Tuesday, February 11, 2014

खौफ

सलीम अख्तर सिद्दीकी
वह शहर का एक नामचीन अस्पताल था, जिसमें मैं अपने एक दोस्त के बेटे को देखने गया था, जो वहां जेरे इलाज था। रात के यही कोई साढ़े नौ बजे थे। बारिश थोड़ी देर पहले ही रुकी थी, जिससे सर्दी में इजाफा हो गया था। अस्पताल के बाहर कई लग्जरी गाड़ियां खड़ी हुई थीं, जिनके आसपास झक सफेलद कलफ कपड़ों में कुछ युवा खड़े थे। कई की शर्ट थोड़ी उभरी हुई थी, जो संकेत दे रही थी कि उन्होंने पिस्टल लगाया हुआ है। उनकी नजरें चारों ओर तेजी से घूम रही थीं। मेरा दोस्त मुझे बाहर ही मिल गया था। मैंने उसके बेटे की तबीयत के बारे में पूछकर कहा, क्या माजरा है, माहौल कुछ अलग-सा लग रहा है। उसने एक पूर्व बाहुबली विधायक का नाम लेकर कहा, उसका भाई अस्पताल में भर्ती है, वह अपने भाई को देखने अंदर गया है। हम बातचीत में मशगूल हो गए। थोड़ी देर बाद हलचल हुई और दस-पंद्रह लोगों का काफिला बाहर आया। काफिले के बीच में पूर्व बाहुबली विधायक चल रहा था। वह सतर्क नजरों से चारों ओर देख रहा था।
दरअसल, पूर्व विधायक पर अपने एक साथी के कत्ल का इल्जाम था। जब कत्ल हुआ था, तो पूर्व विधायक, उस वक्त सत्ताधारी पार्टी का विधायक था, इसलिए पुलिस से उसे ‘क्लीन चिट’ मिलने में दुश्वारी नहीं आई थी। लेकिन कत्ल होने वाले के साथियों का मानना था कि कत्ल पूर्व विधायक ने ही किया था। इसलिए बाहुबली विधायक को अपनी जान को खतरा लगा रहता था।
पूर्व विधायक और उसका काफिला सड़क पर आ चुका था। ड्राइवर उसकी गाड़ी को बैक करके उसके पास ला रहा था। उसके दूसरे साथी एक-एक करके उन गाड़ियों में जा बैठे थे, जो पहले से ही वहां खड़ी थीं। ड्राइवर ने गाड़ी विधायक के बराबर में लाकर खड़ी की। विधायक गाड़ी का दरवाजा खोलकर गाड़ी में बैठना ही चाहता था कि एक काले रंग की बाइक तेजी से उसके पास आकर रुकी। बाइक चालक ने काले रंग का ही हैलमेट लगा रखा था। बाइक के रुकते विधायक के चेहरे पर खौफ की लकीरें नमूदार हो हुर्इं। स्ट्रीट लाइट की रोशनी में साफ नजर आया कि कड़ाके की ठंड होने के बावजूद उसके चेहरे पर पसीना आ गया। विधायक की समझ में नहीं आया कि वह गाड़ी में बैठे या बाहर ही खड़ा रहे। उस पर जैसे सकता सा छा गया। उसके साथ चलने वाले लोग भी एक बारगी जड़वत से हो गए। इससे पहले कि किसी के कुछ समझ में आता, बाइक सवार ने अपना हैलमेट उतारा और तपाक से विधायक की ओर हाथ बढ़ाकर बोला, अरे, नेताजी यहां कैसे? सब खैरियत तो है? विधायक ने उसे पहचाना और बोला, यार तुमने तो मेरी जान ही निकाल दी थी। दोनों ठहाका मारकर हंसे। विधायक के साथ वाले लोगों की जान में जान आई। मेरा दोस्त बोल उठा, देखा कितने कमजोर दिल वाले होते हैं

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