्यों बताया गया है? मुजफ्फरनगर दंगों के बाद मीडिया रिपोर्टों में बताया गया था कि वेस्ट यूपी के कई शहरों में हिंदूवादी संगठन खुलेआम खतरनाक हथियार चलाने की ट्रेनिंग दे रहे हैं। विभिन्न नामों से चलने वाले हिंदू संगठनों के कर्ताधर्ता कैमरों के सामने कहते पाए गए कि यह मुसलमानों के खिलाफ तैयारी है। विद्रूप तो यह है कि सब कुछ सामने आने के बाद भी उत्तर प्रदेश सरकार ने इन संगठनों के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाया। इससे सरकार की नीयत पर संदेह होना लाजिमी है कि वह वास्तव में ही धर्मनिरपेक्ष है और अल्पसंख्यकों को सुरक्षा देने में वाकई गंभीर है?
हजारों मील दूर बैठे आईएस से खतरा बताने वाले आखिर अपने देश में चलने वाले आतंकी ट्रेनिंग कैंपों की ओर से क्यों आंखें मूंद रहे हैं? सवाल यह है कि हमें खतरा आईएस से ज्यादा है या अपनी बगल में चल रहे हथियार चलाने की टेÑनिंग देने वाले कैंपों से? मीडिया का एक वर्ग आईएसआईएस का ऐसा हौवा खड़ा करता है, जैसे बस उसका हमला भारत पर होने ही वाला है। दरअसल, मीडिया का एक वर्ग भी एक तरह से हिंदूवादी संगठनों में सांप्रदायिकता का जहर बोने के लिए आईएस हौवा खड़ा करता है। उन्हें वह सब कुछ करने पर उकसाता है, जो अयोध्या में सामने आया है। सच यह भी है कि मीडिया का एक वर्ग हिंदूवादी एजेंडे पर लगातार काम कर रहा है, जिसका मकसद हमेशा से ही रहा है कि धार्मिक धु्रवीकरण बना रहे, जिससे भाजपा को फायदा होता रहे। चुनाव के वक्त मीडिया का यह वर्ग कुछ ज्यादा ही सक्रिय हो जाता है। अब जब उत्तर प्रदेश चुनाव आने वाले हैं, तो हम देख सकते हैं कि राज्य में इस तरह की बातें सामने आएंगी, जो सांप्रदायिक वैमनस्य को बढ़ावा देंगी और भाजपा समर्थित मीडिया उन्हें नमक मिर्च लगाकर परोसेगा।

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