Saturday, November 9, 2013

नाजायज काम

सलीम अख्तर सिद्दीकी
वह इस साल की ईद की चांद रात थी। मेरा एक शख्स से मिलना बहुत जरूरी था। मैंने उसे फोन लगाया, तो पता चला कि वह शहर के एक बार में बैठा हुआ था। उसके बारे में प्रचलित था कि वह वह कम से कम तीन घंटे बार में गुजारता है। मैं पशोपेश में पड़ गया कि उससे मिलने बार में जाऊं या नहीं? काम कुछ ऐसा था कि उससे मिलना भी जरूरी था। डर था कि यदि मुझे किसी ने बार में देख लिया तो यही समझेगा कि मैं शराबखोरी करने आया हूं। अक्सर कहा जाता है कि आंखों देखी बात सच होती है। इस पर विचार नहीं किया जाता कि मजबूरी वश भी कोई बार में जा सकता है। बार में मौजूद कोल्ड ड्रिंक पीने वालों को भी शराबी ही गिना जाएगा। बहरहाल, मैं बार में पहुंचा। एक नीम अंधेरे में पड़ी एक टेबिल पर वह शख्स दिखाई दिया, मुझे जिससे मिलना था। उसने बैरे को ड्रिंक सर्व करने का आॅर्डर दिया। बैरा ने कोल्ड ड्रिंक का गिलास लाकर ही रखा था कि उस शख्स का मोबाइल वाइब्रेट हुआ। उसने नंबर पर निगाह डालकर फोन उठाया और बात करने के लिए बाहर चला गया। उसके जाते ही मैं कोल्ड ड्रिंक सिप करते हुए बार का जायजा लेने लगा। हमारी टेबिल से अगली टेबिल पर छह लड़के बैठे हुए थे। उनकी बातचीत से अंदाजा लग रहा था कि वे सब ह्यचांद रात सेलिब्रेटह्ण करने आए थे। एक कह रहा था कि आज ह्यशैतानह्ण खुल गया है। तभी बार में एक ऊंची आवाज गूंजी, ह्यअरे वाहिद पैग रिपीट कर दे भाई।ह्ण यह सुनकर उन लड़कों को झटका-सा लगा। उनमें से एक कह उठा, ह्यअरे यार यहां तो मुसलिम वेटर भी है।ह्ण उनमें बहस होने लगी कि किसी शराबखाने में नौकरी करना जायज है नाजायज? सभी नाजायज पर सहमत थे। एक ने आगे बढ़कर इसे ह्यहरामह्ण करार दे दिया। वह अभी चर्चा में मशगूल ही थे कि वाहिद नाम का वह वेटर उनके करीब से गुजरा, तो एक लड़के ने उसे रोक लिया और पूछा, ह्यतुम मुसलिम होते हुए भी बार में नौकरी करते हो, क्या तुम्हें किसी ने यह नहीं बताया कि इस तरह की कमाई नाजायज है?ह्ण यह सुनकर वेटर के माथे पर बल पड़ गए। उसने बहुत ही तल्खी से जवाब दिया, ह्यक्या जायज है और क्या नाजायज मैं भी अच्छी तरह जानता हूं और आप सब लोग भी। मैं तो किसी मजबूरी के तहत यह काम कर रहा हूं, लेकिन मुसलमान होने के बावजूद शराब पीने की आपकी कौन-सी मजबूरी है, यह तुम जानो।ह्ण वेटर को किसी ने आवाज लगाई। उसने इशारे से आने के लिए कहा और जाते-जाते उन लड़कों पर जुमला उछाल दिया, ह्यमैंने आज तक शराब को चखा तक नहीं है।ह्ण उन लड़कों के सिर निदामत से झुक गए थे। मुझे वह शख्स हॉल में दाखिल होता दिखाई दिया, मुझे जिससे मिलना था। मेरे दिल से अब वह खौफ निकल गया था कि मुझे यहां कोई देखेगा, तो क्या सोचेगा।